महात्मा गांधी नरेगा कार्मिक संघ के सम्मेलन
Posted On at by NREGA RAJASTHAN हनुमानगढ़. सांसद मास्टर भरतराम मेघवाल संसद सदस्य को डाकिए की तरह मानते हैं। उनका कहना है कि सांसद सिर्फ जनता की बात, दुख और तकलीफ को केंद्र सरकार तक पहुंचाता है। असली 'पावरÓ तो सरकार के पास है। जब मनरेगा कार्मिकों ने स्थाईकरण की मांग रखी तो सांसद ने इन बातों के माध्यम से अपनी लाचारी जताई। रविवार को यादव धर्मशाला में महात्मा गांधी नरेगा कार्मिक संघ के सम्मेलन में सांसद ने कहा कि झूठा आश्वासन देना उन्हें नहीं आता। मुझे पता है कि मामला सरकार स्तर का है तो फिर वादा कैसे करूंगा? कार्मिकों की मांग का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात को वे केंद्र व राज्य सरकार तक पहुंचाएंगे। ग्रामीण विकास व पंचायतीराज राज्य मंत्री चौधरी विनोद कुमार ने कहा कि हनुमानगढ़ जिले के मनरेगा कार्मिक पूरी ईमानदारी से योजना का क्रियान्वयन कर रहे हैं। कार्मिकों को परमानेंट करने का मामला सरकार स्तर का है। इसके लिए उचित कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि सब्र का फल मीठा होता है, संविदाकर्मी इस बात को याद रखें तथा उचित समय का इंतजार करें। नए साल पर सब अच्छा होगा।
राजनीति का शिकार मत बनाओ साब!
सम्मेलन में संविदाकर्मियों ने मनरेगा कार्यों में आ रही परेशानियों का जिक्र किया। उन्होंंने कहा कि ग्रामीण राजनीति का असर कर्मचारियों पर दिखता है। इससे कर्मचारियों को कई बार प्रताडि़त किया जाता है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की आपसी विवाद का शिकार कर्मचारियों को क्यों बनाया जा रहा है? इस प्रथा का अंत होना चाहिए।
'हरियाणा की तरह मिले सुविधाएंÓ : संविदाकर्मियों ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश में मनरेगा कार्मिकों को बेहतर वेतन, मानदेय तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि वहां बेहतर तरीके से कार्य भी नहीं होते। इसके विपरीत राजस्थान को श्रेष्ठ घोषित किया जाता है लेकिन यहां कर्मचारियों को सुविधाओं के नाम पर मामूली मानदेय दिए जा रहे हैं। महात्मा गांधी नरेगा कार्मिक संघ जिलाध्यक्ष सुनील भारद्वाज ने कहा कि सरकार को इस मसले पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
'एनजीओ के आधार पर न हो अनुबंधÓ
कार्मिक संघ के प्रतिनिधियों ने एनजीओ के आधार पर अनुबंध के माध्यम से कर्मचारियों को लगाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आगे यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने निर्माण कार्यों में टेंडर प्रक्रिया समाप्त कर बाजार दर से सामग्री खरीदने, मनरेगा में नाप के काम की पाबंदी लगाने तथा नाप कार्य में जुटे कर्मचारियों पर समय की पाबंदी हटाने, प्रत्येक पंचायत को एक सचिव तथा सहायक कर्मचारी उपलब्ध करवाने की भी मांग की। सरपंच एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हनुमान प्रसाद नेठराना ने पंचायतीराज राज्य मंत्री को ज्ञापन देकर सरपंच को 50 हजार तक खर्च करने का अधिकार दिलाने की वकालत की।
सम्मेलन में इन्होंने रखे विचार
पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मक्कासर, हनुमानगढ़ पंचायत समिति प्रधान शिमला कस्वां, रावतसर पंचायत समिति प्रधान रेशमा खालिया, पीलीबंगा पंचायत समिति प्रधान काका सिंह, एक्सईएन ज्ञानप्रकाश वर्मा, प्रदेशाध्यक्ष अशोक वैष्णव, प्रदेश संयोजक पीके धारीवाल, जिलाध्यक्ष सुनील भारद्वाज, महासचिव कालूराम शर्मा, कोषाध्यक्ष ईश्वर बाघला, संरक्षक रणजीत कुमार, उपाध्यक्ष शीशपाल देहडू, श्योपत कड़वासरा, प्रचार मंत्री सुनील शर्मा, पद्मेश सिहाग, रेणु जुनेजा, सुरेंद्र घोटिया, रिछपाल मंडा, दिनेश शर्मा, जीतराम सुथार, देवेंद्र स्वामी, भूप सिंह बेनीवाल तथा रणसिंह कस्वां, सरपंच एसोसिएशन जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह सिद्धू, हनुमानगढ़ पंचायत समिति सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष ऊषा गोदारा, ग्राम सेवक संघ जिलाध्यक्ष रमेश खटोतिया।
राजनीति का शिकार मत बनाओ साब!
सम्मेलन में संविदाकर्मियों ने मनरेगा कार्यों में आ रही परेशानियों का जिक्र किया। उन्होंंने कहा कि ग्रामीण राजनीति का असर कर्मचारियों पर दिखता है। इससे कर्मचारियों को कई बार प्रताडि़त किया जाता है जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की आपसी विवाद का शिकार कर्मचारियों को क्यों बनाया जा रहा है? इस प्रथा का अंत होना चाहिए।
'हरियाणा की तरह मिले सुविधाएंÓ : संविदाकर्मियों ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश में मनरेगा कार्मिकों को बेहतर वेतन, मानदेय तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि वहां बेहतर तरीके से कार्य भी नहीं होते। इसके विपरीत राजस्थान को श्रेष्ठ घोषित किया जाता है लेकिन यहां कर्मचारियों को सुविधाओं के नाम पर मामूली मानदेय दिए जा रहे हैं। महात्मा गांधी नरेगा कार्मिक संघ जिलाध्यक्ष सुनील भारद्वाज ने कहा कि सरकार को इस मसले पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
'एनजीओ के आधार पर न हो अनुबंधÓ
कार्मिक संघ के प्रतिनिधियों ने एनजीओ के आधार पर अनुबंध के माध्यम से कर्मचारियों को लगाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आगे यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अब ऐसा नहीं होगा। उन्होंने निर्माण कार्यों में टेंडर प्रक्रिया समाप्त कर बाजार दर से सामग्री खरीदने, मनरेगा में नाप के काम की पाबंदी लगाने तथा नाप कार्य में जुटे कर्मचारियों पर समय की पाबंदी हटाने, प्रत्येक पंचायत को एक सचिव तथा सहायक कर्मचारी उपलब्ध करवाने की भी मांग की। सरपंच एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हनुमान प्रसाद नेठराना ने पंचायतीराज राज्य मंत्री को ज्ञापन देकर सरपंच को 50 हजार तक खर्च करने का अधिकार दिलाने की वकालत की।
सम्मेलन में इन्होंने रखे विचार
पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मक्कासर, हनुमानगढ़ पंचायत समिति प्रधान शिमला कस्वां, रावतसर पंचायत समिति प्रधान रेशमा खालिया, पीलीबंगा पंचायत समिति प्रधान काका सिंह, एक्सईएन ज्ञानप्रकाश वर्मा, प्रदेशाध्यक्ष अशोक वैष्णव, प्रदेश संयोजक पीके धारीवाल, जिलाध्यक्ष सुनील भारद्वाज, महासचिव कालूराम शर्मा, कोषाध्यक्ष ईश्वर बाघला, संरक्षक रणजीत कुमार, उपाध्यक्ष शीशपाल देहडू, श्योपत कड़वासरा, प्रचार मंत्री सुनील शर्मा, पद्मेश सिहाग, रेणु जुनेजा, सुरेंद्र घोटिया, रिछपाल मंडा, दिनेश शर्मा, जीतराम सुथार, देवेंद्र स्वामी, भूप सिंह बेनीवाल तथा रणसिंह कस्वां, सरपंच एसोसिएशन जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह सिद्धू, हनुमानगढ़ पंचायत समिति सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष ऊषा गोदारा, ग्राम सेवक संघ जिलाध्यक्ष रमेश खटोतिया।