मनरेगा में मनमानी नहीं कर पाएंगे ग्राम प्रधान
Posted On at by NREGA RAJASTHANनई दिल्ली । सरकार ने मनरेगा में ग्राम प्रधानों की मनमानी पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। प्रधानों के अधिकारों में कटौती करते हुए मनरेगा के विकास कार्यो के सोशल ऑडिट से उन्हें अलग कर दिया गया है। गांवों के विकास कार्यो में धांधली और भ्रष्टाचार की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सख्त प्रावधान किया है। सोशल ऑडिट के लिए प्रत्येक राज्य में ऑडिट निदेशालय की स्थापना की जाएगी। इसमें नियंत्रक व महालेखा परीक्षक [सीएजी] की मदद भी ली जाएगी।
विकास कार्यो के परीक्षण में सबसे बड़ा बदलाव ग्रामसभा स्तर पर किया जा रहा है। जिसके तहत ग्राम प्रधानों के अधिकारों में कटौती की जाएगी। प्रधानों को अब अपने गांव के विकास कार्यो के सोशल ऑडिट से अलग रहना होगा। नए प्रावधानों के तहत गांव-गांव में अब यह कार्य प्रशिक्षित ऑडिटरों को सौंपा जाएगा। इन ऑडिटरों का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष संबंध उस ग्रामसभा से नहीं होगा। ऑडिट में जिला प्रोग्राम समन्वयक भी किसी अधिकारी को नामित करेगा। सोशल ऑडिट में पूरे गांव के लोगों का होना जरूरी है। अनियमितता अथवा धन के दुरुपयोग संबंधी शिकायतों के पुष्ट होने पर उसकी वसूली समेत हर तरह की कार्रवाई एक महीने केभीतर ही होनी चाहिए।
मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान हर हाल में एक सप्ताह के भीतर करना अनिवार्य होगा। इसमें घपला साबित होने पर सरकारी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ बर्खास्तगी कार्रवाई के साथ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराने का प्रावधान किया गया है। ऑडिट का सालाना कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसके तहत सालभर में कम से कम दो बार ऑडिट किया जाएगा। इसके लिए सीएजी भी अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त करेगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के मसौदे के अनुसार राज्यों का ऑडिट निदेशालय सीएजी के समन्वय से मनरेगा के कार्यो के परीक्षण के लिए सोशल ऑडिटरों को प्रशिक्षित करेगा। ऑडिट निदेशालय स्वतंत्र एजेंसी के तौर पर कार्य करेगा। इसमें ग्राम पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। इसका सारा खर्च केंद्र वहन करेगा।