सूचना अधिकार का तोहफा, नरेगा में करोड़ों के घोटाले
Posted On at by NREGA RAJASTHANसूचना अधिकार दिवस पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सीपी जोशी को इससे बड़ा तोहफा मिल नहीं सकता. डॉ चंदप्रकाश जोशी के लोकसभा क्षेत्र भीलवाड़ा में 11 ग्राम पंचायतों में हुए सामाजिक अंकेक्षण में एक करोड़ तेरह लाख के घोटाले का सच सामने आया है। पंचायत राज्यमंत्री भरतसिंह, नरेगा की राष्ट्रीय परिषद सदस्य और मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त अरूणा राय सहित देश भर के लगभग 2000 स्वंयसेवक इस पूरी प्रक्रिया के साक्षी बने।
देश में जनता को मिले सूचना के अधिकार का श्रीगणेश राजस्थान की धरती पर ही हुआ था। ठीक इसी प्रकार रोजगार गारंटी योजना के सामाजिक अकेंक्षण का गवाह भी यही प्रदेश बना हैं। 1 अप्रैल 2007 से सांकेतिक और 1 अप्रेल 2008 से देश भर में लागू हुआ काम का अधिकार कुछ ही समय बाद भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया। भ्रष्टाचार के भयावह रूप से परेशान केन्द्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना के स्वरूप को बचाये रखने के लिए सामाजिक अंकेक्षण की एक नई स्कीम लागू की। इस प्रक्रिया के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने ही प्रदेश और लोकसभा क्षेत्र का चयन सबसे पहले किया।
देश
में जनता को मिले सूचना के अधिकार का श्रीगणेश राजस्थान की धरती पर ही हुआ
था। ठीक इसी प्रकार रोजगार गारंटी योजना के सामाजिक अकेंक्षण का गवाह भी
यही प्रदेश बना हैं। 1 अप्रैल 2007 से सांकेतिक और 1 अप्रेल 2008 से देश भर
में लागू हुआ काम का अधिकार कुछ ही समय बाद भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया।
भ्रष्टाचार के भयावह रूप से परेशान केन्द्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी
योजना के स्वरूप को बचाये रखने के लिए सामाजिक अंकेक्षण की एक नई स्कीम
लागू की। इस प्रक्रिया के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने ही
प्रदेश और लोकसभा क्षेत्र का चयन सबसे पहले किया। नरेगा योजना के सोशल ऑडिट की ये पहली पहल थी। राजस्थान के भीलवाडा जिले की 11 ग्राम पंचायतों में इस काम को अंजाम दिया गया। इसके लिए भीलवाडा की 11 पंचायत समितियों में से 11 ग्राम पंचायतों का चयन लाँटरी के आधार पर किया गया। सरकारी ऐजंसी के साथ एन जी ओं ने भी इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं । मजदूर किसान श्क्ति संगठन के साथ देश भर से पहुँचे सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जिले भर में जागरूकता अभियान चलाया। अभियान के दौरान 8 दिनों तक पद यात्राओं के माध्यम से लोगों को पहले जागरूक किया गया। इसकें लिए जिले की 381 ग्राम पंचायतों के 1600 गाँवों के डेढ लाख नरेगा श्रमिकों से सीधा संवाद किया गया। इस दौरान उनसे कुछ सवालों को पूछा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने इस कार्यकम में बढ चढ कर हिस्सा लिया। पवन संस्थान के निदेशक सुरेश शर्मा का कहना था कि इस प्रकार से लोग यदि जागरूक होकर सरकारी योजनाओं के प्रति अपनी रूचि का प्रदर्शन करने लग जायेगें तो नरेगा ही नहीं सभी जगहों से भ्रष्टाचार का सफाया हो जाऐगा।
सामाजिक अंकेक्षण (सोशल आडिट) के जरिये 2008-09 के कार्यो का लेखा जोखा जाँचा गया। इसके साथ ही गुणवत्ता, उपलब्धियों, लाभांवितों और कार्यस्थलों के बारे में सीधी जानकारी ली गई। 11 ग्राम पंचायतों में इस दौरान गाँव के लोगों के सामने जाजम पर नरेगा के दौरान हुये कार्यो,खर्च हुये धन और काम पर लगे मजदूरों का विवरण रखा गया। इस दौरान कई जगहों पर तो लोग उनके यहाँ हुये कार्यो और मजदूरों के नामों को जानकर हक्के बक्के रह गये। इस दौरान कई जगहों पर तो झगडे की स्थिति पैदा हो गई। सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया में गा्रम पंचायत सांगवा में 46.97.290,बरण में 7.92.000, बडलियास में 2.76.760, रावतखेडा में 20.068, गोर्वधन पुरा में 3.43.000,लाखोला में 14.82.000 टिटोडी में 12.00.000 परा में 25.21.951 रूपयों के घोटाले सामने आये। इस बीच महत्वपूर्ण बात ये रही कि बडलियावास के सरपंच दशरथ सिंह ने अनियमितताओं को स्वीकारते हुये आधी राशि का चैक मौके पर ही जमा करा दिया।
वही अन्य के खिलाफ जिला कलक्टर ने वसूली के निर्देश दियें । इतना ही नहीं कुछ कार्मिकों के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराने के भी निर्देश मौके पर ही दिये गये। जिनमें एक जेईन रेखा खंडेलवाल,आदित्य तिवाडी,सचिव भगवानस्वरूप, राजकुमार अग्रवाल प्रमुख रहे। देश में नरेगा के लिए पहली बार हुये अपनी तरह के सामाजिक अंकेक्षण कार्य के लिए देश भर से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। राजस्थान के सभी जिलों से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये थे। इसके अलावा राज्य सरकार के प्रभारी सचिव प्रदीप सेन के अलावा कुछ दूसरे प्रमुख अधिकारियों ने भी इस कार्य को बारीकी से देखा और समझा। सामाजिक अंकेक्षण के दौरान मजदूरों ने भुगतान में देरी होने,जाँब कार्डो की गडबडियों,साम्रगी मद में हेरा फेरी करने,घटिया निर्माण सामग्री और टैक्स चोरी करने जैसी शिकायतों को प्रमुखता से सामने रखा।
नरेगा के दौरान वर्ष 2008-09 में 8 हजार करोड रूपये के काम किये गये। चालू वर्ष में 10 हजार करोड रूपयों के खर्च होने का अनुमान हैं । ऐसे में बडा सवाल ये पैदा होता है कि अकेले राजस्थान की 9195 ग्राम पंचायतों में से 11 की सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया में सवा करोड रूपये का घोटाला सामने आया है तो देश के हालात कैसे होगें। इससे एक सच्चाई तो सामने आती है कि वर्ष 2008-09 के 8 हजार करोड रूपयों में से कितनों का सही उपयोग हो पाया। भविष्य में सामाजिक अंकेक्षण की यह प्रक्रिया देश भर में लागू की जा सकती है। ऐसे में सवाल ये ही पैदा हो रहा है कि क्या इसी प्रकार से नरेगा का सच सामने आ भी पायेगा या फिर भीलवाडा की ये 11 पंचायते प्रतीक के रूप में रह जायेगीं। और भ्रष्टाचार के रास्ते इस प्रक्रिया के बीच भी ऐसी ही गलियाँ ढूँढ लेंगे जैसी सरकारी आँडिट के लिए ढूँढ रखी है। आशा है ऐसा नहीं होगा।
देश में जनता को मिले सूचना के अधिकार का श्रीगणेश राजस्थान की धरती पर ही हुआ था। ठीक इसी प्रकार रोजगार गारंटी योजना के सामाजिक अकेंक्षण का गवाह भी यही प्रदेश बना हैं। 1 अप्रैल 2007 से सांकेतिक और 1 अप्रेल 2008 से देश भर में लागू हुआ काम का अधिकार कुछ ही समय बाद भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया। भ्रष्टाचार के भयावह रूप से परेशान केन्द्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना के स्वरूप को बचाये रखने के लिए सामाजिक अंकेक्षण की एक नई स्कीम लागू की। इस प्रक्रिया के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने ही प्रदेश और लोकसभा क्षेत्र का चयन सबसे पहले किया।
देश
में जनता को मिले सूचना के अधिकार का श्रीगणेश राजस्थान की धरती पर ही हुआ
था। ठीक इसी प्रकार रोजगार गारंटी योजना के सामाजिक अकेंक्षण का गवाह भी
यही प्रदेश बना हैं। 1 अप्रैल 2007 से सांकेतिक और 1 अप्रेल 2008 से देश भर
में लागू हुआ काम का अधिकार कुछ ही समय बाद भ्रष्टाचार की भेंट चढ गया।
भ्रष्टाचार के भयावह रूप से परेशान केन्द्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी
योजना के स्वरूप को बचाये रखने के लिए सामाजिक अंकेक्षण की एक नई स्कीम
लागू की। इस प्रक्रिया के लिए केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने अपने ही
प्रदेश और लोकसभा क्षेत्र का चयन सबसे पहले किया। नरेगा योजना के सोशल ऑडिट की ये पहली पहल थी। राजस्थान के भीलवाडा जिले की 11 ग्राम पंचायतों में इस काम को अंजाम दिया गया। इसके लिए भीलवाडा की 11 पंचायत समितियों में से 11 ग्राम पंचायतों का चयन लाँटरी के आधार पर किया गया। सरकारी ऐजंसी के साथ एन जी ओं ने भी इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं । मजदूर किसान श्क्ति संगठन के साथ देश भर से पहुँचे सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जिले भर में जागरूकता अभियान चलाया। अभियान के दौरान 8 दिनों तक पद यात्राओं के माध्यम से लोगों को पहले जागरूक किया गया। इसकें लिए जिले की 381 ग्राम पंचायतों के 1600 गाँवों के डेढ लाख नरेगा श्रमिकों से सीधा संवाद किया गया। इस दौरान उनसे कुछ सवालों को पूछा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने इस कार्यकम में बढ चढ कर हिस्सा लिया। पवन संस्थान के निदेशक सुरेश शर्मा का कहना था कि इस प्रकार से लोग यदि जागरूक होकर सरकारी योजनाओं के प्रति अपनी रूचि का प्रदर्शन करने लग जायेगें तो नरेगा ही नहीं सभी जगहों से भ्रष्टाचार का सफाया हो जाऐगा।
सामाजिक अंकेक्षण (सोशल आडिट) के जरिये 2008-09 के कार्यो का लेखा जोखा जाँचा गया। इसके साथ ही गुणवत्ता, उपलब्धियों, लाभांवितों और कार्यस्थलों के बारे में सीधी जानकारी ली गई। 11 ग्राम पंचायतों में इस दौरान गाँव के लोगों के सामने जाजम पर नरेगा के दौरान हुये कार्यो,खर्च हुये धन और काम पर लगे मजदूरों का विवरण रखा गया। इस दौरान कई जगहों पर तो लोग उनके यहाँ हुये कार्यो और मजदूरों के नामों को जानकर हक्के बक्के रह गये। इस दौरान कई जगहों पर तो झगडे की स्थिति पैदा हो गई। सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया में गा्रम पंचायत सांगवा में 46.97.290,बरण में 7.92.000, बडलियास में 2.76.760, रावतखेडा में 20.068, गोर्वधन पुरा में 3.43.000,लाखोला में 14.82.000 टिटोडी में 12.00.000 परा में 25.21.951 रूपयों के घोटाले सामने आये। इस बीच महत्वपूर्ण बात ये रही कि बडलियावास के सरपंच दशरथ सिंह ने अनियमितताओं को स्वीकारते हुये आधी राशि का चैक मौके पर ही जमा करा दिया।
वही अन्य के खिलाफ जिला कलक्टर ने वसूली के निर्देश दियें । इतना ही नहीं कुछ कार्मिकों के खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराने के भी निर्देश मौके पर ही दिये गये। जिनमें एक जेईन रेखा खंडेलवाल,आदित्य तिवाडी,सचिव भगवानस्वरूप, राजकुमार अग्रवाल प्रमुख रहे। देश में नरेगा के लिए पहली बार हुये अपनी तरह के सामाजिक अंकेक्षण कार्य के लिए देश भर से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। राजस्थान के सभी जिलों से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये थे। इसके अलावा राज्य सरकार के प्रभारी सचिव प्रदीप सेन के अलावा कुछ दूसरे प्रमुख अधिकारियों ने भी इस कार्य को बारीकी से देखा और समझा। सामाजिक अंकेक्षण के दौरान मजदूरों ने भुगतान में देरी होने,जाँब कार्डो की गडबडियों,साम्रगी मद में हेरा फेरी करने,घटिया निर्माण सामग्री और टैक्स चोरी करने जैसी शिकायतों को प्रमुखता से सामने रखा।
नरेगा के दौरान वर्ष 2008-09 में 8 हजार करोड रूपये के काम किये गये। चालू वर्ष में 10 हजार करोड रूपयों के खर्च होने का अनुमान हैं । ऐसे में बडा सवाल ये पैदा होता है कि अकेले राजस्थान की 9195 ग्राम पंचायतों में से 11 की सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया में सवा करोड रूपये का घोटाला सामने आया है तो देश के हालात कैसे होगें। इससे एक सच्चाई तो सामने आती है कि वर्ष 2008-09 के 8 हजार करोड रूपयों में से कितनों का सही उपयोग हो पाया। भविष्य में सामाजिक अंकेक्षण की यह प्रक्रिया देश भर में लागू की जा सकती है। ऐसे में सवाल ये ही पैदा हो रहा है कि क्या इसी प्रकार से नरेगा का सच सामने आ भी पायेगा या फिर भीलवाडा की ये 11 पंचायते प्रतीक के रूप में रह जायेगीं। और भ्रष्टाचार के रास्ते इस प्रक्रिया के बीच भी ऐसी ही गलियाँ ढूँढ लेंगे जैसी सरकारी आँडिट के लिए ढूँढ रखी है। आशा है ऐसा नहीं होगा।