NREGA Rajasthan- मनरेगा में प्रशासनिक व्यय बना गलफांस
Posted On at by NREGA RAJASTHANश्रीगंगानगर। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ग्राम पंचायतों में लोगों को रोजगार नहीं देना इससे जुड़े कार्मिकों पर भारी पड़ रहा है। पंचायतों में काम नहीं होने के बावजूद मनरेगा कर्मियों को मानदेय भुगतान होने से प्रशासनिक व्यय की राशि बढ़कर 20 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जबकि इस मद में छह प्रतिशत से अधिक राशि खर्च नहीं की जा सकती। जिला परिषद से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष 31दिसम्बर तक प्रशासनिक मद में 13.12 प्रतिशत राशि व्यय हुई है।
अधिक खर्च जिला परिषद के लिए गलफांस बन गया है और मनरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जिले के आठों विकास अधिकारियों को जिस ग्राम पंचायत में श्रमिक बहुत कम या नहीं है वहां मनरेगा स्टाफ को भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इस स्थिति में जिले के 600 मनरेगा कर्मियों का अनुबंध खटाई में है।
खाली बैठे भुगतान
जिले की 320 ग्राम पंचायतों में 2052 श्रमिक हंै। मनरेगा की गाइड लाइन में राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हंै कि जहां मनरेगा में श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है वहां मनरेगा स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। अधिकांश पंचायत समितियों में मनरेगा कर्मचारी खाली बैठे भुगतान उठा रहे हैं। अब इनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है।
अधिक खर्च जिला परिषद के लिए गलफांस बन गया है और मनरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के निर्देश पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने जिले के आठों विकास अधिकारियों को जिस ग्राम पंचायत में श्रमिक बहुत कम या नहीं है वहां मनरेगा स्टाफ को भुगतान नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इस स्थिति में जिले के 600 मनरेगा कर्मियों का अनुबंध खटाई में है।
खाली बैठे भुगतान
जिले की 320 ग्राम पंचायतों में 2052 श्रमिक हंै। मनरेगा की गाइड लाइन में राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हंै कि जहां मनरेगा में श्रमिकों को काम नहीं मिल रहा है वहां मनरेगा स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। अधिकांश पंचायत समितियों में मनरेगा कर्मचारी खाली बैठे भुगतान उठा रहे हैं। अब इनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है।