मनरेगा में कलेक्टर, सीईओ की मनमर्जी
Posted On at by NREGA RAJASTHAN रायपुर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना में अलग-अलग जिलों में कार्य के नामर्स् को लेकर नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे ने कहा कि जिलों में कलेक्टर और सीईओ की मर्जी चल रही है। कार्य का भुगतान सही समय में नहीं हो रहा है। मांग आधारित इस योजना में राजनीतिक आधार पर भेदभाव किया जा रहा है।
प्रश्नकाल में यह मामला कांग्रेस सदस्य हरिदास भारद्वाज ने उठाते हुए यह जानना चाहा कि राज्य में वित्तीय वष्ाü 2010-11 में मिली राशि में सेे कितनी राशि का उपयोग किया गया। वहीं मनरेगा के मजदूरों के नियमित भुगतान के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं। नेता प्रतिपक्ष चौबे ने पूरक प्रश्न में कहा कि प्रदेश में मनरेगा का बुरा हाल है। कुछ जिलों में कैनाल लाइनिंग ,कांक्रीटीकरण,चबूतरा और सड़क निर्माण बीटी का भी कार्य हो रहा है।
कुछ जिले में मुरूमीकरण को भी स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। पंचायत मंत्री के गृह जिले सरगुजा में तीस लाख को स्टॉप डेम मनरेगा के तहत स्वीकृत हो गया। उन्होेने कहा कि मंत्री इस बात का प्रयास करें की सभी जिलों में 60:40 के अनुपात में काम हो।
भुगतान की शिकायतें
पंचायत मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में केन्द्र से 1317 करोड़ और राज्यांश मिलाकर कुल 1739 करोड़ की राशि इस योजना के लिए जारी की गई थी। इसमें से 1213 करोड़ रूपए खर्च किए गए, 579 करोड़ की राशि शेष है। चूंकि यह मांग आधारित योजना है, इसलिए इसकी राशि लैप्स नहीं होती।
उन्होंने स्वीकार किया कि मजदूरी भुगतान में देरी के संबंध में काफी शिकायतें आई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के नामर्स् की वजह से मजदूरी भुगतान बैंक व पोस्ट आफिस के द्वारा एमआइएस इंट्री के माध्यम भुगतान होता है। इन शिकायतों के चलते मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष कठिनाईयों पर बात रखी गई है। अब इसमें सुधार हुआ है। मोबाइल बैंकिग की भी सुविधा दी गई है। उन्होेने कहा कि कहीं-कही पर बैंकों के द्वारा देरी किए जाने पर एफआईआर की कार्रवाई भी की गई
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प्रश्नकाल में यह मामला कांग्रेस सदस्य हरिदास भारद्वाज ने उठाते हुए यह जानना चाहा कि राज्य में वित्तीय वष्ाü 2010-11 में मिली राशि में सेे कितनी राशि का उपयोग किया गया। वहीं मनरेगा के मजदूरों के नियमित भुगतान के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं। नेता प्रतिपक्ष चौबे ने पूरक प्रश्न में कहा कि प्रदेश में मनरेगा का बुरा हाल है। कुछ जिलों में कैनाल लाइनिंग ,कांक्रीटीकरण,चबूतरा और सड़क निर्माण बीटी का भी कार्य हो रहा है।
कुछ जिले में मुरूमीकरण को भी स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। पंचायत मंत्री के गृह जिले सरगुजा में तीस लाख को स्टॉप डेम मनरेगा के तहत स्वीकृत हो गया। उन्होेने कहा कि मंत्री इस बात का प्रयास करें की सभी जिलों में 60:40 के अनुपात में काम हो।
भुगतान की शिकायतें
पंचायत मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में केन्द्र से 1317 करोड़ और राज्यांश मिलाकर कुल 1739 करोड़ की राशि इस योजना के लिए जारी की गई थी। इसमें से 1213 करोड़ रूपए खर्च किए गए, 579 करोड़ की राशि शेष है। चूंकि यह मांग आधारित योजना है, इसलिए इसकी राशि लैप्स नहीं होती।
उन्होंने स्वीकार किया कि मजदूरी भुगतान में देरी के संबंध में काफी शिकायतें आई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के नामर्स् की वजह से मजदूरी भुगतान बैंक व पोस्ट आफिस के द्वारा एमआइएस इंट्री के माध्यम भुगतान होता है। इन शिकायतों के चलते मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष कठिनाईयों पर बात रखी गई है। अब इसमें सुधार हुआ है। मोबाइल बैंकिग की भी सुविधा दी गई है। उन्होेने कहा कि कहीं-कही पर बैंकों के द्वारा देरी किए जाने पर एफआईआर की कार्रवाई भी की गई
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