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Posted On at by NREGA RAJASTHANझारखंड में नरेगा : भ्रष्टाचार की परतें उधेडती रिपोर्ट तब, वह मस्टररोल स्थानीय मजदूरों के नाम पर कैसे तैयार हो गये? इसके जवाब में एसडीओ ने फर्जी मस्टररोल के पीछे गरीब मजदूरों को ही दोषी करार दिया है। उनके अनुसार मशीनों से काम लेने और बाहर से मजदूर बुलाने के पीछे भी स्थानीय मजदूरों की ही सहमति थी। एवज में उन्होंने बिना मजदूरी किये दो-दो सौ रूपए भी वसूल लिये। एसडीओ साहब, बतौर सबूत, जांच दल के सामने मजदूरों की स्वीकारोक्ति वाले एक दस्तावेज का हवाला भी देते हैं। उनके अनुसार, अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर लेने से पहले उस दस्तावेज का मजमून मजदूरों को सुना दिया गया था। यानी, गरीब मजदूरों ने किया सामूहिक फर्जीवाडा?..!! चौंकाने वाली इस रिपोर्ट की सच्चाई जानने के लिये ज्यां द्रेज की नरेगा सर्वे टीम ने जब मसमोहना गांव का दौरा किया तो गांववालों ने सरकारी जांच दल के दावों की हवा निकाल दी। सर्वे टीम सदस्य प्रवीण और वैलेंटिना के अनुसार अपढ मजदूर-मजदूरनियों ने सरकारी जांच दल ने किसी दस्तावेज पर उनके निशान लिये जाने की बात तो कही, लेकिन पढकर सुनाये जाने की बात को सिरे से खारिज कर दिया। मशीन से काम लिये जाने के पीछे दो दलालों वासुदेव महतो, वीरेंद्र यादव और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत की बात भी गांववालों ने बतायी। दो-दो सौ रूपए तो दूर, चंद रोज का जो काम मिला था, उसकी भी मजदूरी नहीं मिली। उसपर से सामूहिक फर्जीवाडे का आरोप! वैसे भी, बेचारे मजदूरों की क्या हैसियत है, अफसरों-बाबुओं-दलालों की भ्रष्ट तिकडी पर जब विख्यात अर्थशास्त्री और नरेगा के आर्किटेक्ट ज्यां द्रेज ने उंगली उठायी तो उन्हें भी कठघडे में खडा कर दिया गया, झारखंड में। (साभार : हिन्दुस्तान, रांची.अफसर, दलाल और जांच कमेटी- चोर-चोर मौसेरे.. !
नरेगा में अफसरों-बाबुओं के भ्रष्टाचार के किस्से एक-एक कर उजागर हो रहे हैं। जाली मस्टररोल बनता है। शिकायत मिलने पर एसडीओ के नेतृत्व में उच्चस्तरीय कमिटी जांच करती है। लेकिन, नतीजा?.. वही, चोर-चोर मौसेरे भाई! जांच कमिटी ने भी मजदूरों को ही धोखेबाज, मुफ्तखोर करार दिया।
मामला, कोडरमा जिला के मसमोहना ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत पौने पांच लाख के तालाब निर्माण का है। एक जनसुनवाई के दौरान उस निर्माण में भारी अनियमितता की शिकायतें आयी। जिला प्रशासन ने एसडीओ, बीडीओ और जीपीआरओ को जांच का जिम्मा सौंपा। 27 जून को जांच के बाद एसडीओ ने रिपोर्ट में यह तो स्वीकारा कि तालाब का निर्माण दलाल की मदद लेकर जेसीबी खुदायी मशीन से करवाया गया। यही नहीं, पत्थरों को खोदने के लिये स्थानीय मजदूरों की बजाय दूसरे जिलों से लोग बुलाये जाने की बात भी स्वीकारी। जाहिर है, यह दोनों प्रक्रिया नरेगा नियमों का घोर उल्लंघन है। लेकिन, रिपोर्ट में इस अनियमितता से पल्ला झाडते हुए तर्क दे दिया गया कि स्थानीय मजदूरों ने काम करने से मना कर दिया था।
**Thursday_NREGA NEW's
Posted On at by NREGA RAJASTHANअभी नरेगा में शारीरिक श्रम के ही काम हो रहे है: सीपी जोशी नई दिल्ली। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में कुशल मजदूरों को भी जो़डा जाएगा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा. सीपी जोशी ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008-09 में 15 करोड लोग नरेगा के तहत काम करने के हकदार थे पर केवल 14 प्रतिशत लोगों ने ही काम किया। उन्होंने कहा कि अभी नरेगा में शारीरिक श्रम के ही काम हो रहे है, इसलिए बाकी लोग यह काम नही करना चाहते। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए सरकार नरेगा के तहत कुशल मजदूरों का भी इस्तेमाल करना चाहती है ताकि अधिक लोगों को काम मिल सके। हम इसके लिए अध्ययन कर रहे है। उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि नरेगा के तहत न्यूनतम दिहाडी प्रति दिन 100 रूपए करने के बारे में निर्णय ले लिया गया है और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि नरेगा के क्रियान्वयन को कारगर बनाने के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों को निर्देश दिए जा रहे है। उनसे कहा जा रहा है कि वे ग़डब़डयों को दूर करने की प्रणाली विकसित करे। उन्हें लोकपाल नियुक्त करने के बारे में भी कहा जा रहा है। इसके अलावा पंचायतों को भी ज्यादा सक्रिय बनाने के लिए कहा गया है।