श्रमिकों को नहीं 'सवैतनिक छुट्टी'
Posted On at by NREGA RAJASTHANभीलवाड़ा। कारखाने हो या निजी प्रतिष्ठान, हर जगह भले ही श्रमिक को छह दिन काम करने के बाद एक दिन का सवैतनिक अवकाश मिलता हो, लेकिन करोड़ों लोगों को रोजगार से जोड़ने वाली महात्मा गांधी नरेगा में ऎसा नहीं हो सकेगा। केन्द्र सरकार ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए नरेगा श्रमिकों को छह दिन काम करने के बाद सवैतनिक अवकाश देने में फिलहाल असमर्थता जता दी है। इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार की ओर से सभी राज्य सरकारों को स्पष्टीकरण भी भेजा गया है। इसके बाद सोमवार को राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने सभी जिला कलक्टरों को पत्र भेजकर इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी।
विभाग के अतिरिक्त आयुक्त (प्रथम) एनके गुप्ता ने जिला कलक्टरों को नरेगा में छह कार्यदिवस के बाद सवैतनिक अवकाश के बारे में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से 16 दिसम्बर को जारी पत्र के अनुसार कार्रवाई करने के लिए कहा है। मंत्रालय के अवर सचिव पीएन शुक्ला ने पत्र में बताया कि कुछ राज्य सरकारों ने छह कार्यदिवस के बाद सवैतनिक अवकाश देने के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था।
मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में प्रावधानों का परीक्षण करने के बाद पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा के उद्देश्य से चल रही नरेगा योजना में एक वित्तीय वर्ष में स्वैच्छिक आधार पर एक परिवार को अधिकतम 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराना है। इस आधार पर नरेगा अधिनियम में श्रमिकों के लिए सवैतनिक अवकाश का प्रावधान नहीं है। मंत्रालय ने प्रावधानों के अनुरूप कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।