मनरेगा कर्मचारियों पर गिरेगी गाज
Posted On at by NREGA RAJASTHANअजमेर। सार्वजनिक निर्माण, वन एवं जल संसाधन विभाग और ग्राम पंचायतों की लेटलतीफी की गाज मनरेगा में अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों पर गिरेगी। प्रशासनिक मद में पर्याप्त बजट के अभाव में जिला प्रशासन अनुबंध के कर्मचारियों को करीब छह महीने के लिए हटाने की तैयारी कर रहा है।
जिले में मनरेगा में आठ कार्यक्रम अधिकारी, आठ सहायक कार्यक्रम अधिकारी, 52 कनिष तकनीकी सहायक, 28 लेखा सहायक, 276 ग्राम रोजगार सहायक और करीब डेढ़ हजार मैट कार्यरत हैं। मनरेगा में प्रशासनिक मद का बजट मनरेगा के कुल खर्च का 5 फीसदी दिया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में मानसून की मेहरबानी से मनरेगा के अधिकांश कार्य अधूरे हैं। जून से ही श्रमिकों ने मनरेगा पर काम करना लगभग बंद कर दिया था।
नतीजतन, निर्माण सामग्री पर भी ज्यादा राशि खर्च नहीं हो सकी। ग्राम पंचायतों, सार्वजनिक निर्माण, वन एवं जल संसाधन विभाग के पक्के और कच्चे कार्य भी अधूरे रह गए हैं। जिला प्रशासन ने इस वर्ष मनरेगा में कुल 3 हजार 49 कार्य स्वीकृत किए थे। प्रशासन ने श्रमिकों की मजदूरी भुगतान और निर्माण सामग्री खरीद के लिए कुल 344 करोड़ 42 लाख का बजट दिया था। इसमें से 243 करोड़ रूपए खर्च नहीं हुए हैं। बमुश्किल मनरेगा में अभी तक सौ करोड़ रूपए खर्च हुए हैं इस लिहाज से प्रशासनिक मद में केवल पांच करोड़ रूपए का बजट ही मिल सकेगा। पांच करोड़ के बजट से अनुबंध के कर्मचारियों को 31 मार्च 2012 तक मानदेय का भुगतान करना मुश्किल होगा। बजट के अभाव में प्रशासन ने अनुबंध के कर्मचारियों को करीब छह महीने के लिए हटाने का विचार किया है। नए वित्तीय वर्ष में अनुबंध के कर्मचारियों को पुन: काम पर रखा जाएगा। प्रशासन ने विचार पर अमल किया तो सैंकड़ों अनुबंध के कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
इनका कहना है
मनरेगा में प्रशासनिक मद में बजट की कमी होने की आशंका है। हम नकारा कर्मचारियों को हटाएंगे और खाली पदों पर फिलहाल भर्ती नहीं करेंगे। रामनिवास जाट सीईओ जिला परिषद अजमेर