अभी कागजी तौर पर ही सफल है मनरेगा
Posted On at by NREGA RAJASTHANज्यां द्रेज वरिष्ठ समाजविज्ञानी
मनरेगा को मैं सरकार ही नहीं देश की फ्लैगशिप योजना की तरह लेता हूं.
इस योजना को लेकर सरकार की अगंभीरता अक्सर झलक जाती है. बजट में मनरेगा को लेकर विरोधाभास दिखा. एक तरफ तो इस मद के लिए पिछले वित्त वर्ष से 100 करोड़ रुपए कम तय किए गए और दूसरी ओर सरकार ने यह भी कहा कि 100 दिनों वाली इस रोजगार योजना के तहत वेतन में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ोतरी की गई है. अब कम आवंटन से बढ़ी हुई जरूरत कैसे पूरी हो सकती है यह समझ से परे है. दरअसल सरकार कई गैर जरूरी मद में राशि बढ़ाने को हमेशा तैयार रहती है जबकि भारत का कायाकल्प करने में सक्षम इस योजना को लेकर पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाती. यह अगंभीरता फंडिंग से लेकर योजना के कार्यान्वयन के तरीकों तक में दिखती है.
मेरा आकलन है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस योजना से बेहतर शायद ही कोई योजना हो बल्कि मैं तो मानता हूं कि दुनिया में ही शायद इस जैसी कोई योजना हो. यह अगर ठीक से संचालित हो तो गरीबी मिटाने का महात्मा गांधी का सपना पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन योजना का दुखदायी पहलू यह है कि यह कागजी तौर पर तो पूरी तरह सफल है लेकिन वास्तविक तौर पर नहीं. अभी देश के कई जिले ऐसे हैं जहां इस योजना से जुड़ी घोर अनियमितताएं सामने आ रही हैं. खासकर इसमें भ्रष्टाचार का जो इतिहास रहा है उस पर गौर करने की जरूरत है. कई लोग इसे अपनी अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के उपाय की तरह देख रहे हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनका प्रयास है कि इसे पूरी तरह पंगु बना दिया जाए. हमने देखा है कि योजना में भ्रष्टाचार को सामने लाने वाले कुछ जुझारू कार्यकर्ताओं की हत्या तक हुई और हत्यारों को पकड़ा भी नहीं जा सका.
मौजूदा बजट में इसके लिए भले ही कम राशि का प्रावधान हो, फिर भी इसके लिए तय राशि ईमानदारी से खर्च की जाए तो हालात बदल सकते हैं. वस्तुत: योजना को और राशि की तो जरूरत है लेकिन इससे कहीं अधिक जरूरी पारदर्शिता के इसके प्रावधानों को लागू करने की है. योजना को सुधारने के लिए सबसे जरूरी एक मजबूत शिकायत निवारण मशीनरी की स्थापना की है. मौजूदा स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार इसके जवाबदेही संबंधी प्रावधानों को महत्व नहीं दे रही हैं. योजना बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी से राहत दिलाने में तभी कारगर हो सकती है जब इस पर अमल ठीक से हो और किसी किस्म की लापरवाही पाए जाने पर जुर्माने और दंडित किए जाने जैसी व्यवस्था भी सुनिश्चित हो. अभी केवल गिने-चुने मामलों में ही जुर्माना तय किया गया है जबकि अनियमितता एवं लापरवाही के मामलों का अंबार लगा है.
मजदूरी के भुगतान में विलंब पर मुआवजे का प्रावधान भले हो लेकिन इसका उल्लंघन खुद राज्य सरकारें कर रही हैं. नौकरशाह तो मनरेगा की चाबी अपनी हाथ में रखना चाहते हैं जो इस योजना की मूल मंशा के ही खिलाफ है. योजना में कई सकारात्मक बातें निहित है किंतु इसे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से बचाए रखना होगा. नौकरशाहों को इससे जितना हो सके, दूर रखना होगा. इस योजना से भ्रष्टाचार को दूर किया सके इसके लिए इसमें सारे प्रावधान हैं. बस इसे ठीक से लागू किया जाना चाहिए. किसी भी किस्म की अनियमितता पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
कामगारों के जॉब कार्ड और उन्हें मिल रही मजदूरी की समय-समय पर जांच हो. समाज के जिस वर्ग के लिए यह योजना शुरू की गई थी, उसे इसका लाभ मिलना चाहिए. लोगों को अभी योजना की पूरी जानकारी ही नहीं है. वे नहीं जानते कि जॉब कार्ड में नाम कैसे दर्ज कराएं जाएं. तहसीलदार व ग्रामसेवक तक पूरी जानकारी से महरूम हैं. स्थिति बदलनी होगी. आखिर किसी भी अन्य विकास योजना की तरह इसका सबसे बड़ा दुश्मन भ्रष्टाचार ही है, इसे समझना होगा. केंद्र सरकार की जिम्मेदारी केवल योजना के संबंध में घोषणाएं करने की ही नहीं है बल्कि जमीनी तौर पर नियमों का कितना पालन हो रहा है, यह भी देखने की भी है.
source-www.samaylive.com प्रस्तुति: नीरज कुमार तिवारीमनरेगा में कलेक्टर, सीईओ की मनमर्जी
Posted On at by NREGA RAJASTHANमनरेगा में कमीशनखोरी मजदूरों को नहीं होगा भुगतान
रायपुर.महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना के जरिए मजदूरों को काम न मिलने से होने वाले पलायन, महीनों मजदूरी का भुगतान न होने, योजना में कमीशनखोरी आदि को लेकर विपक्ष ने पंचायत मंत्री रामविचार को घेरा। सदस्यों ने सरकार से मांग की कि मजदूरी भुगतान में लेट-लतीफी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाए।
विधानसभा में कांग्रेस के डॉ. हरिदास भारद्वाज ने प्रश्नकाल में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि योजना के लिए केंद्र सरकार से मिली राशि का उपयोग नहीं होने से लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। सरकार को योजना का प्रचार करना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि पंचायत मंत्री रामविचार नेताम के क्षेत्र जनकपुर में ही सात महीनों से ग्रामीणों को मजदूरी नहीं मिली है।
जब समय पर पैसा नहीं मिले तो ऐसी योजना का कोई लाभ नहीं। उन्होंने पूरी योजना की मॉनिटरिंग करने के लिए इसका कंप्यूटराइजेशन करने और कंट्रोल रूम खोलने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने कहा कि योजना में 20 प्रतिशत कमीशनखोरी चल रही है। धमतरी, दुर्ग, कवर्धा आदि जिलों के कलेक्टरों ने अपनी मर्जी से योजना के काम करवाए हैं। 580 करोड़ रुपए का उपयोग विभाग नहीं कर सका है।
डिमांड बेस्ड स्कीम जनप्रतिनिधियों की बजाए सीईओ के ऑर्डर बेस्ड स्कीम बन गई है। काम के अभाव में लोग पलायन कर रहे हैं। उन्होंने एक्शन प्लान बनाने की मांग की। अमितेष शुक्ल ने कहा कि समय पर भुगतान न करने वाले बैंक व पोस्ट आफिस के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करवाई जाए। ताम्रध्वज साहू ने जॉब कार्ड में कंट्रोल रूम का फोन नंबर छपवाने का सुझाव दिया।
समय पर भुगतान की कोशिश होगी
पंचायत मंत्री ने कहा कि मजदूरों को भुगतान केंद्र सरकार के नार्म्स के तहत किया जाता है। बैंक व पोस्ट आफिस की प्रक्रिया में विलंब हो जाता है। विभाग की हेल्पलाइन के टोल फ्री फोन नंबर 1800-2332425 पर फोन करके मजदूरी न मिलने की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। दो अप्रैल को वे विभाग की समीक्षा करेंगे। इसमें स्टाप डैम, लाइनिंग, डब्ल्यूबीएम सड़कों का निर्माण अधिक से अधिक करवाने के प्रयास होंगे।
सामग्री खरीद के संबंध में पंचायतीराज नियमों में संशोधन
Posted On at by NREGA RAJASTHANमहात्मा गांधी नरेगा के आयुक्त एवं शासन सचिव, तन्मय कुमार ने बताया कि पंचायत समिति स्तर पर बनने वाली बीएसआर विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तैयार की जायेगी एवं इसका अनुमोदन पूर्व की भांति जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा ही किया जायेगा। बीएसआर की दरे संदर्भ दर होती है एवं वास्तविक खरीद का कार्य निविदादाताओं की अनुमोदित दरों पर ही किया जाता है, जो कि बीएसआर दरों से कम या अधिक हो सकती है।
उन्होंने बताया कि, ग्राम पंचायत द्वारा आमंत्रित की जाने वाली निविदाओं के निस्तारण हेतु नियम 186 के अंतर्गत गठित कमेटी में ग्राम पंचायतों में लेखा एवं तकनीकी कर्मी नहीं होने के कारण नियमों में संशोधन कर पंचायत समिति में कार्यरत जेईएन एवं लेखाकार को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। इसके साथ ही समिति की बैठक ग्राम पंचायत पर करने के अतिरिक्त ग्राम पंचायत की सहमति से पंचायत समिति पर भी किये जाने का एक अतिरिक्त विकल्प दिया गया है। निविदा अनुमोदन का अधिकार सरपंच की अध्यक्षता में गठित समिति को ही है।
पंचायतराज संस्थाओं के नियमों में एक हजार रूपये से अधिक के भुगतान चैक से ही किये जाने का प्रावधान है। विभाग द्वारा कुशल एवं अर्द्घ कुशल श्रमिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये भुगतान रेखांकित चैक के स्थान पर बीयरर चैक से किये जाने के संबंध में आदेश पूर्व में ही 0 9.0 9.10 को जारी किये जा चुके है।
मौके पर मौजूद नहीं फिर भी हाजिरी, नरेगा में पकड़ा फर्जीवाड़ा
Posted On at by NREGA RAJASTHANइस पर जिला परिषद के एसीईओ ने तीनों मजदूरों की अनुपस्थिति लगाकर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है। श्रीमाधोपुर इलाके के जुगराजपुरा गांव में पिछले कई दिनों से नरेगा के तहत तालाब खुदाई का कार्य चल रहा है। रविवार को जिला परिषद के एसीईओ जीएल कटारिया ने नरेगा कार्य का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उपस्थिति रजिस्टर में 25 मजदूरों की हाजिरी लगी हुई थी। इस पर एसीईओ ने जब मौके पर मौजूद मजदूरों की गिनती की तो तीन मजदूर कम मिले।
इस दौरान जब एसीईओ ने मेट से तीन मजदूरों के बारे पूछा तो वह चुप हो गया। जांच में सामने आया कि एक महिला मजदूर के तो पिछले तीन दिनों से नहीं आने के बाद भी रजिस्टर में हाजिरी लगी हुई मिली। इसके बाद एसीईओ ने तीनों नदारद मजदूरों की गैरहाजिर लगा दी। वहीं कार्रवाई के लिए रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी है। प्रारंभिक जांच में मेट के साथ कई कार्मिकों को दोषी माना गया है।
मनरेगा में मनमानी नहीं कर पाएंगे ग्राम प्रधान
Posted On at by NREGA RAJASTHANनई दिल्ली । सरकार ने मनरेगा में ग्राम प्रधानों की मनमानी पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। प्रधानों के अधिकारों में कटौती करते हुए मनरेगा के विकास कार्यो के सोशल ऑडिट से उन्हें अलग कर दिया गया है। गांवों के विकास कार्यो में धांधली और भ्रष्टाचार की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सख्त प्रावधान किया है। सोशल ऑडिट के लिए प्रत्येक राज्य में ऑडिट निदेशालय की स्थापना की जाएगी। इसमें नियंत्रक व महालेखा परीक्षक [सीएजी] की मदद भी ली जाएगी।
विकास कार्यो के परीक्षण में सबसे बड़ा बदलाव ग्रामसभा स्तर पर किया जा रहा है। जिसके तहत ग्राम प्रधानों के अधिकारों में कटौती की जाएगी। प्रधानों को अब अपने गांव के विकास कार्यो के सोशल ऑडिट से अलग रहना होगा। नए प्रावधानों के तहत गांव-गांव में अब यह कार्य प्रशिक्षित ऑडिटरों को सौंपा जाएगा। इन ऑडिटरों का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष संबंध उस ग्रामसभा से नहीं होगा। ऑडिट में जिला प्रोग्राम समन्वयक भी किसी अधिकारी को नामित करेगा। सोशल ऑडिट में पूरे गांव के लोगों का होना जरूरी है। अनियमितता अथवा धन के दुरुपयोग संबंधी शिकायतों के पुष्ट होने पर उसकी वसूली समेत हर तरह की कार्रवाई एक महीने केभीतर ही होनी चाहिए।
मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान हर हाल में एक सप्ताह के भीतर करना अनिवार्य होगा। इसमें घपला साबित होने पर सरकारी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ बर्खास्तगी कार्रवाई के साथ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराने का प्रावधान किया गया है। ऑडिट का सालाना कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसके तहत सालभर में कम से कम दो बार ऑडिट किया जाएगा। इसके लिए सीएजी भी अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त करेगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मसौदे के अनुसार राज्यों का ऑडिट निदेशालय सीएजी के समन्वय से मनरेगा के कार्यो के परीक्षण के लिए सोशल ऑडिटरों को प्रशिक्षित करेगा। ऑडिट निदेशालय स्वतंत्र एजेंसी के तौर पर कार्य करेगा। इसमें ग्राम पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। इसका सारा खर्च केंद्र वहन करेगा।
मनरेगा पर प्रापर्टी डीलरों की कुदृष्टि
बलिया: केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक मनरेगा भी है। क्षेत्रीय विकास व गरीबों को सीधे रोजगार से जोड़ने के लिए इस योजना का क्रियान्वयन हुआ लेकिन यहां माजरा कुछ और ही है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह योजना प्रापर्टी डीलरों की कुदृष्टि से नहीं बच सकी है और संबंधित धनराशि का उपयोग ये व्यक्तिगत कामों में भी प्रधानों की मिलीभगत से करने लगे हैं।
बता दें कि नगर से पांच किमी की दूरी तक की जमीनों पर प्रापर्टी डीलरों की गिद्ध दृष्टि है। वह कम दामों में जमीन लेकर उसकी प्लाटिंग कर उसे ऊंची दर में बेंच दे रहे हैं। इस तरह का कारोबार नगर क्षेत्र के सिंकदरपुर मार्ग पर हनुमानगंज तक, बांसडीह मार्ग पर टकरसन तक, बैरिया मार्ग पर पिपरपाती तक, लखनऊ मार्ग पर माल्देपुर व नगरा मार्ग पर मिड्ढा तक हो रहा है। प्रापर्टी डीलर इन क्षेत्रों में जमीन लेने से पहले ही गांव के प्रधान को अपने साथ मिला लेते हैं। जमीन की खरीदारी करते ही उसमें प्लाट काटने के बाद रास्ता बनाते हैं। इस क्रम में खड़ंजा व नाली का काम प्रधान से मिलकर करवाते हैं।
प्रधान व प्रापर्टी डीलरों को दोहरा फायदा
मनरेगा से प्रधानों व प्रापर्टी डीलरों को दोहरा फायदा हो रहा है। प्रधान प्रापर्टी डीलर की भूमि पर बेधड़क रास्ते व नाली का काम करा रहे हैं। इससे उन्हें प्रापर्टी डीलरों के माध्यम से मोटी रकम मिल जाती है। वहीं प्रापर्टी डीलरों को भी दोहरा फायदा हो जा रहा है। रास्ते का निर्माण होने पर वह अपना खर्च बताकर प्लाट को ऊंचे दाम पर बेंच रहे हैं।
गलत है कार्य, होगी कार्रवाई: पीडी
परियोजना निदेशक प्रमोद कुमार यादव का मानना है कि व्यक्तिगत जमीन में मनरेगा से कार्य कराना गलत है। इस तरह का मामला प्रकाश में आने पर प्रधान व सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। साथ ही ग्राम पंचायत के प्रस्ताव को भी देखा जायेगा।
'केंद्र के पैसे और प्रदेश को लूट रही है मायावती'
श्री प्रसाद ने आज यहां पत्नकारों से कहा कि राज्य की मायावती सरकार केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में दिलचस्पी नहीं लेती है। राज्य में केन्द्र से मिलने वाले धन की लूट हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में मनरेगा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी है।
उन्होंने कहा कि राज्य में दलित एवं महिला मुख्यमंत्नी के राज में दलितों और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में दलितों का हित सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ही दलितों का हित सुरक्षित है।
पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है और चारों तरफ अराजकता की स्थिति है। उन्होंने कहा कि राज्य में खराब कानून व्यवस्था और बिजली की वजह से यहां से उद्योगपतियों का पलायन हो रहा है। राज्य में विकास कार्य ठप हैं और विकास का सारा धन मूर्तियों तथा पार्कों को संवारने एवं सजाने में खर्च किया जा रहा है।
News. दैनिक भास्कर
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नरेगा-2 शुरू करने के पूर्व पुनर्विचार करे सरकार
चेंबर ने मांग की है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के तहत रु. 1,00,000 करोड़ से भी अधिक राशि का आवंटन किया गया है। यह राशि जरूरतमंदों तक पहुंच पाती है या नहीं, इसकी व्यापक जांच की जानी चाहिए।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार ने स्वीकार किया है कि नरेगा के तहत राज्यों को फरवरी 2006 से आवंटित रु. 1.08 लाख करोड़ का खाता अंकेक्षण किसी भी स्तर पर नहीं किया गया है। जब नियंत्रक व लेखा विभाग की ओर से नरेगा के अंतर्गत आने वाले 625 में से नमूने के तौर पर 68 जिलों के अंकेक्षण किए गए तो उनमें रु. 88 करोड़ की विसंगतियां पाई गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि जब तक समुचित पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित नहीं करेंगे तो पूरी योजना ही खतरे में पड़ जाएगी और बगैर बंटे इस पैसे के जरूरतमंदों तक पहुंचने के प्रति गंभीर संदेह भी, अदालत ने जताया।
हाल ही में, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को नए स्तर पर लाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सरकार के द्वितीय नरेगा योजना की घोषणा की है। नरेगा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार देने का वादा किया गया है, जिससे गांवों में शहरों में जाकर काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों में कमी आयी है।
इसी तरह शहरों में काम कर रहे मजदूर बुआई के समय गांव जाने पर, नरेगा के मार्फत पर्याप्त रोजगार मिलने की वजह से वे शहर नहीं लौटते, जिससे शहर में मजदूरों की कमी होती है, इससे निर्माण व उद्योग क्षेत्र में लागत बढ़ रही है।
चेंबर के अध्यक्ष जे.पी. शर्मा व सचिव तेजिंदर सिंह रेणु ने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि नरेगा-1, जो कि पहले से ही धन गबन, विसंगतियों से विवादों में फंसी है, के बावजूद नरेगा-2 शुरू करने से पहले इस योजना पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
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http://www.job2site.co.ccबारह जिलों में महात्मा गांधी नरेगा लोकपाल नियुक्त
Posted On at by NREGA RAJASTHANजयपुर । राज्य सरकार ने आज एक आदेश जारी कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के क्रियान्वयन से सम्बन्धित अभाव अभियोग निराकरण के लिये 12 जिलों में लोकपाल नियुक्त किये है।
शासन सचिव एवं आयुक्त रोजगार गारंटी योजना श्री तन्मय कुमार ने बताया कि बांसवाडा जिले के लिये श्री रमेश चन्द को लोकपाल नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार बूंदी जिले के लिए श्री मदन गोपाल सिंह, दौसा के लिए श्री बी.आर. अग्रवाल, श्रीगंगानगर के लिये श्री गुरमेर सिंह, जालौर के लिए श्री मीठालाल लुहार, झालावाड के लिए श्री कैलाश चन्द जोशी, झुन्झुनूं के लिये श्री प्रहलाद सिंह, जोधपुर के लिये श्री चतरसिंह चौहान, कोटा के लिये डॉ. लक्ष्मीकांत दाधीच, नागौर के लिये श्री बी.आर. मुण्डेल, प्रतापगढ के लिये श्री तुलसीराम जोशी तथा टोंक जिले के लिये श्री रामविलास परमार को लोकपाल नियुक्त किया गया है।
श्री तन्मय कुमार ने बताया कि श्री आशुतोष गुप्ता को चित्तौडगढ जिले के स्थान पर भरतपुर जिले के लिये लोकपाल नियुक्त किया गया है।
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राज्य के वित्त मंत्री एवम् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई घोषणाएं की
Posted On at by NREGA RAJASTHANवसुन्धरा राजे के पुनः प्रतिपक्ष नेता चुने जाने के बाद विधान सभा के बजट सत्र विपक्ष ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। बजट को लेकर प्रतिपक्ष ने नेता वसुन्धरा राजे ने बजट को कमजोर सरकार का कमजोर बजट करार दिया तथा राज्य सरकार को सुझाव दिया कि डीजल घ्ेट्रोल पर वेट घटाना चाहिये। केन्द्र किसानों के लिए आधा अनुदान भुगतने को तैयार है तो भी डीजल सस्ता न करने तर्क समझ नहीं आता। बजट में न कोई सोच है और न ही विजन जबकि देश दुनिया की बदलती स्थितियों मे यह वक्त बडे निर्णय लेने का है। राजकोषीय घाटा बढ रहा हैं । राज्य सरकार केन्द्रीय योजनाओं में मिलने वाला धन का खर्च करने में असफल रहा है। प्रतिपक्ष नेता के सवालों का उत्तर देते हुए राज्य के वित्त मंत्री एवम् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई घोषणाएं कर डाली। जिसके तहत महानरेगा सहायकों का मानदेय 3000 से बढा कर 3510 रूपयें, ग्राम रोजगार सहायक का 3500 से 4000, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर का 4000 से 5330 रूपये करने, जयपुर में नया पर्यटन भवन बनाने विधायकों के लिए जयपुर में अगले साल में 50 बहुमंजिलें फ्लैट्स व माही परियोजना का बांसवाडा में रेस्ट एवं सfकZट हाउस बनाने, जिला प्रमुखों को 1 1 अतिवहन उपलब्ध करवाने के अलावा कई वस्तुओं में कर राहत देने की घोषणा सदन में की।
पक्ष एवम् प्रतिपक्ष के बीच खीचातानी के बावजूद बजट तो पास होना तय हो गया । पर प्रतिपक्ष द्धारा सदन में शो शराबा एवम् सदन से वॉक आउट कर समय की बरबादी एवम् जनता की कमाई धन का दुरूपयोग हुआ, उसका हिसाब तो आने वाले समय में जनता अवश्य वसूलेगी। सर्वविदित है कि भाजपा अर्न्तकलह में डूबा पडा है। नेता प्रतिपक्ष वसुन्धरा राजे के खिलाफ एक गुट सक्रिय है। उसकी शक्ति को कम करने या अस्तित्वहीन करने में वसुन्धरा राजे समर्थक लगे पडे है। माना जाता है कि घनश्याम तिवाडी व गुलाबचन्द कटारिया गुट को कमजोर करने की पहल हो चूकी है और दोनो नेताओं का वर्चस्व क्षेत्र से उनकी वर्चस्वता खत्म करने के लिए बैठक, भोज एवम् अन्य उपाय हने लगे है।
मेवाड व वागड क्षेत्र में गुलाब चन्द कटारिया का अपना प्रभाव है। उन्हीं के सहयोग माने जाने वाले अधिकांश स्थानीय नेता उनके खिलाफ उठ खडे होने के लिए आत्तुर हैं । अब यह मुहिम क्या रंग लायेगी वक्त बतायेगा । इतना तय है कि सत्तारूढ कांग्रेस इस खींचतान में बेलगाम के घोडो की तरह मनमानी करेगे। वैसे भी गहलोत सरकार खुद ही अपने चक्रव्युह में उलझती जा रही हैं । मंत्रीयों की मनमानी और विधायकों की छीटाकंशी ने गांधीवादी सिद्धान्त पर चलने वाले गहलोत के सरदर्द एवम् मजबुरी है ?
मनरेगा में भ्रष्टाचार पर सरकार की खिंचाई
Posted On at by NREGA RAJASTHANविस ॥ नई दिल्ली : सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरेगा का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर मनरेगा करने और इस योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का मामला उठाते हुए बीजेपी नेता प्रभात झा ने सरकार की खिंचाई की। राज्य सभा में बजट पर चर्चा के दौरान ने झा ने कहा कि अहिंसा और सचाई के प्रतीक बापू का नाम ऐसी योजना से नहीं जोड़ा जाना चाहिए था, जो भ्रष्टाचार के खेल में बदल चुकी हो। यह योजना जिस मकसद से शुरू की गई, वह पूरा नहीं हुआ। इसके जरिए करोड़ों रुपये ब्लैक मनी में बदल दिए गए हैं। अगर इसमें सबकुछ ठीक चल रहा था तो इसका बजट कम करने की क्या जरूरत थी।
नरेगा संवाद कार्यक्रम आयोजित
कार्यक्रम में जन प्रतिनिधियों से प्राप्त शिकायतों एवं योजना संचालन को लेकर जिला कलक्टर ने आवश्यक निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि उदयपुर जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए वर्षाजल का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के भवनों पर टांका निर्माण कर भूजल स्तर का रीचार्ज किया जा सकता है।
इस अवसर पर प्राप्त शिकायतों का भी निराकरण किया गया। कार्यक्रम में जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं परियोजना अधिकारी नरेगा सहित पंचायतीराज संस्था के जन प्रतिनिधि एवं संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।
नरेगा में अनियमितता, सरपंच व ग्रामसेवक सहित चार पर जुर्माना
मामले की जांच के बाद नरेगा के लोकपाल ने इन चारों को दोषी मानते हुए एक- एक हजार रुपए का जुर्माना लगाकर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कलेक्टर को लिखा है। वहीं फर्म से वैट की वसूली की जाएगी।
नरेगा के लोकपाल युनूस अली खां ने बताया कि पिछले दिनों महेश कुमार ने लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति की भूमा बड़ा ग्राम पंचायत की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया कि वर्तमान सरपंच व ग्रामसेवक सहित अन्य ने मिलीभगत से दंतूजला- से ढ़ाका की ढाणी जाने वाली सड़क के लि गलत तरीके से ग्रेवल खरीद लिया, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है।
इसके बाद लोकपाल ने एसडीएम, विकास अधिकारी व नरेगा के अधिशाषी अभियंता से मामले की जांच कराई। जांच में सामने आया कि ग्राम पंचायत ने बिना निविदा आमंत्रित कर सामान खरीद लिया। ग्राम पंचायत रजिस्टर्ड फर्म से सामान खरीदने के नियमों को भी ताक पर रख दिया।
जांच में सामने आया कि यहां रामकुमार फर्म से ग्राम पंचायत ने पहले 1056 घन मीटर ग्रेवल खरीदी। इसके बाद दुबारा 825 घन मीटर ग्रेवल खरीदी। ग्राम पंचायत ने रजिस्टर्ड फर्म नहीं होने के बाद भी फर्म को पहले आए माल का भुगतान भी कर दिया।
जांच में सरपंच, ग्रामसेवक, रोजगार सहायक व सामान आपूर्ति करने वाली फर्म को दोषी माना गया। इस पर लोकपाल ने चारों पर एक- एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
पुरानी शर्तो पर अनुबंध जारी रखने के आदेश
Source-भास्कर न्यूज. 06/03/2011 | ||
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MGNREGA, NREGA
जोधपुर। महात्मा गांधी नरेगा के संविदा कार्मियों से चले आ रहे गतिरोध के समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने अब नए अनुबंध प्रपत्र भरने की मियाद तय कर दी है। इसके तहत जो संविदाकर्मी 7 दिन के भीतर नए प्रपत्र पर हस्ताक्षर करेंगे, उन्हें ही नए मानदेय का लाभ दिया जाएगा।
गौरतलब है कि गत वित्त वर्ष में सैकड़ों संविदा कर्मियों ने अपनी मांगों के पूरे नहीं होने की सूरत में अनुबंध प्रपत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए और काम करते रहे। लेकिन अब सरकार ने सभी के लिए अनुबंध प्रपत्र भरना अनिवार्य कर दिया है।
अतिरिक्त आयुक्त ईजीएस बद्रीनारायण ने सभी जिला कलक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयकों को आदेश जारी कर कहा है कि समझौते के तहत अनुबंध प्रपत्र में जो संशोधन किए गए हैं, उस प्रपत्र को वह 7 दिन में भराने की कार्यवाही करें। इसके बाद ही संविदाकर्मियों को नया मानदेय तथा उस पर 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि का लाभ दिया जाए। इसके लिए मनरेगा में संविदा पर श्रजित 15 हजार 546 पदों की निरंतरता 29 फरवरी 2012 तक बढ़ा दी गई है।
असमंजस में संविदाकर्मी
इधर नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने को लेकर संविदा कर्मियों में अभी भी असमंजस है। नरेगा संविदा कार्मिक संघ जिलाध्यक्ष नेमाराम चौधरी का कहना है कि जब तक नियमित नहीं किया जाता, तब तक छठे वेतन का लाभ मिलना चाहिए। नहीं तो अनुबंध प्रपत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे।
चूरू। आठ सूत्री मांगों को लेकर गत एक सप्ताह से संघर्षरत महानरेगा कार्मिकों की हड़ताल मंगलवार देर शाम समाप्त हो गई। तहसील अध्यक्ष राकेश मोटसरा ने बताया कि मांगें माने जाने के संबंध में मुख्यमंत्री का आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल समाप्त करने का निर्णय किया गया है।
रतनगढ़। महात्मा गांधी नरेगा योजना के संविदा कार्मिकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल समाप्त हो गई है। बुधवार से सभी कर्मचारी काम पर लौट आए। कार्मिक यूनियन के शाखा अध्यक्ष विनोद मंडार ने बताया कि सरकार ने प्रदेश स्तरीय वार्ता के बाद मंगलवार शाम मांगें मान ली। नरेगा कर्मचारी यूनियन के मीडिया प्रभारी मनोज चारण ने बताया कि मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता में उन्होंने कर्मचारियों को स्थायी करने की सिफारिश योजना आयोग को भेज दी है।
Thursday, 03 Mar 2011 9:44:24 hrs IST
बाड़मेर। राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन जिला शाखा द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर गुरूवार को स्थानीय राजकीय चिकित्सालय के समक्ष सुबह दस बजे से सांकेतिक धरना दिया जाएगा। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अचलाराम चौधरी ने बताया कि प्रदेश व्यापी सांकेतिक धरने के तहत नर्सेज संवर्ग की लम्बित ग्यारह सूत्री मांगों को लेकर उक्त धरना दिया जाएगा। सचिव रणवीरसिंह भादू ने नर्सेज कार्मिकों से इसमें शामिल होने की अपील की।