राजस्थान में अब नरेगा मजदूरी के तहत मिलेंगे 119 रुपए
Posted On at by NREGA RAJASTHANजयपुर. केंद्र सरकार ने नरेगा की मजदूरी को कृषि श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ते हुए इसमें 17 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की घोषणा की है।
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सलाह पर की गई इस वृद्धि से राजस्थान में नरेगा मजदूरों को अब 119 रु. की दर से मजदूरी मिलेगी। इससे पहले प्रदेश में श्रमिकों को 100 रु. मजदूरी मिल रही थी। यह 1 जनवरी, 11 से लागू होगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर नरेगा की मजदूरी को मूल्य सूचकांक से जोड़ने और देशभर में दरों को बढ़ाने का आग्रह किया था।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सी.पी. जोशी ने गुरुवार को नई दिल्ली में इसकी घोषणा की। अन्य राज्यों में वहां के सूचकांक के आधार पर बढ़ोतरी तय होगी। इसके अनुसार सबसे कम 117 रुपए मेघालय में और सबसे अधिक चंडीगढ़ में 174 रुपए होगी। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने पर हर साल इसमें वृद्धि होती रहेगी। इसके लिए 1 अप्रेल, 2009 को मूल्य सूचकांक 100 माना गया है।
इसके आधार पर राजस्थान में दर 119 रुपए होती है। अन्य राज्यों में वहां के सूचकांक के आधार पर बढ़ोतरी तय होगी। इसके अनुसार सबसे कम 117 रुपए मेघालय में और सबसे अधिक चंडीगढ़ में 174 रुपए होगी। वैसे अंडमान में 170 रुपए और निकोबार में 181 रुपए तय की गई है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर नरेगा की मजदूरी को मूल्य सूचकांक से जोड़ने और देशभर में दरों को बढ़ाने का आग्रह किया था। प्रधानमंत्री ने गहलोत के इस आग्रह को मानते हुए इसे हरी झंडी दी है। उल्लेखनीय है कि सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान की ओर से नरेगा की मजदूरी को मूल्य सूचकांक से जोड़ने की मांग को लेकर जयपुर में लंबे समय तक धरना दिया था।
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नरेगा कार्यो का निरीक्षण, श्रमिक अनुपस्थित
Posted On at by NREGA RAJASTHANश्रीगंगानगर। भारतीय मजदूर संघ के राजस्थान व गुजरात प्रदेश प्रभारी डॉ. बी.के.राज के अनुसार देश में महानरेगा योजना भ्रष्टाचार का अaा बन गई है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की विभिन्न नदियों को जोड़ने की योजना बनाई थी। उसे यदि महानरेगा के जरिए पूरा किया जाता है तो यह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
यहां संगठन की दो दिवसीय प्रदेश कार्य समिति की बैठक के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि राहत के नाम पर फिजूल खर्ची कैंसर रूपी बीमारी बन चुकी है। पेंशन आदि से सामाजिक सहायता दी जा सकती है लेकिन नरेगा में खर्च होने वाली राशि में युवा श्रमिकों को पंगु बना रही है। श्रमिक की आजीविका के साथ उसका काम भी राष्ट्रहित में दिखना चाहिए। आजादी के बासठ साल बीतने के बावजूद श्रमिकों को उनके काम की सुरक्षा नहीं मिली है।
देश में भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक भ्रष्टाचार पर कड़ी टिप्पणियां कर चुका है लेकिन केन्द्र और राज्य सरकारों ने इसे अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है।
प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह अहवाना ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 135 रूपए की है, यह महंगाई को देखते हुए काफी कम है। संगठन ने न्यूनतम ढाई सौ रूपए मजदूरी की मांग की थी। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय दस हजार रूपए, आशा सहयोगिनी और साथिनों के लिए पांच हजार रूपए करने की मांग की। प्रदेश महामंत्री राजबिहारी शर्मा ने कहा कि श्रमिक कल्याण और सुरक्षा के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन करने की जरूरत है।
उन्होंने रोडवेज में सुधार के लिए बसों के अवैध संचालन को सख्ती से बंद करवाने का प्रस्ताव रखा। संभागीय अध्यक्ष गौरीशंकर व्यास ने गत बैठक के बिन्दुओं पर विस्तृत जानकारी दी।
गुर्जर आंदोलन जैसा माहौल
डा. राज के अनुसार संगठन श्रमिकों की मांगों के लिए राज्य सरकार से आर-पार की गई लड़ने को तैयार है। राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में उनका कहना था यही हाल रहे तो गुर्जर आंदोलन जैसा माहौल बनाने में देर नहीं लगेगी।