नरेगा में नहीं मिल रहे काम करने वाले
Posted On at by NREGA RAJASTHANभीलवाड़ा। सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा में काम संभालने वाले कर्मचारियों का ही टोटा पड़ा हुआ है। कहीं कम्प्यूटर ऑपरेटरों की कमी है, तो कहीं रोजगार सहायक ही नहीं मिल रहे।
हाल ही ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के प्रमुख शासन सचिव सीएस राजन एवं शासस सचिव तन्मय कुमार द्वारा ली गई वीडियो कॉन्फ्रेन्स में भी रिक्त पदों की समस्य उभरकर सामने आई थी। सभी जिलों में अनुबंध कार्मिकों के पद रिक्त हैं। कनिष्ठ तकनीकी सहायक, एमआईएस मैनजर, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर एवं ग्राम रोजगार सहायक नहीं होने से योजना क्रियान्वयन में कठिनाई हो रही है। कलक्टरों को सभी स्तर के रिक्त पद शीघ्र भरने के लिए "वॉक इन इंटरव्यू"का सुझाव दिया गया है।
कहां हैं पद खाली
झालावाड़, सवाईमाधोपुर, नागौर, धौलपुर, करौली, श्रीगंगानगर एवं बूंदी जिलों में ग्राम रोजगार सहायकों के काफी पद रिक्त हैं। कनिष्ठ तकनीकी सहायकों के बीकानेर में 36, करौली में 30, नागौर में 19, भीलवाड़ा में 17, अजमेर में 14, धौलपुर में 12 एवं बारां में 15 पद रिक्त हैं। लेखा सहायकों के अजमेर में 20, धौलपुर में 9, श्रीगंगानगर में 6, बूंदी एवं झालावाड़ में 4-4 पद रिक्त हैं। एमआईएस मैनजर के अजमेर में 8, नागौर में 3, टोंक में 6, श्रीगंगानगर में 5, झालावाड़ में 6, धौलपुर में 4 एवं करौली में एक पद रिक्त है।
पद भी नहीं भरे
भीलवाड़ा, नागौर, टोंक, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, चूरू, बारां, झालावाड़ एवं कोटा में "कम्प्यूटर ऑपरेटर मय मशीन" का अब तक एक भी रिक्त पद नहीं भरा गया है।
कम मानदेय कारण
संविदा भर्ती में कार्मिक नहीं मिलने के पीछे बड़ा कारण योग्यता के अनुपात में मानदेय कम मिलना है। ऑपरेटर के लिए स्नातक के साथ एक वर्ष के कम्प्यूटर डिप्लोमा की योग्यता मांगी जाती है। इनका मासिक मानदेय साढ़े चार हजार रूपए हैं। इससे अधिक वेतन निजी क्षेत्र में मिल जाता है।
हाल ही ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के प्रमुख शासन सचिव सीएस राजन एवं शासस सचिव तन्मय कुमार द्वारा ली गई वीडियो कॉन्फ्रेन्स में भी रिक्त पदों की समस्य उभरकर सामने आई थी। सभी जिलों में अनुबंध कार्मिकों के पद रिक्त हैं। कनिष्ठ तकनीकी सहायक, एमआईएस मैनजर, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर एवं ग्राम रोजगार सहायक नहीं होने से योजना क्रियान्वयन में कठिनाई हो रही है। कलक्टरों को सभी स्तर के रिक्त पद शीघ्र भरने के लिए "वॉक इन इंटरव्यू"का सुझाव दिया गया है।
कहां हैं पद खाली
झालावाड़, सवाईमाधोपुर, नागौर, धौलपुर, करौली, श्रीगंगानगर एवं बूंदी जिलों में ग्राम रोजगार सहायकों के काफी पद रिक्त हैं। कनिष्ठ तकनीकी सहायकों के बीकानेर में 36, करौली में 30, नागौर में 19, भीलवाड़ा में 17, अजमेर में 14, धौलपुर में 12 एवं बारां में 15 पद रिक्त हैं। लेखा सहायकों के अजमेर में 20, धौलपुर में 9, श्रीगंगानगर में 6, बूंदी एवं झालावाड़ में 4-4 पद रिक्त हैं। एमआईएस मैनजर के अजमेर में 8, नागौर में 3, टोंक में 6, श्रीगंगानगर में 5, झालावाड़ में 6, धौलपुर में 4 एवं करौली में एक पद रिक्त है।
पद भी नहीं भरे
भीलवाड़ा, नागौर, टोंक, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, चूरू, बारां, झालावाड़ एवं कोटा में "कम्प्यूटर ऑपरेटर मय मशीन" का अब तक एक भी रिक्त पद नहीं भरा गया है।
कम मानदेय कारण
संविदा भर्ती में कार्मिक नहीं मिलने के पीछे बड़ा कारण योग्यता के अनुपात में मानदेय कम मिलना है। ऑपरेटर के लिए स्नातक के साथ एक वर्ष के कम्प्यूटर डिप्लोमा की योग्यता मांगी जाती है। इनका मासिक मानदेय साढ़े चार हजार रूपए हैं। इससे अधिक वेतन निजी क्षेत्र में मिल जाता है।
डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने की मानदेय बढ़ाने की मांग
Posted On at by NREGA RAJASTHANसमदड़ी & राजस्थान नरेगा कम्प्यूटर संघ सिवाना ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन प्रेषित कर नरेगा में लगे डाटा एंट्री ऑपरेटरों का मानदेय बढ़ाने की मांग की है। डाटा एंट्री ऑपरेटर हतेसिंह ने बताया कि डाटा एंट्री ऑपरेटरों को दिए जा रहे मानदेय से इनके लिए गृहस्थी की गाड़ी चलाना मुश्किल हो गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत तकनीकी सहायक को जहां 10 हजार रुपये तथा लेखा सहायक को 8 हजार रुपये मानदेय के रूप में दिये जा रहे हैं। वहीं नरेगा योजना प्रबंधन एवं जानकारी के मूल कार्य डाटा फीडिंग करने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटरों को मात्र 4 हजार रुपये ही दिये जा रहे हैं जो कि ऐसी महंगाई के जमाने में बहुत कम है। एक तरफ जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा एनआरएचएम में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटरों को 8500 रुपये दिये जा रहे हैं, वहीं मस्टररोल फीडिंग के महत्वपूर्ण कार्य करने वाले इन नरेगा डाटा एंट्री ऑपरेटरों को नाम मात्र मानदेय मिल रहा है।
नरेगा का काम करने वाले अभियंताओं का वेतन मजदूरों से भी कम है
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तकनीकी सहायकों के रूप में काम कर रहे कनिष्ठ अभियंताओं को कुशल श्रमिकों से भी कम 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है। जिले में पंचायतों के मुताबिक 68 जेटीओ का काम 55 जने कर रहे हैं। सरकार की इस बेरुखी से खफा अभियंताओं ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को स्थिति से अवगत करवा कर वेतन और पद बढ़ाने के सुझाव भेजे हैं। राज्य में कुशल श्रमिकों का वेतन ढाई सौ से साढ़े तीन सौ रुपए प्रतिदिन है, वहीं डिप्लोमा व डिग्रीधारी अभियंताओं के समकक्ष संविदा पर लगे नर्सिगकर्मियों और डॉक्टरों को 15 से 20 हजार रुपए मासिक मिलते हैं।
दूसरी ओर नरेगा के तहत तकनीकी सहायकों को 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से आठ हजार रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं। अभियंताओं के प्रति सरकारी बेरुखी का यह आलम है कि प्रदेश में हर साल तैयार होने वाले सिविल इंजीनियरों में से अधिकांश बेरोजगार है। दूसरी तरफ नरेगा में जेटीओ के कई पद रिक्त हैं। जिले में 13 तथा पूरे प्रदेश में 200 से ज्यादा पद खाली हैं। आंकड़ों के अनुसार जिले में नियुक्त 1 लाख 21 हजार 700 नरेगा श्रमिकों पर 81 जेटीओ की जरूरत है। इसके बावजूद यहां जेटीओ के पद नहीं भरे गए। कम वेतन से जेटीओ में मायूसी है और पद रिक्त होने से कार्य प्रभावित हो रहा है।
अभियंताओं के सुझाव
नरेगा के प्रति अभियंताओं में रुचि पैदा करने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभियंता संघ ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को कुछ सुझाव भेजे हैं। उन्होंने वेतन 15 हजार करने, अनुबंध के साथ वेतन बढ़ाने, यात्रा भत्तों का भुगतान मासिक रूप से करने, गैर तकनीकी कार्यो का टास्क पूरा नहीं होने पर निरीक्षणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और भुगतान में देरी पर जेटीओ के साथ एडीपीसी से भी शास्ती वसूलने के सुझाव दिए हैं।
जोधपुर। नरेगा का काम करने वाले अभियंताओं का वेतन मजदूरों से भी कम है।
Source - www.pratahkal.com
तकनीकी सहायकों के रूप में काम कर रहे कनिष्ठ अभियंताओं को कुशल श्रमिकों से भी कम 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है। जिले में पंचायतों के मुताबिक 68 जेटीओ का काम 55 जने कर रहे हैं। सरकार की इस बेरुखी से खफा अभियंताओं ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को स्थिति से अवगत करवा कर वेतन और पद बढ़ाने के सुझाव भेजे हैं। राज्य में कुशल श्रमिकों का वेतन ढाई सौ से साढ़े तीन सौ रुपए प्रतिदिन है, वहीं डिप्लोमा व डिग्रीधारी अभियंताओं के समकक्ष संविदा पर लगे नर्सिगकर्मियों और डॉक्टरों को 15 से 20 हजार रुपए मासिक मिलते हैं।
दूसरी ओर नरेगा के तहत तकनीकी सहायकों को 265 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से आठ हजार रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं। अभियंताओं के प्रति सरकारी बेरुखी का यह आलम है कि प्रदेश में हर साल तैयार होने वाले सिविल इंजीनियरों में से अधिकांश बेरोजगार है। दूसरी तरफ नरेगा में जेटीओ के कई पद रिक्त हैं। जिले में 13 तथा पूरे प्रदेश में 200 से ज्यादा पद खाली हैं। आंकड़ों के अनुसार जिले में नियुक्त 1 लाख 21 हजार 700 नरेगा श्रमिकों पर 81 जेटीओ की जरूरत है। इसके बावजूद यहां जेटीओ के पद नहीं भरे गए। कम वेतन से जेटीओ में मायूसी है और पद रिक्त होने से कार्य प्रभावित हो रहा है।
अभियंताओं के सुझाव
नरेगा के प्रति अभियंताओं में रुचि पैदा करने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभियंता संघ ने मुख्यमंत्री, पंचायतीराज मंत्री व प्रशासनिक सुधार आयोग को कुछ सुझाव भेजे हैं। उन्होंने वेतन 15 हजार करने, अनुबंध के साथ वेतन बढ़ाने, यात्रा भत्तों का भुगतान मासिक रूप से करने, गैर तकनीकी कार्यो का टास्क पूरा नहीं होने पर निरीक्षणकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और भुगतान में देरी पर जेटीओ के साथ एडीपीसी से भी शास्ती वसूलने के सुझाव दिए हैं।
जोधपुर। नरेगा का काम करने वाले अभियंताओं का वेतन मजदूरों से भी कम है।
Source - www.pratahkal.com