राज्य के वित्त मंत्री एवम् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई घोषणाएं की
Posted On at by NREGA RAJASTHANपूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता चुने जाने के बाद जहां एक ओर भाजपा में गुटबाजी ने जोर पकडना प्रारम्भ हो गया हैं वही सत्तारूढ पार्टी एवम् आम आदमी की सरकार में अजीब सी हलचल होने लगी है। भाजपा में गुटबाजी विधानसभा चुनाव के बाद से ही दिखाई देने लगी थी जब भाजपा के एक गुट ने वसुन्धरा राजे के नेता प्रतिपक्ष पद से हटाने की मुहिम छेडी थी परिणामस्वरूप भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने वसुन्धरा राजे को नेता प्रतिपक्ष के पद से त्याग पत्र देने को कहा था । लम्बी खींचतान के बाद वसुन्धरा ने त्याग पत्र दिया समझौता स्वरूप राष्ट्रीय महासचिव के पद का स्वीकारा । तब से वसुन्धरा राजे समर्थक विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष किसी ओर को नहीं बनने दिया । राज्य की प्रमुख विपक्ष उपनेता के सहारे विधान सभा में विपक्ष की भूमिका अदा करती रही।
वसुन्धरा राजे के पुनः प्रतिपक्ष नेता चुने जाने के बाद विधान सभा के बजट सत्र विपक्ष ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। बजट को लेकर प्रतिपक्ष ने नेता वसुन्धरा राजे ने बजट को कमजोर सरकार का कमजोर बजट करार दिया तथा राज्य सरकार को सुझाव दिया कि डीजल घ्ेट्रोल पर वेट घटाना चाहिये। केन्द्र किसानों के लिए आधा अनुदान भुगतने को तैयार है तो भी डीजल सस्ता न करने तर्क समझ नहीं आता। बजट में न कोई सोच है और न ही विजन जबकि देश दुनिया की बदलती स्थितियों मे यह वक्त बडे निर्णय लेने का है। राजकोषीय घाटा बढ रहा हैं । राज्य सरकार केन्द्रीय योजनाओं में मिलने वाला धन का खर्च करने में असफल रहा है। प्रतिपक्ष नेता के सवालों का उत्तर देते हुए राज्य के वित्त मंत्री एवम् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई घोषणाएं कर डाली। जिसके तहत महानरेगा सहायकों का मानदेय 3000 से बढा कर 3510 रूपयें, ग्राम रोजगार सहायक का 3500 से 4000, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर का 4000 से 5330 रूपये करने, जयपुर में नया पर्यटन भवन बनाने विधायकों के लिए जयपुर में अगले साल में 50 बहुमंजिलें फ्लैट्स व माही परियोजना का बांसवाडा में रेस्ट एवं सfकZट हाउस बनाने, जिला प्रमुखों को 1 1 अतिवहन उपलब्ध करवाने के अलावा कई वस्तुओं में कर राहत देने की घोषणा सदन में की।
पक्ष एवम् प्रतिपक्ष के बीच खीचातानी के बावजूद बजट तो पास होना तय हो गया । पर प्रतिपक्ष द्धारा सदन में शो शराबा एवम् सदन से वॉक आउट कर समय की बरबादी एवम् जनता की कमाई धन का दुरूपयोग हुआ, उसका हिसाब तो आने वाले समय में जनता अवश्य वसूलेगी। सर्वविदित है कि भाजपा अर्न्तकलह में डूबा पडा है। नेता प्रतिपक्ष वसुन्धरा राजे के खिलाफ एक गुट सक्रिय है। उसकी शक्ति को कम करने या अस्तित्वहीन करने में वसुन्धरा राजे समर्थक लगे पडे है। माना जाता है कि घनश्याम तिवाडी व गुलाबचन्द कटारिया गुट को कमजोर करने की पहल हो चूकी है और दोनो नेताओं का वर्चस्व क्षेत्र से उनकी वर्चस्वता खत्म करने के लिए बैठक, भोज एवम् अन्य उपाय हने लगे है।
मेवाड व वागड क्षेत्र में गुलाब चन्द कटारिया का अपना प्रभाव है। उन्हीं के सहयोग माने जाने वाले अधिकांश स्थानीय नेता उनके खिलाफ उठ खडे होने के लिए आत्तुर हैं । अब यह मुहिम क्या रंग लायेगी वक्त बतायेगा । इतना तय है कि सत्तारूढ कांग्रेस इस खींचतान में बेलगाम के घोडो की तरह मनमानी करेगे। वैसे भी गहलोत सरकार खुद ही अपने चक्रव्युह में उलझती जा रही हैं । मंत्रीयों की मनमानी और विधायकों की छीटाकंशी ने गांधीवादी सिद्धान्त पर चलने वाले गहलोत के सरदर्द एवम् मजबुरी है ?
वसुन्धरा राजे के पुनः प्रतिपक्ष नेता चुने जाने के बाद विधान सभा के बजट सत्र विपक्ष ने सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की। बजट को लेकर प्रतिपक्ष ने नेता वसुन्धरा राजे ने बजट को कमजोर सरकार का कमजोर बजट करार दिया तथा राज्य सरकार को सुझाव दिया कि डीजल घ्ेट्रोल पर वेट घटाना चाहिये। केन्द्र किसानों के लिए आधा अनुदान भुगतने को तैयार है तो भी डीजल सस्ता न करने तर्क समझ नहीं आता। बजट में न कोई सोच है और न ही विजन जबकि देश दुनिया की बदलती स्थितियों मे यह वक्त बडे निर्णय लेने का है। राजकोषीय घाटा बढ रहा हैं । राज्य सरकार केन्द्रीय योजनाओं में मिलने वाला धन का खर्च करने में असफल रहा है। प्रतिपक्ष नेता के सवालों का उत्तर देते हुए राज्य के वित्त मंत्री एवम् मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई घोषणाएं कर डाली। जिसके तहत महानरेगा सहायकों का मानदेय 3000 से बढा कर 3510 रूपयें, ग्राम रोजगार सहायक का 3500 से 4000, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर का 4000 से 5330 रूपये करने, जयपुर में नया पर्यटन भवन बनाने विधायकों के लिए जयपुर में अगले साल में 50 बहुमंजिलें फ्लैट्स व माही परियोजना का बांसवाडा में रेस्ट एवं सfकZट हाउस बनाने, जिला प्रमुखों को 1 1 अतिवहन उपलब्ध करवाने के अलावा कई वस्तुओं में कर राहत देने की घोषणा सदन में की।
पक्ष एवम् प्रतिपक्ष के बीच खीचातानी के बावजूद बजट तो पास होना तय हो गया । पर प्रतिपक्ष द्धारा सदन में शो शराबा एवम् सदन से वॉक आउट कर समय की बरबादी एवम् जनता की कमाई धन का दुरूपयोग हुआ, उसका हिसाब तो आने वाले समय में जनता अवश्य वसूलेगी। सर्वविदित है कि भाजपा अर्न्तकलह में डूबा पडा है। नेता प्रतिपक्ष वसुन्धरा राजे के खिलाफ एक गुट सक्रिय है। उसकी शक्ति को कम करने या अस्तित्वहीन करने में वसुन्धरा राजे समर्थक लगे पडे है। माना जाता है कि घनश्याम तिवाडी व गुलाबचन्द कटारिया गुट को कमजोर करने की पहल हो चूकी है और दोनो नेताओं का वर्चस्व क्षेत्र से उनकी वर्चस्वता खत्म करने के लिए बैठक, भोज एवम् अन्य उपाय हने लगे है।
मेवाड व वागड क्षेत्र में गुलाब चन्द कटारिया का अपना प्रभाव है। उन्हीं के सहयोग माने जाने वाले अधिकांश स्थानीय नेता उनके खिलाफ उठ खडे होने के लिए आत्तुर हैं । अब यह मुहिम क्या रंग लायेगी वक्त बतायेगा । इतना तय है कि सत्तारूढ कांग्रेस इस खींचतान में बेलगाम के घोडो की तरह मनमानी करेगे। वैसे भी गहलोत सरकार खुद ही अपने चक्रव्युह में उलझती जा रही हैं । मंत्रीयों की मनमानी और विधायकों की छीटाकंशी ने गांधीवादी सिद्धान्त पर चलने वाले गहलोत के सरदर्द एवम् मजबुरी है ?