नरेगा के कामों में हुई 35% कमी
Posted On at by NREGA RAJASTHANजयपुर.ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग नरेगा में काम कराने और लोगों को रोजगार देने में 2008 की तुलना में काफी पिछड़ गया है। 2008 के अप्रैल से अक्टूबर की 2010 के इसी अवधि की तुलना करने पर लोगों को रोजगार देने और सामग्री पर खर्च में 35 प्रतिशत की कमी आई है।
इसमें रोजगार देने में 29.22 प्रतिशत और सामग्री पर खर्च में 48.62 प्रतिशत तक की गिरावट है। वजह यह बताई जा रही है कि भ्रष्टाचार को रोकने के नाम पर की गई कसावट के कारण निचले स्तर पर अफसरों ने काम कम कर दिए।
प्रतिपक्ष के लोगों का कहना है कि इससे लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’ वैसे विभाग के अधिकारी इसके लिए मानसून के दौरान अच्छी बारिश के बाद लोगों के खेती में लग जाने को कारण बता रहे हैं।
नरेगा में 2008 के मुकाबले आई कमी के कारण 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदेश में आने से रह गई। 2008 में इस अवधि में भाजपा की सरकार थी, जबकि अभी कांग्रेस की सरकार है।
भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए निचले स्तर के अफसरों ने
काम को सीमित कर दिया है। सरपंचों के भी रुचि नहीं लेने की जानकारी मिली है। इसका असर उन मजदूरों पर पड़ रहा है, जिनके पास न तो खेती करने लायक जमीन
है और न ही मजदूरी का कोई दूसरा साधन।
यहां मजदूरी में कमी
अलवर, बारां, भरतपुर, धौलपुर, झालावाड़ और जोधपुर जिलों में मजदूरी में 50 फीसदी तक कमी।
यहां सामग्री में कमी
अजमेर, अलवर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, जालोर, झालावाड़, जोधपुर, करौली और सिरोही जिलों में 30 से 80 फीसदी तक कमी।
कमी के कारण
>भ्रष्टाचार रोकने के लिए कसावट करने से निचले स्तर पर काम में रूचि लेना कम।
>सरपंचों और ग्राम सेवकों के आंदोलन से काम में देरी हो गई।
>सामग्री के आंकड़े में कमी का कारण टेंडरों में विलंब होना रहा है।
>अच्छे मानसून के बाद अधिकांश मजदूर खुद या जमींदारों के यहां खेती में जुटे।
>खरीफ के बाद रबी में भी खेतों में लोगों को अच्छी मजदूरी मिल रही।
"भीलवाड़ा में सोशल ऑडिट होने के बाद से महानरेगा में प्रदेशभर के सरपंचों ने काम करना कम कर दिया है। इससे लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। वैसे बारिश से लोगों को रुझान खेती की ओर भी हुआ है। सामग्री में कम खर्च के लिए सरकार जिम्मेदार है।"
लालसिंह,
सूचना एवं रोजगार का अधिकार
अभियान के कार्यकर्ताखर्च बढ़ाना हाथ में नहीं
प्रमुख ग्रामीण विकास सचिव सी.एस. राजन से बातचीत
>काम में कमी के कारण?
यह कार्यक्रम मजदूरी की मांग के अनुसार चलता है। इसमें काम और खर्च को बढ़ाना अपने हाथ में नहीं है।
>क्या काम सीमित कर दिया गया है?
नहीं। किसी को काम नहीं मिला हो तो बताएं। किसी को बुलाकर तो काम दिया नहीं जा सकता। भ्रष्टाचार को रोकने के कारण खर्च में आंशिक कमी आई है। ये अच्छा संकेत है।
>2008 के मुकाबले कमी का विशेष कारण?
तब अकाल था। इस बार मानसून अच्छा रहा। इससे लोगों को खेतों में काम मिल रहा है।
>सामग्री में कमी का कारण?
सरपंचों और ग्रामसेवकों की हड़ताल से विलंब हो गया था। अब टेंडर हो रहे हैं।
मांगने पर भी नहीं दे रहे काम
पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर से बातचीत
>कामों में कमी का कारण?
कांग्रेस का शासन आते ही लोगों ने फर्जीवाड़ा किया। वोट लेने के लिए किसी को कुछ कहा नहीं। अब काम देने पर परोक्ष रोक लगा रखी है। लोग मजूरी के लिए रोते-फिरते हैं।
>क्या और भी कारण हैं?
नरेगा में प्रशासनिक खर्च बढ़ा है, लेकिन लोगों को मजदूरी नहीं मिल रही। मेरे कार्यकाल में काम के साथ समय पर और पूरी मजदूरी मिलती थी। अच्छे काम के लिए तीन तीन कलेक्टरों को इनाम मिला था, केंद्र राजस्थान का उदाहरण देता था। अब उल्टा हो रहा है और यहां के अफसर ट्रेनिंग के लिए आंध्रप्रदेश जा रहे हैं।
>सामग्री खर्च में कमी का क्या कारण हो सकता है?
राजीव गांधी सेवा केंद्र के काम शुरू कर दिए, सरकार पैसा नहीं दे रही। आगे का काम कैसे होगा। पिछड़े वर्ग के सरपंचों के पास अग्रिम देने को पैसा नहीं है, काम प्रभावित होगा ही।
सौ.भास्कर.कॉम
Visit All MGNREGA NEWS. WWW,NREGANEWS.tk
इसमें रोजगार देने में 29.22 प्रतिशत और सामग्री पर खर्च में 48.62 प्रतिशत तक की गिरावट है। वजह यह बताई जा रही है कि भ्रष्टाचार को रोकने के नाम पर की गई कसावट के कारण निचले स्तर पर अफसरों ने काम कम कर दिए।
प्रतिपक्ष के लोगों का कहना है कि इससे लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह ने इस संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा, ‘मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’ वैसे विभाग के अधिकारी इसके लिए मानसून के दौरान अच्छी बारिश के बाद लोगों के खेती में लग जाने को कारण बता रहे हैं।
नरेगा में 2008 के मुकाबले आई कमी के कारण 1200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदेश में आने से रह गई। 2008 में इस अवधि में भाजपा की सरकार थी, जबकि अभी कांग्रेस की सरकार है।
भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए निचले स्तर के अफसरों ने
काम को सीमित कर दिया है। सरपंचों के भी रुचि नहीं लेने की जानकारी मिली है। इसका असर उन मजदूरों पर पड़ रहा है, जिनके पास न तो खेती करने लायक जमीन
है और न ही मजदूरी का कोई दूसरा साधन।
यहां मजदूरी में कमी
अलवर, बारां, भरतपुर, धौलपुर, झालावाड़ और जोधपुर जिलों में मजदूरी में 50 फीसदी तक कमी।
यहां सामग्री में कमी
अजमेर, अलवर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, जालोर, झालावाड़, जोधपुर, करौली और सिरोही जिलों में 30 से 80 फीसदी तक कमी।
कमी के कारण
>भ्रष्टाचार रोकने के लिए कसावट करने से निचले स्तर पर काम में रूचि लेना कम।
>सरपंचों और ग्राम सेवकों के आंदोलन से काम में देरी हो गई।
>सामग्री के आंकड़े में कमी का कारण टेंडरों में विलंब होना रहा है।
>अच्छे मानसून के बाद अधिकांश मजदूर खुद या जमींदारों के यहां खेती में जुटे।
>खरीफ के बाद रबी में भी खेतों में लोगों को अच्छी मजदूरी मिल रही।
"भीलवाड़ा में सोशल ऑडिट होने के बाद से महानरेगा में प्रदेशभर के सरपंचों ने काम करना कम कर दिया है। इससे लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। वैसे बारिश से लोगों को रुझान खेती की ओर भी हुआ है। सामग्री में कम खर्च के लिए सरकार जिम्मेदार है।"
लालसिंह,
सूचना एवं रोजगार का अधिकार
अभियान के कार्यकर्ताखर्च बढ़ाना हाथ में नहीं
प्रमुख ग्रामीण विकास सचिव सी.एस. राजन से बातचीत
>काम में कमी के कारण?
यह कार्यक्रम मजदूरी की मांग के अनुसार चलता है। इसमें काम और खर्च को बढ़ाना अपने हाथ में नहीं है।
>क्या काम सीमित कर दिया गया है?
नहीं। किसी को काम नहीं मिला हो तो बताएं। किसी को बुलाकर तो काम दिया नहीं जा सकता। भ्रष्टाचार को रोकने के कारण खर्च में आंशिक कमी आई है। ये अच्छा संकेत है।
>2008 के मुकाबले कमी का विशेष कारण?
तब अकाल था। इस बार मानसून अच्छा रहा। इससे लोगों को खेतों में काम मिल रहा है।
>सामग्री में कमी का कारण?
सरपंचों और ग्रामसेवकों की हड़ताल से विलंब हो गया था। अब टेंडर हो रहे हैं।
मांगने पर भी नहीं दे रहे काम
पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर से बातचीत
>कामों में कमी का कारण?
कांग्रेस का शासन आते ही लोगों ने फर्जीवाड़ा किया। वोट लेने के लिए किसी को कुछ कहा नहीं। अब काम देने पर परोक्ष रोक लगा रखी है। लोग मजूरी के लिए रोते-फिरते हैं।
>क्या और भी कारण हैं?
नरेगा में प्रशासनिक खर्च बढ़ा है, लेकिन लोगों को मजदूरी नहीं मिल रही। मेरे कार्यकाल में काम के साथ समय पर और पूरी मजदूरी मिलती थी। अच्छे काम के लिए तीन तीन कलेक्टरों को इनाम मिला था, केंद्र राजस्थान का उदाहरण देता था। अब उल्टा हो रहा है और यहां के अफसर ट्रेनिंग के लिए आंध्रप्रदेश जा रहे हैं।
>सामग्री खर्च में कमी का क्या कारण हो सकता है?
राजीव गांधी सेवा केंद्र के काम शुरू कर दिए, सरकार पैसा नहीं दे रही। आगे का काम कैसे होगा। पिछड़े वर्ग के सरपंचों के पास अग्रिम देने को पैसा नहीं है, काम प्रभावित होगा ही।
सौ.भास्कर.कॉम
Visit All MGNREGA NEWS. WWW,NREGANEWS.tk