नरेगा में 15 लाख के घोटाले की जांच शुरू
Posted On at by NREGA RAJASTHANनरेगा में 15 लाख के घोटाले की जांच शुरू
डेगाना. ग्राम पंचायत गोनरडा में पिछले साल नरेगा कार्यो में उजागर हुए 15.53 लाख के घोटाले की धीमी गति से चल रही जांच के तहत बुधवार को पुलिस ने डेगाना विकास अधिकारी से जानकारी ली। पुलिस में दर्ज एफआइआर के तहत पादू थानाधिकारी ने मामले की विस्तृत जांच के लिए गबन संबधी फाइलें मांगी। विकास अधिकारी ने बताया कि गोनरडा में तत्कालीन सरपंच और ग्राम सेवक पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने नरेगा मजदूरों का भुगतान नहीं किया। भुगतान को लेकर श्रमिीकों ने आन्दोलन भी किए। इसके बाद ग्राम पंचायत के रिकार्ड की विस्तृत जांच कराई गई तो खुलासा हुआ कि दो साल में अनेक नरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं किया गया। कई श्रमिकों को काम के मूल्यांकन से अधिक और कम भुगतान कर दिया गया। सरपंच ने अनधिकृत रूप से ग्राम पंचायत के खाते से राशि उठा ली। पंचायत के रिकार्ड में कमियां पाई गई। इन अनियमितताओं के संबंध ग्राम सेवक व सरपंच से पूछा गया, लेकिन उन्होंने बिल, बाउचर पेश नहीं किए। तब उजागर हुआ कि 15.53 लाख रुपए का गबन कर लिया गया था। इस पर विकास अधिकारी ने पादू थाने में ग्राम सेवक और सरपंच के खिलाफ मार्च में सरकारी राशि के गबन करने का मुकदमा दर्ज कराया था।
जांच हो रही है : विकास अधिकारी सुधीर कुमार सक्सेना ने बताया कि कुल 15.53 लाख रुपए के गबन का मामला पिछले साल प्रकाश में आया था। इसकी सूचना कलेक्टर को दी गई। उनके निर्देशानुसार संबधित लोगों के ख्लिाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जांच हो रही है।
पादू थानेदार का कहना है कि गोनरडा के ग्राम सेवक सोहनलाल और सरपंच मोहनराम के खिलाफ सरकारी राशि के गबन का मामला दर्ज कराया था। इसकी जांच के लिए विभागी जांच रिपोट, एम.बी., मस्टर रोल लिए गए हैं। मामले की जांच की जा रही है। गबन के आरोपों के बाद संबंधित ग्राम सेवक सोहनलाल ने तीन लाख रुपए पंचायत समिति के खाते में जमा भी कराए।
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पेट्रोल में जला दिया नरेगा का पैसा
Posted On at by NREGA RAJASTHANपेट्रोल में जला दिया नरेगा का पैसा
जोधपुर.नरेगा को एक्ट के माध्यम से पूरे देश में लागू किया गया था ताकि पैसों का सही उपयोग हो, मगर जोधपुर में मनमर्जी से कायदों में फेरबदल कर दो लाख रुपए तो पेट्रोल में फूंक दिए गए और करीब तीन लाख रुपए भवन का किराया देने में खर्च कर दिए गए। पांच लाख रुपए का यह खर्चा प्रशासनिक अनुमत राशि में से किया गया जो कि एक्ट के विरुद्ध है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पिछले दो सालों में हुए नरेगा के कार्यो की ऑडिट में लेजर व बैलेंस शीट की समीक्षा करने के बाद टिप्पणी की है कि प्रशासनिक मद में से पेट्रोल खर्च के नाम पर 2 लाख 11 हजार 928 रुपए खर्च करना नियमविरुद्ध है।
ऑडिट टीम ने स्पष्ट किया कि केंद्र व राज्य सरकार के निर्देशों के मुताबिक नरेगा कार्यो के लिए वाहन किराए पर लेने चाहिए। कैग ने अतिरिक्त कार्यक्रम समन्वयक से उन वाहनों की जानकारी मांगी है, जिनमें पेट्रोल भरवाया गया था।
साथ ही पूछा है कि यह खर्च किन नियमों के तहत किया गया। कैग ने यह भी पूछा है कि वर्ष 2008-09 में किराए पर लिए वाहनों की संख्या कितनी थी तथा किन अफसरों को वाहन दिए गए।
भवन किराए के दे दिए 3 लाख
नरेगा एडीपीसी कार्यालय जिला परिषद के भवन में किराए पर चल रहा है। इसके लिए नरेगा से 35 हजार रुपए प्रति माह चुकाए जा रहे हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के आदेशानुसार प्रशासनिक व्यय में परिचालन, टेलीफोन व पोस्टेज आदि के खर्चे ही अनुमत किए गए हैं,
जबकि जोधपुर में दिसंबर 09 से अगस्त 10 तक भवन किराए पर नरेगा के 2 लाख 98 हजार रुपए खर्च कर दिए जो गैर अनुमत व्यय है। कैग ने गैर अनुमत व्यय करने के कारणों का स्पष्टीकरण मांगा है।
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मनरेगा में मस्टररोल ट्रेकिंग सिस्टम
Posted On at by NREGA RAJASTHAN08 Dec 2010
श्रीगंगानगर। मनरेगा में श्रमिकों को एक पखवाड़े में मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए जिले में मस्टररोल ट्रेकिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। सरकार को मजदूरी भुगतान में विलंब की शिकायतें लगातार मिलने के बाद मस्टररोल ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने का निर्णय किया गया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के प्रमुख शासन सचिव सीएस राजन ने जिला कलक्टर व जिला कार्यक्रम समन्वयक को जिले में सिस्टम लागू करने के लिए निर्देश दिए हैं।
इस पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने समस्त पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को परिपत्र जारी कर सिस्टम को अमली जामा पहनाने के निर्देश हैं। पंचायत समिति श्रीगंगानगर, सूरतगढ़ व रायसिंहनगर में यह लागू भी कर दिया और अन्य पांच पंचायत समितियों में इसकी कवायद शुरू हो गई है।
यह है सिस्टम
मस्टररोल ट्रेकिंग सिस्टम में भुगतान की की प्रक्रिया एवं समयावधि निर्धारित कर दी गई है। यह सुनिश्चित किया गया है कि श्रमिकों को भुगतान हर हालत में पखवाड़ा समाप्ति के पंद्रह दिवस के अंदर हो जाए। भुगतान के लिए जिम्मेदार कर्मचारी-अधिकारियों की ओर से की जानी वाली कार्रवाई के लिए निर्धारित तिथि पहले से ही निश्चित कर दी है। कार्रवाई में किस कर्मचारी-अधिकारी के यहां कितना विलंब हुआ इसका अंकन भी होगा। इसमें देरी करने वालों के खिलाफ विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करेगा।
देरी पर जुर्माना
इसमें पखवाड़ा से भी अधिक समय तक मजदूरी भुगतान नहीं होने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जुर्माना राशि की अदायगी विलंब के लिए उत्तरदायी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को करनी होगी। श्रमिक को देरी से मजदूरी का भुगतान मिलने पर दावा करना होगा। इस पर मुआवजा तीन हजार रूपए देय होगा। प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष दावा भुगतान प्रार्थना पत्र लंबित रहते हुए बकाया मजदूरी भुगतान कर दिया जाएगा तो भी 2 हजार रूपए श्रमिक को भुगतान करना होगा।
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राजस्व रिकार्ड में महानरेगा सडकों का अंकन
Posted On at by NREGA RAJASTHAN10 Dec 2010
बांसवाडा । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत निर्मित सडकों का अंकन अब प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत राजस्व रिकार्ड में किया जा सकेगा। जयपुर जिले में अपनाए इस नवाचार को पूरे प्रदेश में लागू करने के आदेश जारी किए गए हैं। ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग के आयुक्त व शासन सचिव तन्मय कुमार की ओर से आठ दिसम्बर को जारी आदेशानुसार महानरेगा के तहत निर्मित सडकों का राजस्व रिकार्ड में अंकन करने की जयपुर जिला प्रशासन की पहल को अच्छा प्रयास माना है और इसे पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए जिला कार्यक्रम समन्वयकों को निर्देश दिए हैं। यह हैं आदेश निजी खातेदारी से निर्मित सडकों के संबंध में सडक क्षेत्र में आने वाली भूमि के क्षेत्रफल की गणना कर संबंधित काश्तकार से समर्पणनामा लेने और राजस्थान टीनेन्सी एक्ट 1955 की धारा 59 के प्रावधानों के तहत तहसीलदार समर्पणनामा सत्यापित करेंगे। इसके उपरांत ही सडकों के क्षेत्र का राजस्व अभिलेख में अंकन किया जाएगा। मंजूरी पर स्थाई अंकन सिवायचक और चारागाह भूमि में निर्मित सडकों का शिविरों में राजस्थान भूमि राजस्व नियम 1957 के नियम 59 के तहत नक्शे में अंकन किया जाएगा। तहसीलदार इसके प्रस्ताव तैयार कर उपखंड अधिकारी के माध्यम से जिला कलक्टर को मंजूरी के लिए भिजवाएंगे। मंजूरी जारी होने पर राजस्व रिकार्ड में सडकों और रास्तों की भूमि का स्थायी अंकन किया जाएगा। सडकों का विवरण शिविर में उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कार्यक्रम अधिकारियों को सौंपी गई है। वेज लिस्ट की नई व्यवस्था इधर, श्रमिकों को होने वाले भुगतान के लिए जारी होने वाली कम्प्यूटराइज्ड वेज लिस्ट के संबंध में भी नई व्यवस्था की गई है। अब विकास अधिकारी व कार्यक्रम अधिकारी की ओर से जारी वेज लिस्ट दोनों अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद कार्यकारी संस्था को नहीं भेजी जाएगी। न ही कार्यकारी संस्था के किसी अधिकारी के हस्ताक्षर कराए जाएंगे। वेज लिस्ट को विकास अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी और लेखा सहायक के हस्ताक्षरों के बाद बैंक या पोस्टऑफिस में भुगतान के लिए भेजा जाएगा।
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नरेगा के इम्पैक्ट का पता लगाएगा सुविवि
Posted On at by NREGA RAJASTHANउदयपुर। नरेगा से अब तक गांवों में भौतिक से लेकर सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ा है, इसका पता लगाने की जिम्मेदारी उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय को दी गई है। इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय ने 30 लाख रूपए स्वीकृत किए हैं।
सुविवि के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने बताया कि इम्पैक्ट का सर्वेक्षण राज्य के सातों संभागों के एक-एक जिले में किया जाएगा। उदयपुर संभाग में बांसवाड़ा, अजमेर में भीलवाड़ा, जोधपुर में जैसलमेर, भरतपुर में झालावाड़, बीकानेर में गंगानगर, कोटा में सवाईमाधोपुर और जयपुर संभाग में दौसा जिले में यह सर्वेक्षण किया जाएगा।
इम्पैक्ट के मुख्य बिन्दु
-स्वीकृतियों के अनुसार काम हुए या नहीं?
-रोजगार पाने वालों के जीवन स्तर पर क्या प्रभाव पड़ा?
-गांवों में कराए कार्यो से जनता को क्या लाभ हुआ?
-अब और किस तरह के कार्यो की आवश्यकता है?
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दिल्ली में लगेगा नरेगा मेला
Posted On at by NREGA RAJASTHANभीलवाड़ा। केन्द्र सरकार एक बार फिर महात्मा गांधी नरेगा मेला लगाने की तैयारी में जुट गई है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से महात्मा गांधी नरेगा कानून पारित होने के दिवस 2 फरवरी को नई दिल्ली में होने वाले मेले में देश के प्रत्येक राज्य से दल शामिल होगा।
मेले में नरेगा में टीम भावना से श्रेष्ठ कार्य करने वाले जिला परियोजना समन्वयक (कलक्टर) के वार्षिक पुरस्कार भी दिए जाएंगे। मेले में नरेगा क्रियान्वयन में श्रेष्ठ कार्य करने वाले बैंक एवं डाकघर अधिकारियों का भी सम्मान होगा।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव बीके सिन्हा ने 7 दिसम्बर को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेज मेले की तैयारी के निर्देश दिए। केन्द्र सरकार का पत्र मिलने के बाद राज्य सरकार ने नरेगा मेले के लिए जिला स्तर से जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। मेले में राज्य स्तर पर नरेगा में अर्जित उपलब्धियों का प्रदर्शन होगा।
श्रेष्ठ जिला कार्यक्रम समन्वयक पुरस्कार पाने के लिए आवेदन 20 दिसम्बर तक किए जा सकेंगे। आवेदन करने वाले जिला कलक्टरों को मेले में नरेगा में हासिल उपलब्धियों का दस्तावेजी प्रस्तुतीकरण करना होगा। मेले में शामिल होने वाले राज्य के दल में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, लाइन विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्वयक, पंचायतराज जनप्रतिनिधि, नरेगा श्रमिक शामिल होंगे।
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नरेगा की पाई-पाई का हिसाब मांगा, प्रशासन सकते में
Posted On at by NREGA RAJASTHANनरेगा की पाई-पाई का हिसाब मांगा, प्रशासन सकते में
जयपुर. नरेगा में प्रशासनिक खर्च के ब्यौरे की जानकारी मांगे जाने से प्रदेश के सभी 33 जिलों के कलेक्टरों सहित प्रशासनिक अमले और जनप्रतिनिधियों में हड़कंप मचा हुआ है।
सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान से जुड़े मोहनसिंह ने सूचना के अधिकार के तहत ये जानकारी मांगी है। उनसे सूचनाएं देने के लिए 15 से अधिक जिलों में 1,71,477 रु. मांगे गए हैं। अन्य जिलों में भी पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों को जानकारियां देने के लिए मामला रैफर किया गया है। इनसे मिलने वाली सूचनाओं के लिए अलग से राशि देनी होगी।
दूसरी ओर, अगर प्रशासन ने 30 दिन में ये जानकारियां नहीं दी तो मोहनसिंह को सभी जानकारियां नि:शुल्क उपलब्ध करानी होंगी। नरेगा में प्रशासनिक खर्च के लिए 6 प्रतिशत राशि का प्रावधान है। इसमें वेतन-भत्तों के साथ श्रमिकों की सुविधाओं से संबंधित सामग्री की खरीद की जा सकती है।
फंस सकते हैं कई अफसर: अगर जानकारी उपलब्ध कराई गई तो ऐसे सारे मामले सामने आ जाएंगे, जो सोशल ऑडिट में नहीं बताए गए या जिनको छिपाया गया है। ऐसे में कई अफसर और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जांच शुरू हो सकती है और मामला भी दर्ज हो सकता है।
ये सूचनाएं मांगीं: नरेगा में जिले के लिए कितनी राशि जारी की गई है। 2008-09 और 2009-10 में प्रशासनिक मद में कितना खर्च किया गया है।इस राशि से कितने कंप्यूटर, प्रिंटर, लेपटॉप और अन्य उपकरण लिए गए। इसके अलावा दवाइयां, दरी, पालना, टेंट, पानी टंकी, मटके, फर्नीचर और खुदाई से संबंधित औजार की खरीद के बिल, भुगतान वाउचर, ऑडिट और अन्य जांच से जुड़े दस्तावेजों की कॉपी मांगी गई है।
दायरे में कौन: 33 कलेक्टर, 33 जिला प्रमुख, 33 सीईओ, 248 प्रधान, 248 बीडीओ, 9168 सरपंच, 9168 ग्राम सेवक, 1.25 लाख जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड पंचों के साथ विभागों के लेखा और तकनीकी कर्मचारी।
किसने कितनी राशि मांगी:
पंचायत समिति रामगढ़ (अलवर) 50,000
जिला परिषद, डूंगरपुर 30,000
जिला परिषद, अजमेर 20,000
जिला परिषद, झुंझुनूं 20,000
जिला परिषद, चूरू 11,022
पंचायत समिति, सवाई माधोपुर 24,000
जिला परिषद, सवाई माधोपुर 2972
पंचायत समिति, मारवाड़ जंक्शन (पाली) 4354
जिला परिषद, टोंक 3706
जिला परिषद, बांसवाड़ा 2943
पंचायत समिति, रियां बड़ी (नागौर) 1680
जिला परिषद, श्रीगंगानगर 800
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