मनरेगा कर्मियों की बेमियादी हड़ताल शुरू - झारखंड
Posted On at by NREGA RAJASTHANझारखंड प्रदेश मनरेगा कर्मचारी संघ के आह्वान पर जिले के सभी मनरेगा कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। मनरेगा कर्मियों की बेमियादी हड़ताल में बीपीओ, जेई, लेखा सहायक, कंप्यूटर आपरेटर एवं ग्राम रोजगार सेवक शामिल हैं। मंगलवार को स्थानीय समाहरणालय के समक्ष मनरेगा कर्मियों ने सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी की। मौके पर संघ के जिला महासचिव ननीगोपाल दास ने कहा कि केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा का क्रियान्वयन बीपीओ, कनीय अभियंता, लेखा सहायक, कंप्यूटर आपरेटर एवं ग्राम रोजगार सेवक पर है। परंतु मनरेगा कर्मियों को वर्तमान परिपेक्ष्य में काफी कम मानदेय दिया जा रहा है। जिस मानदेय से परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मनरेगा कर्मियों ने पांच सूत्री मांगों के समर्थन में बेमियादी हड़ताल आरंभ किया है। इससे पूर्व तीन दिनों तक सांकेतिक हड़ताल किया था। परंतु सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं किया। जिसके कारण संघ ने बेमियादी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया और आज मनरेगा का सारा कामकाज ठप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के तर्ज पर राज्य सरकार ग्रेड पे का निर्धारण, स्थायीकरण, बर्खास्तगी पर रोक लगाने, सेवा शर्त नियमावली बनाने, स्वास्थ्य बीमा, ईपीएफ एवं मृत मनरेगा कर्मियों के आश्रितों को सरकारी मुआवजा एवं अनुकंपा पर नौकरी व ग्रामीण विकास विभाग की रिक्तियों के विरुद्ध पचास प्रतिशत आरक्षण देने आदि मांगें शामिल हैं। इस अवसर पर रामकरण हेम्ब्रम, नीति सरीता मिंज, नगमा बानो, बुद्धिधर पांडेय, मनोज सिंह, राजकिशोर झा, परिमल मन्ना, अमर वाद्यकर, विद्युत कुमार मुर्मू, संदीप कुमार, कुमार वीरेन्द्र, चंद्र किशोर सोनु, तरुण मंडल, कौरेश अंसारी आदि कर्मी उपस्थित थे।
NREGA Rajasthan- मनरेगा में प्रशासनिक व्यय बना गलफांस
Posted On at by NREGA RAJASTHANश्रीगंगानगर। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ग्राम पंचायतों में लोगों को रोजगार नहीं देना इससे जुड़े कार्मिकों पर भारी पड़ रहा है। पंचायतों में काम नहीं होने के बावजूद मनरेगा कर्मियों को मानदेय भुगतान होने से प्रशासनिक व्यय की राशि बढ़कर 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जबकि इस मद में छह प्रतिशत से अधिक राशि खर्च नहीं की जा सकती। जिला परिषद से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष 31दिसम्बर तक प्रशासनिक मद में 13.12 प्रतिशत राशि व्यय हुई है।
अधिक खर्च जिला परिषद के लिए गलफांस बन गया है और मनरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जिले के आठों विकास अधिकारियों को जिस ग्राम पंचायत में श्रमिक बहुत कम या नहीं है वहां मनरेगा स्टाफ को भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इस स्थिति में जिले के 600 मनरेगा कर्मियों का अनुबंध खटाई में है।
खाली बैठे भुगतान
जिले की 320 ग्राम पंचायतों में 2052 श्रमिक हंै। मनरेगा की गाइड लाइन में राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हंै कि जहां मनरेगा में श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है वहां मनरेगा स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। अधिकांश पंचायत समितियों में मनरेगा कर्मचारी खाली बैठे भुगतान उठा रहे हैं। अब इनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है।
अधिक खर्च जिला परिषद के लिए गलफांस बन गया है और मनरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जिले के आठों विकास अधिकारियों को जिस ग्राम पंचायत में श्रमिक बहुत कम या नहीं है वहां मनरेगा स्टाफ को भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इस स्थिति में जिले के 600 मनरेगा कर्मियों का अनुबंध खटाई में है।
खाली बैठे भुगतान
जिले की 320 ग्राम पंचायतों में 2052 श्रमिक हंै। मनरेगा की गाइड लाइन में राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हंै कि जहां मनरेगा में श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है वहां मनरेगा स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। अधिकांश पंचायत समितियों में मनरेगा कर्मचारी खाली बैठे भुगतान उठा रहे हैं। अब इनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है।