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Posted On at by NREGA RAJASTHANउदयपुर. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में आवश्यक सामग्री खरीद में अब सरपंचों की नहीं चलेगी। राज्य सरकार के निर्देशानुसार नरेगा सामग्री खरीद के लिए पंचायत समिति स्तर पर खरीद की जा रही है। नरेगा में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। इस फैसले से सरपंचों में नाराजगी भी उभर कर सामने आई है। पंचायत राज अधिनियम के नियमों व अधिकार के तहत राज्य सरकार ने सभी पंचायत समितियों को नए नियम जारी कर दिए हैं। इन नियमों का नाम नरेगा स्कीम 2006 दिया गया है। इसमें योजना के क्रियान्वयन एवं नियंत्रण के लिए राज्य स्तर पर राज्य रोजगार गारंटी परिषद, जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक, पंचायत समिति स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया गया है। ग्राम पंचायत को मात्र क्रियान्वयन संस्था के रूप में चिह्न्ति किया गया है। इन नियमों के आधार पर हुआ बदलाव : पंचायत राज अधिनियम 1994 व पंचायत राज नियम 1996 के तहत ग्राम पंचायत का गठन कर उन्हें पंचायतों को शक्तियां प्रदान की गई थी। इसके तहत पंचायत निधियों से सामग्री क्रय करने की प्रक्रिया दी गई है। पंचायतराज नियम 192 में प्रावधान है कि पंचायत राज संस्थाओं के क्रय के संबंध में राज्य सरकार कोई भी आदेश या निर्देश दे सकेगी। नरेगा एक विशिष्ट अधिनियम है, जो नरेगा के तहत करवाए जाने वाले कार्र्यो पर लागू होता है। क्यों लेना पड़ा फैसला ग्राम पंचायतों के सामाजिक अंकेक्षण एवं अन्य जांचों में यह तथ्य सामने आए हैं कि पंचायतों में बगैर टेंडर के या जहां टेंडर किए गए हैं वहां अनाधिकृत व्यापारियों से सामग्री खरीदी गई है। इससे राज्य सरकार को न केवल वैट का नुकसान है, बल्कि फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी राशि उठा कर गबन किया गया है। फैसले का असर लाभ : बड़ी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा के चलते कम पैसे में ज्यादा काम होगा। वैट व रॉयल्टी मिलेगी। भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सकेगी। हानि : सरकार को सरपंचों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। ग्राम स्तर पर छोटे दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ेगा।