नरेगा में खर्चा पूरा, हिसाब अधूरा, केंद्र ने रोका पैसा
Posted On at by NREGA RAJASTHANजयपुर.नरेगा में खर्च की जाने वाली राशि की सही एंट्री एमआईएस (मंथली इंफॉर्मेशन सिस्टम) में नहीं होने से केन्द्र सरकार ने राज्य को आगे राशि देने से इंकार कर दिया है। एमआईएस की अनिवार्यता होने के बावजूद कई जिलों ने इसकी पालना नहीं की। इसके चलते खर्च की गई राशि फर्क आ रहा है।
राज्य की एमपीआर (मंथली प्रोग्रेस रिपोर्ट) के अनुसार नरेगा में अब तक 1,82,592.31 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं,जबकि एमआईएस में सिर्फ 1,61,527.58 लाख रुपए ही दर्शाए गए हैं।
केंद्र ने रोका पैसा
प्रदेश में नरेगा के लिए उपलब्ध कुल राशि 228900.45 लाख रुपए में से वास्तव में खर्च 52.2 प्रतिशत हो चुका है, जबकि एमआईएस में 46.2 प्रतिशत का ही हिसाब दर्ज है। केंद्र सरकार इसी को आधार मानकर आगे के लिए पैसा जारी करता है। खर्च का पूरा ब्यौरा दर्ज नहीं होने से केंद्र सरकार ने राज्य को आगे की राशि देने से इनकार कर दिया है। इससे आगे होने वाले कामों पर असर पड़ सकता है।
यहां नहीं हो रही एंट्री
नागौर, करौली, प्रतापगढ़, भरतपुर और बांसवाड़ा जैसे जिलों में खर्च हो एंट्री में 45 से 17 प्रतिशत तक का फर्क नजर आ रहा है। वहीं, भीलवाड़ा, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनूं, कोटा, पाली, राजसमंद और सिरोही ऐसे जिले हैं, जहां एमआईएस में एमपीआर से ज्यादा एंट्री दर्शाई गई है।
ये कारण बताए
नरेगा के परियोजना अधिकारी रामनिवास मेहता का कहना है कि जिलों के संबंधित अधिकारियों को कई बार एमआईएस में नियमित एंट्री के लिए कहा जाता है, लेकिन पालना नहीं होती। करौली, प्रतापगढ़ जैसे जिलों में कनेक्टिीविटी की समस्या है तो कुछ अन्य जिलों में स्टाफ की।
Source: bhaskar news
राज्य की एमपीआर (मंथली प्रोग्रेस रिपोर्ट) के अनुसार नरेगा में अब तक 1,82,592.31 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं,जबकि एमआईएस में सिर्फ 1,61,527.58 लाख रुपए ही दर्शाए गए हैं।
केंद्र ने रोका पैसा
प्रदेश में नरेगा के लिए उपलब्ध कुल राशि 228900.45 लाख रुपए में से वास्तव में खर्च 52.2 प्रतिशत हो चुका है, जबकि एमआईएस में 46.2 प्रतिशत का ही हिसाब दर्ज है। केंद्र सरकार इसी को आधार मानकर आगे के लिए पैसा जारी करता है। खर्च का पूरा ब्यौरा दर्ज नहीं होने से केंद्र सरकार ने राज्य को आगे की राशि देने से इनकार कर दिया है। इससे आगे होने वाले कामों पर असर पड़ सकता है।
यहां नहीं हो रही एंट्री
नागौर, करौली, प्रतापगढ़, भरतपुर और बांसवाड़ा जैसे जिलों में खर्च हो एंट्री में 45 से 17 प्रतिशत तक का फर्क नजर आ रहा है। वहीं, भीलवाड़ा, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनूं, कोटा, पाली, राजसमंद और सिरोही ऐसे जिले हैं, जहां एमआईएस में एमपीआर से ज्यादा एंट्री दर्शाई गई है।
ये कारण बताए
नरेगा के परियोजना अधिकारी रामनिवास मेहता का कहना है कि जिलों के संबंधित अधिकारियों को कई बार एमआईएस में नियमित एंट्री के लिए कहा जाता है, लेकिन पालना नहीं होती। करौली, प्रतापगढ़ जैसे जिलों में कनेक्टिीविटी की समस्या है तो कुछ अन्य जिलों में स्टाफ की।
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