सभी महानरेगा कार्मिकों से अनुरूध है कि वो अपना ईमेल पता निचे दिये गये बॉक्‍स में Subscribe करे जिससे महानरेगा की ताजा खबर आप तक Email से पहुच सकें.......Thanks नोट Active करने के लिए अपने ईमेल उकाउन्‍ट में जाकर Nrega News Subscribe mail link पर किल्‍क करें

Enter your Email Address & recived free new's "Just Enter E-mail"

नियमित करने की मांग को लेकर ज्ञापन

टिब्बी. महानरेगा संविदा कार्मिक संघ के स्थानीय सदस्यों ने सोमवार को उपखण्ड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपकर नियमित करने सहित अनेक समस्याओं के निराकरण की मांग की है। यहां पंचायत समिति कार्यालय में कार्यरत संविदाकर्मियों की ओर से दिए ज्ञापन में एक जनवरी तक समस्याओं का समाधान नहीं होने पर 2 जनवरी से आन्दोलन की चेतावनी दी गई है।

भादरा. महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ भादरा के ब्लॉक अध्यक्ष रण सिंह कस्वां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेजकर नरेगा योजना के संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग की है।

ज्ञापन के अनुसार संविदा कर्मी वर्ष 2006-07 से सक्षम अधिकारियों से पूर्णतया आरक्षण नियमों, आयु- शैक्षणिक योग्यता के आधार पर चयनित होकर सेवाएं दे रहे हैं। समय-समय सभी प्रशिक्षण देने के साथ सेवारत है। मांगों पर ध्यान नहीं दिये जाने पर दो जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबंद असहयोग आंदोलन की घोषणा की गई है।

नरेगा खाते से रकम उठाने के मामले में पुलिस को मिली सफलता

नागौर। नागौर जिला परिषद के महानरेगा खाते से जिला कलक्टर व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर 1 करोड़ 9 लाख 3 हजार 535 रूपए का गबन करने के मामले में मुंबई व गुजरात गई पुलिस की टीमों को सफलता मिली है। पुलिस ने मुंबई व गुजरात से तीन युवकों को शक के आधार पर हिरासत में लिया है। आरोपियों के पकड़ में आने से मामले का राजफाश होने की संभावना बढ़ गई है। पुलिस ने देर रात तक इस बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीयाराम मीणा की ओर से कोतवाली थाने से मुंबई के मितेश के शाह नामक व्यक्ति के खिलाफ चैकों पर फर्जी हस्ताक्षर कर राशि उठाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। कोतवाली थाना प्रभारी जब्बर सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित जांच टीम में उपनिरीक्षक गोपाल भारतीय, सहायक उपनिरीक्षक अब्दुल रसीद, कांनिस्टेबल मेहराम पंवार, प्रेमाराम मूंड, भंवरलाल खेंण, अजीज खोखर, सुनिल विश्रोई को मुंबई व गुजरात में तलाश के लिए भेजा गया।

पुलिस ने जिस आरोपी को मितेश माना वह तो नहीं निकला मगर गबन करने के शक में तीन युवकों को गिरफ्तार कर नागौर लाया गया है। फिलहाल पुलिस तीनो आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इन तीनों आरोपियों के साथ ओर भी लोग शामिल हो सकते है। पुलिस ने फिलहाल मीडिया को देर रात तक जानकारी नहीं दी है। पकड़े गए तीनों आरोपी शातीर किस्म के बदमाश व ऐसी वारदातों को अंजाम देने में माहिर है। देर रात तक पुलिस ने एक युवक को कागजों में लेकर पूछताछ की। शेष दोनों को पूछताछ के लिए थाने में बिठाया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने दिवेश पुत्र कृष्णकांत जाति उदेशी भाटिया निवासी कांदीवली ईस्ट मुंबई को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है।

फिलहाल पुलिस सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर गोपनीय अंदाज में पूछताछ कर रही है। गौरतलब है कि इस मामले में जिला कलक्टर द्वारा गठित जांच कमेटी ने भी अपने स्तर पर जांच की। जिला कलक्टर के निर्देश पर मामला उजागर होने के दूसरे दिन ही जिला परिषद के केशियर किशनकुमार जोशी को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था। जानकारी के अनुसार नागौर जिला परिषद के नरेगा योजना का खाता एसबीबीजे बैंक गांधी चौक नागौर में है। इस खाते में से गत 8 सितम्बर को एक्सप्रेस वल्र्ड मुंबई के खाते में 14 लाख 28 हजार 735 रूपए व 4 अक्टूबर को मुंबई निवासी मितेश के शाह के खाते में 29 लाख 34 हजार 600 रूपए तथा इसी फर्म के खाते में 3 दिसम्बर को 65 लाख 40 हजार 200 रूपए का भुगतान किया गया। इस राशि का भुगतान एक्सप्रेस वल्र्ड को बीकानेर की एसबीबीजे बैंक तथा मितेश के शाह को जयपुर स्थित आईएनजी वैश्य बैंक की ओर से भुगतान किया गया था।

महानरेगा संविदाकर्मी करेंगे आंदोलन

झुंझुनूं। विभिन्न मांगो को संघर्षरत राजस्थान महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ भी अब प्रदेशभर में आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है। संघ के जिलाध्यक्ष राकेश बराला की अध्यक्षता में रविवार दोपहर शहीद स्मारक पार्क में बैठक हुई। संघ की जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने बताया कि अपनी मांगों के संबंध में सोमवार को सभी उपखण्ड अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे जाएंगे।

इसके बावजूद शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो आंदोलनात्मक कदम उठाया जाएगा। जिलाध्यक्ष राकेश बराला ने बताया कि राज्य सरकार पिछले वष्ाü उनकी मांगो पर विचार विमर्श कर शीघ्र समाधान निकालने का वादा किया था, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।

महानरेगा कार्मिक पिछले चार वष्ाü से न्यूनतम मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई को देखते हुए मानेदय बढ़ाया जाना चाहिए। बैठक में जयसिंह आलडिया, अनिल बजावा, श्रीराम कसैरू, उपेन्द्र कमल, इन्द्राज, अनिल, शशीकांत शर्मा, सुनिता, सीमा मीणा, मंजू, सुमन, सुभाष, सरिता व बलवीर आदि मौजूद थे।

sourc- patrika.com

मनरेगा संविदा कार्मिक संघ का अल्टीमेटम

भास्कर न्यूज त्न सुमेरपुर
महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ सुमेरपुर ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम सुमेरपुर को दिया। इसमें चेतावनी दी है कि आगामी एक जनवरी के पूर्व कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो दो जनवरी से संविदा कार्मिक संघ अनिश्चितकालीन कलमबंद आंदोलन कर कार्यों का बहिष्कार करेंगे। कार्मिक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष जोग सिंह चौहान ने बताया कि संविदा कार्मिक वर्ष 2008-09 से लगातार सेवाएं दे रहे है। कार्मिकों के लंबे अनुभव व योग्यता को देखते हुए इनका नियमितिकरण करना उचित है। कर्मचारियों की मांगों को लेकर उन्होंने कहा कि बिना जांच के हटाए गए कार्मिकों को को भी पुन: बहाल किया जाए। इस मामले में मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन एसडीएम सुमेरपुर को दिया गया।
मारवाड़ जंक्शन । पंचायत समिति में कार्यरत महानरेगा कर्मियों ने सोमवार को राजस्थान कार्मिक संघ के ब्लाक अध्यक्ष हेमंत सिंह के नेतृत्व में विभिन्न मांगो का ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम का उपखंड अधिकारी मोहन सिंह राजपुरोहित को दिया। ज्ञापन में संविदाकर्मियों ने मांग करते हुए कहा कि उनको नियमित किया जाए व पारिश्रमिक छठे वेतनमान के आधार पर गणना कर अंतर राशि का भुगतान किया जाए। अगर इन मांगो पर राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन करने की चेतावनी दी है। ज्ञापन सौंपते समय किशनसिंह, अनिल, रफीक, माया, चन्दु प्रकाश, योगेन्द्र सिंह, गुलाब, संतोष गुर्जर, निर्मल, मादा राम इत्यादि उपस्थित थे।
देसूरी । ब्लॉक देसूरी के मनरेगा कार्मिकों ने नियमित करने एवं मानदेय समय पर देने की मांग को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम देसूरी उपखंड अधिकारी श्रीमती सुनीता मीणा को ज्ञापन दिया।
उपखंड अधिकारी ने मनरेगा कार्मिकों की मांगो को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। मनरेगा कार्मिक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष असलम खां मुगल ने बताया कि मनरेगा कार्मिक पिछले चार वर्षों से योजना को सफल बनाने का कार्य कर रहे हैं। उसके बावजूद सरकार उनके खिलाफ गलत नीतियां अपना रही है। उनको पिछले तीन महिनों से अल्प मानदेय भी समय पर नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि
अगर ऐसी ही स्थितियों बनी रही तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। इस दौरान मनरेगा तकनीकी सहायक रामपाल गहलोत, चेतन राम एवं रोजगार सहायक सहित कार्मिक उपस्थित थे।

मांगें पूरी नहीं हुईं तो दो जनवरी से नहीं करेंगे काम

Justify Fullमनरेगा संविदा कार्मिकों ने एसडीएम, बीडीओ को सौंपा ज्ञापन

हनुमानगढ़त्न जिले के मनरेगा संविदा कार्मिक संघ की ओर से सोमवार को रावतसर, टिब्बी व भादरा उपखंडों में एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया। कार्मिकों ने इस संबंध में बीडीओ को भी मनरेगा आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर एक जनवरी तक उनकी मांगें नहीं मान ली गईं तो वे दो से सभी कार्य बहिष्कार करने को बाध्य होंगे।

रावतसरत्न मनरेगा संविदा कार्मिक संघ ने सोमवार को उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। संघ ने पंचायत समिति विकास अधिकारी को भी मनरेगा आयुक्त के नाम ज्ञापन दिया। अधिकारियों को अपनी मांगों से अवगत करवाया। दिए गए ज्ञापन में राज्य में मनरेगा योजना के तहत कार्यरत सभी संविदा कार्मिकों को नियमित करने, अंतर राशि का भुगतान करने व बिना जांच के अब तक हटाए गए कार्मिकों को पुन: बहाल करने की मांग की है। ज्ञापन में संघ ने चेतावनी दी है कि अगर एक जनवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे दो जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबंद व समस्त मनरेगा कार्यों का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।

टिब्बीत्नमनरेगा संविदा कार्मिक संघ की स्थानीय इकाई सदस्यों ने संविदा कर्मचारियों की मांगों के संबंध में सोमवार को उपखंड अधिकारी हर्षवर्धन सिंह राठौड़ को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन के अनुसार राज्य में मनरेगा योजनांतर्गत कार्यरत समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग की गई है जिसमें बताया गया है कि वर्तमान में कार्यरत संविदा कार्मिक वर्ष 2006-07 से सेवा दे रहे हैं। इन कर्मचारियों का चयन सक्षम प्राधिकारियों द्वारा पूर्णतया आरक्षण नियमों, आयु, शैक्षणिक योग्यता के आधार पर मैरिट द्वारा किया गया है तथा समय पर प्रशिक्षण, कंप्यूटर ट्रेनिंग भी प्रदान की गई है। कर्मचारियों को 1 अप्रैल 11 से नियमित वेतन श्रृंखला लागू होने तक पारिश्रमिक छठे वेतनमान के आधार पर गणना कर अंतर राशि का भुगतान करवाने, नरेगा स्थाई समिति में ग्राम रोजगार सहायक को सदस्य के रूप में दखल अंदाजी मानना, लेखा सहायक द्वारा कैश बुक व स्टॉक रजिस्टर निरीक्षण को दखल अंदाजी मानना, ई-मस्टररोल के संदर्भ में गलत एमआईएस नंबर व इंटरनेट की धीमी गति के कारण डाटा एंट्री ऑपरेटर व कम्प्यूटर ऑपरेटर मय मशीनों को दोषी मानना, कार्य अनुरूप टास्क देने के बावजूद कनिष्ठ तकनीकी सहायक पर आरोप लगाकर सेवा से पृथक कर देना जो अनुचित है तथा बिना जांच के अब तक हटाये गये कार्मिकों को पुन: बहाल करने की मांग की गई है। चेतावनी दी गई है एक जनवरी तक उक्त समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो राज्य के समस्त संविदा कर्मी अनिश्चितकालीन कलमबंद व कार्यों का बहिष्कार करेंगे।

भादरात्नराजस्थान महात्मा गांधी मनरेगा संविदा कार्मिक संघ शाखा के संविदाकर्मियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मनरेगा के तहत कार्यरत समस्त संविदाकर्मियों को नियमित करने, नियमित वेतन श्रृंखला लागू होने तक उन्हें छठे वेतन आयोग का लाभ देने, संविदाकर्मियों द्वारा सेवा शर्तों के अनुरूप कार्य किए जाने के बाद भी सरपंचों व अधिकारियों द्वारा द्वेषता पूर्वक भावना से कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की। चेतावनी देते हुए संविदाकर्मियों ने कहा कि अगर शीघ्र ही उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे।

MGNREGA

MGNREGA Meकम्प्यूटर ऑपरेटर मय मशिन का अनुबंध प्रपत्र अन् कार्मिकों के समान होते हुए भी 10 प्रतिशत व़द्वी नहीं हो रही डिटेल के लिए क्लिक करें



इसलिए
कम्प्यूटर ऑपरेटर अपने मोबाईल नम्बर मय नाम ग्राम पंचायत सहित विवरण ते ताकि आपस में सम्‍पर्क हो सके विवरण देने के लिए किल्‍क करें

MGNREGA

Posted in | 0 comments

नरेगा में खर्चा पूरा, हिसाब अधूरा, केंद्र ने रोका पैसा

जयपुर.नरेगा में खर्च की जाने वाली राशि की सही एंट्री एमआईएस (मंथली इंफॉर्मेशन सिस्टम) में नहीं होने से केन्द्र सरकार ने राज्य को आगे राशि देने से इंकार कर दिया है। एमआईएस की अनिवार्यता होने के बावजूद कई जिलों ने इसकी पालना नहीं की। इसके चलते खर्च की गई राशि फर्क आ रहा है।

राज्य की एमपीआर (मंथली प्रोग्रेस रिपोर्ट) के अनुसार नरेगा में अब तक 1,82,592.31 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं,जबकि एमआईएस में सिर्फ 1,61,527.58 लाख रुपए ही दर्शाए गए हैं।

केंद्र ने रोका पैसा

प्रदेश में नरेगा के लिए उपलब्ध कुल राशि 228900.45 लाख रुपए में से वास्तव में खर्च 52.2 प्रतिशत हो चुका है, जबकि एमआईएस में 46.2 प्रतिशत का ही हिसाब दर्ज है। केंद्र सरकार इसी को आधार मानकर आगे के लिए पैसा जारी करता है। खर्च का पूरा ब्यौरा दर्ज नहीं होने से केंद्र सरकार ने राज्य को आगे की राशि देने से इनकार कर दिया है। इससे आगे होने वाले कामों पर असर पड़ सकता है।

यहां नहीं हो रही एंट्री

नागौर, करौली, प्रतापगढ़, भरतपुर और बांसवाड़ा जैसे जिलों में खर्च हो एंट्री में 45 से 17 प्रतिशत तक का फर्क नजर आ रहा है। वहीं, भीलवाड़ा, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनूं, कोटा, पाली, राजसमंद और सिरोही ऐसे जिले हैं, जहां एमआईएस में एमपीआर से ज्यादा एंट्री दर्शाई गई है।

ये कारण बताए

नरेगा के परियोजना अधिकारी रामनिवास मेहता का कहना है कि जिलों के संबंधित अधिकारियों को कई बार एमआईएस में नियमित एंट्री के लिए कहा जाता है, लेकिन पालना नहीं होती। करौली, प्रतापगढ़ जैसे जिलों में कनेक्टिीविटी की समस्या है तो कुछ अन्य जिलों में स्टाफ की।
Source: bhaskar news

Posted in | 0 comments

Online Earn Money- Click Heae


Visit Us for News- http://mybestinfo.co.cc


मनरेगा के तहत अब शौचालय बनाने की भी स्वीकृति

गरीब परिवारों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी बनाए जा सकेंगे शौचालय
केन्द्र शासन ने जारी की अधिसूचना

रायपुर, 21 अक्टूबर 2011

छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों की मांग पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत अब गरीब परिवारों, स्कूलों और आंगन बाड़ी केन्द्रों में शौचालय निर्माण की अनुमति मिल गई है। केन्द्र शासन ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सचिव, लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी श्री आर.एस.विश्वकर्मा ने बताया कि इस आदेश के जारी होने से प्रदेश में संपूर्ण स्वच्छता अभियान को और अधिक गति मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई रखने और जनता की सुविधा के लिए गए इस निर्णय से गांवों में गरीब परिवारों के घरों में, स्कूलों में, आंगन बाड़ी केन्द्रों और कम्यूनिटी शौचालय मनरेगा के मद से बनाए जा सकेंगे। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से 30 सितंबर को जारी अधिसूचना में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 29 में इस संबंध में संशोधन किया गया है।

MGNrega News

MGNrega News, MGNrega News, MGNrega News, MGNrega News, MGNrega News,
कम्प्यूटर ऑपरेटर मय मशिन का अनुबंध प्रपत्र अन् कार्मिकों के समान होते हुए भी 10 प्रतिशत व़द्वी क्यों नहीं .....




कम्प्यूटर ऑपरेटर अपने मोबाईल नम्बर मय नाम ग्राम पंचायत सहित Comment के लिए किल्‍क करें

Posted in | 25 comments

मनरेगा कर्मचारियों पर गिरेगी गाज

अजमेर। सार्वजनिक निर्माण, वन एवं जल संसाधन विभाग और ग्राम पंचायतों की लेटलतीफी की गाज मनरेगा में अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों पर गिरेगी। प्रशासनिक मद में पर्याप्त बजट के अभाव में जिला प्रशासन अनुबंध के कर्मचारियों को करीब छह महीने के लिए हटाने की तैयारी कर रहा है।

जिले में मनरेगा में आठ कार्यक्रम अधिकारी, आठ सहायक कार्यक्रम अधिकारी, 52 कनिष तकनीकी सहायक, 28 लेखा सहायक, 276 ग्राम रोजगार सहायक और करीब डेढ़ हजार मैट कार्यरत हैं। मनरेगा में प्रशासनिक मद का बजट मनरेगा के कुल खर्च का 5 फीसदी दिया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में मानसून की मेहरबानी से मनरेगा के अधिकांश कार्य अधूरे हैं। जून से ही श्रमिकों ने मनरेगा पर काम करना लगभग बंद कर दिया था।

नतीजतन, निर्माण सामग्री पर भी ज्यादा राशि खर्च नहीं हो सकी। ग्राम पंचायतों, सार्वजनिक निर्माण, वन एवं जल संसाधन विभाग के पक्के और कच्चे कार्य भी अधूरे रह गए हैं। जिला प्रशासन ने इस वर्ष मनरेगा में कुल 3 हजार 49 कार्य स्वीकृत किए थे। प्रशासन ने श्रमिकों की मजदूरी भुगतान और निर्माण सामग्री खरीद के लिए कुल 344 करोड़ 42 लाख का बजट दिया था। इसमें से 243 करोड़ रूपए खर्च नहीं हुए हैं। बमुश्किल मनरेगा में अभी तक सौ करोड़ रूपए खर्च हुए हैं इस लिहाज से प्रशासनिक मद में केवल पांच करोड़ रूपए का बजट ही मिल सकेगा। पांच करोड़ के बजट से अनुबंध के कर्मचारियों को 31 मार्च 2012 तक मानदेय का भुगतान करना मुश्किल होगा। बजट के अभाव में प्रशासन ने अनुबंध के कर्मचारियों को करीब छह महीने के लिए हटाने का विचार किया है। नए वित्तीय वर्ष में अनुबंध के कर्मचारियों को पुन: काम पर रखा जाएगा। प्रशासन ने विचार पर अमल किया तो सैंकड़ों अनुबंध के कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।

इनका कहना है
मनरेगा में प्रशासनिक मद में बजट की कमी होने की आशंका है। हम नकारा कर्मचारियों को हटाएंगे और खाली पदों पर फिलहाल भर्ती नहीं करेंगे। रामनिवास जाट सीईओ जिला परिषद अजमेर

नरेगा में नौ हजार पद खाली, गांव में कोई जाने को तैयार नहीं

जयपुर.नरेगा में एक तरफ खर्च की जाने वाली राशि का आंकड़ा लगातार घट रहा है, वहीं नरेगा के काम संचालन के लिए सृजित किए गए पदों में से करीब 9000 पद रिक्त चल रहे हैं। इनमें स्थायी पद और संविदा पद दोनों की ही शामिल हैं।

संविदा वाले पदों के लिए तय किए पारिश्रमिक को विभाग के अधिकारी ही दबी जुबान में कम बताते हैं। इसके चलते पंचायत समिति और जिला परिषद में कार्यरत कर्मचारियों पर काम का बोझ अधिक हो गया है। इन सबसे के बीच सरकारी दावों के बीच नरेगा में लोगों को काम भी नहीं मिल रहा है।

ग्रामीण विकास विभाग के नरेगा सेल में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इनमें 6967 पद ग्राम पंचायतों और 239 पद पंचायत समितियों में डाटा एंट्री ऑपरेटरों के खाली चल रहे हैं।

ऐसे में राज्य और केंद्र सरकार को भेजे जाने वाली सूचनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। काम की जांच के लिए तैनात किए जूनियर तकनीकी सहायकों के 510 पद खाली पड़े हैं।

कितने पद खाली

पंचायत समिति (कुल 249) स्तर पर

पद नाम : खाली पद : वेतन प्रतिमाह

एईएन/ सीनियर तकनीकी सहायक : 165 : रेग्युलर पोस्ट

ब्लॉक एमआईएस मैनेजर : 46 : 10,000 रु

एकाउंट्स असिस्टेंट पंचायत समिति : 46 : 8,000 रु.

एकाउंट्स असिस्टेंट पंचायत : 114 : 8,000 रु.

डाटा एंट्री ऑपरेटर मय मशीन : 88 : 6,000 रु.

जूनियर तकनीकी सहायक : 510 : 13,000 रु.

डाटा एंट्री ऑपरेटर : 239 : 5,330 रु.

क्लास फोर कर्मचारी : 44 : 3510 रु.

पंचायत (कुल 9177) स्तर पर

ग्राम रोजगार सहायक : 384 : 4030 रु.

डाटा एंट्री ऑपरेटर मय मशीन : 6967 : 6,000 रु.

जिला परिषद (कुल 33) स्तर पर

एडी पीसी : 31 : रेग्युलर पोस्ट

एक्सईएन : 13 : रेग्युलर पोस्ट

एईएन/ तकनीकी सहायक : 31 : रेग्युलर पोस्ट

एकाउंट्स ऑफिसर : 20

असिस्टेंट एकाउंट्स ऑफिसर : 12 : रेग्युलर पोस्ट

जूनियर एकाउंटेंट्स : 16

एमआईएस मैनेजर : 1 : 10,000 रु.

टैनिंग कॉर्डिनेटर : 8 : 10,000 रु.

कॉर्डिनेटर सप्लाई : 9 : 10,000 रु.

डाटा एंट्री ऑपरेटर : 39 : 5330 रु.

आईईसी कॉर्डिनेटर : 7 : 10,000 रुपए

कनिष्ठ लिपिक : 17 : पेंशनर्स-लास्ट पे माइनस पेंशन

कुल रिक्त पद : 8919 :

क्या है कारण

संविदा पर काम करने वालों को अब इसके प्रति रुचि कम होती जा रही है।

कम पारिश्रमिक में डाटा एंट्री ऑपरेटर मय मशीन के आने को तैयार नहीं।

इतने कम वेतन में दूरदराज के गांवों में जाने के लिए कोई इच्छुक नहीं।

बार-बार की जांच और उसके बाद पुलिस में मामले दर्ज होने के चलते नरेगा में लोगों ने आना कम कर दिया। एक तो कम वेतन और ऊपर से बिना वजह पुलिस की कार्रवाई।

असर

कार्मिकों के अभाव में ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक में काम पर असर आता है। कई स्थानों पर तो उन्हें पंचायत में दिखाया जाता है, जबकि उनसे पंचायत समिति या अन्य स्थानों पर काम लेते हैं।

"सरकार कार्मिकों का शोषण कर रही है। ऐसे में कौन दूर दराज के गांवों में काम करने के लिए जाएगा। सारे काम सचिवों को करने पड़ रहे हैं। सरकार को पारिश्रमिक की राशि बढ़ानी चाहिए।"

सोहन लाल डारा, प्रदेश महामंत्री, ग्राम सेवक संघ
Source: ललित शर्मा

नए बीपीएल आवासों के सर्वे की तैयारी

उदयपुर। मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास के तहत चालू वर्ष के 42 हजार 39 आवासों का काम हाथ में लेने के बाद प्रशासन ने अगले वित्तीय वर्ष में दिए जाने वाले आवासों के सर्वे के लिए तैयारी शुरू कर दी है। गुरूवार को गिर्वा और बड़गांव पंचायत समितियों के ग्रामसचिवों, पटवारियों, महानरेगा के कार्मिकों सहित अन्य स्टॉफ की बैठक में जिला कलक्टर हेमन्त गेरा ने कहा कि बीपीएल सूची-2002 में दर्ज लोगों के परिवारों का सर्वे कर इसकी नई सूची तैयार की जाए।

नई सूची में पिछले 9 वर्षो में 60 वर्ष की आयु वाले लोगों को पेंशन लाभ दिलाने, उनके आवासों की स्थिति देखते हुए मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना में शामिल करने के तथ्यों को शामिल किया जाए। यह सर्वे रिपोर्ट पहले से तैयार होने पर अगले वर्ष के लिए बनाई जाने वाली आवासों की कार्ययोजना में काफी मदद मिलेगी और कम समय में स्वीकृतियां जारी करने का रास्ता खुलेगा। कार्मिकों को जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अबरार अहमद ने भी मार्गदर्शन दिया।

इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
पेंशन संबंधी पात्र व्यक्तियों का सर्वे, अपना खेत अपना काम योजना, महानरेगा कार्यो पर समूहवार माप, राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का निर्माण, दीवार लेखन, फोटो स्केनिंग, महानरेगा में सामग्री की निविदाएं, उपयोगिता प्रमाण पत्र, एमआईएस फीडिंग, महानरेगा के अलट्र्स, मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना, विलेज प्लान आदि बिंदुओं पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए ।

हर पंचायत समिति में लेंगे बैठक
जिला कलक्टर हर पंचायत समिति में उपरोक्त मामलों की बैठक लेंगे। वे 20 अगस्त को सुबह 10 बजे झाड़ोल, दोपहर दो बजे कोटड़ा और शाम चार बजे गोगुंदा पंचायत समिति सभाकक्षों में, 21 अगस्त को सुबह 10 बजे खेरवाड़ा, दोपहर 1 बजे सराड़ा और शाम चार बजे सलूम्बर तथा 23 अगस्त को सुबह 10 बजे मावली और बाद में भीण्डर तथा लसाडिया पंचायत समिति की भीण्डर पंचायत समिति में संयुक्त बैठक लेंगे, जिसमें दोनों पंचायत समितियों के सचिव तथा पटवारी शामिल होंगे।

नागर की पत्नी के खेतों के बाहर महानरेगा में काम

जयपुर। खाद्य राज्य मंत्री बाबूलाल नागर ने महानरेगा के नियमों का उल्लंघन करते हुए पत्नी सुनीता नागर के खेतों के बाहर पक्का करवा लिया। लोकायुक्त कार्यालय ने इस मामले को लेकर जांच के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है इसके लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से भी नागर के खिलाफ पुरानी शिकायतों का ब्योरा ले लिया है। साथ ही महानरेगा सम्बंधी इस मामले में अन्य तथ्य जुटाए जा रहे हैं।

रिपोर्ट में गंभीर सवाल
लोकायुक्त कार्यालय के पास पहुंची इस शिकायत के साथ जिला प्रशासन की वह रिपोर्ट भी आई है, जिसमें नागर की पत्नी सुनीता नागर को फायदा पहुंचाने के लिए महानरेगा कार्य करवाने की बात कही गई है। जयपुर जिले के कल्याणपुरा निवासी रामेश्वर लाल चौधरी ने लोकायुक्त कार्यालय को तत्कालीन एडीएम एम.पी. स्वामी की जांच रिपोर्ट सौंपी। इस में सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से कराए गए महानरेगा के कार्य पर गम्भीर सवाल उठाए गए।

एक लाख पानी में डूबे
रिपोर्ट के अनुसार जयपुर की उगरियावास पंचायत क्षेत्र में फुलेरा बालाजी डामर सड़क के सहारे सुनीता नागर को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी जमीन के सामने दिसम्बर 09 व जून 10 में पटरी सुदृढ़ीकरण कराया, जिसकी बिलकुल जरूरत ही नहीं था। मजेदार बात तो यह है कि सड़क सुदृढ़ीकरण का कार्य मई 09 में पीडब्ल्यूडी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पहले ही करा चुका था और वह अभी सही सलामत है। जिला प्रशासन ने जब यह कार्य रूकवाया तब तक इस पर एक लाख रूपए खर्च हो चुके थे। जिला परिषद ने यह राशि वसूलते हुए पीडब्ल्यूडी अधिशाषी अभियंता सहित अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।

यह भी की गई अनदेखी
महानरेगा के तहत कार्य की वित्तीय स्वीकृति के समय सामग्री पर 40 प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं होने की शर्त थी, जांच रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इसकी भी परवाह नहीं की।

यह भी कहा रिपोर्ट में

इस कार्य से जन साधारण को कोई फायदा नहीं था, तकमीने में पक्की पटरी बनाने के लिए बताए कारण भी सही नहीं थे। यह सड़क टूट भी जाती तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में निर्माणकर्ता ठेकेदार सड़क की देखरेख के लिए जिम्मेदार था।

सुनीता नागर के फार्म हाउसों के अलावा स्वयं खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर के फार्म हाउस के पास भी ऎसा ही कार्य हो रहा था। नागर के खिलाफ की गई शिकायत पर लोकायुक्त कार्यालय ने पिछले दिनों पूछताछ की, हाल ही कुछ और दस्तावेज भी लोकायुक्त कार्यालय में दिए हैं।
रामेश्वर लाल चौधरी, शिकायतकर्ता

कार्य नहीं हुआ
सड़क पीडब्ल्यूडी की है। वहां महानरेगा के तहत कोई कार्य हो रहा है या नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है और ना ही मुझे इससे कोई लेना-देना है। मेरी पत्नी के नाम कोई फार्म हाउस नहीं है। मैं तो वहां से रोज गुजरता हूं वहां सुदृढ़ीकरण का कोई काम नहीं हुआ। कोई सड़क है तो वह हमारी थोड़े ही हो गई। शिकायत अनावश्यक छवि खराब करने के लिए की गई है।
बाबूलाल नागर, खाद्य राज्य मंत्री

कोई ऎसी शिकायत आई तो थी, जो सचिव को सौंप दी थी। मुझे जानकारी नहीं है।
जी.एल. गुप्ता, लोकायुक्त

नागर के खिलाफ पुरानी शिकायतों की रिपोर्ट हमें एसीबी से भी मिल गई है।
राकेश बंसल, सचिव लोकायुक्त


श्ौलेन्द्र अग्रवाल

अब मनरेगा में भी होंगे कृषि कार्य

करौली.सपोटरा। मनरेगा योजना के तहत भी अब किसान अपने खेतों पर भी कार्य करा सकेंगे। आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के जीवन स्तर को ऊपर लाने के लिए सरकार ने मनरेगा के तहत 'अपना खेत अपना काम' योजना के तहत व्यक्तिगत लाभ के काम कराने के निर्देश जारी किए हैं। खेत की भूमि सुधार से लेकर सिंचाई प्रबंधन और कृषि उद्यानिकी का लाभ योजना के तहत मिल सकेंगे। अघिकतम एक किसान 1.50 लाख रूपए का कार्य अपने खेत पर करा सकेगा।

योजना के प्रथम चरण में बीपीएल, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को लाभ दिया जाएगा। इसके बाद सीमान्त और लघु कृषकों को योजना में लाभान्वित किया जाएगा। योजना के लिए लाभार्थियों के चयन के लिए सात प्रपत्रों में सर्वे कार्यशुरू कर दिया गया है। सर्वे के बाद इसे ग्राम सभा में विचार के बाद 2012-13 की वार्षिक कार्य योजना में सम्मलित किया जाएगा। इसके बाद पंचायत समिति व जिला परिषद की सधारण सभा की बैठक में इन कार्यो का अनुमोदन किया जाएगा।

क्यों पड़ी जरूरत
मनरेगा के तहत अब कराए जा रहे सामुदायिक व सार्वजनिक हित के कार्यो में धीरे-धीरे कमी आने लगी है। श्रमिकों को कार्य नहीं मिलने की स्थिति में एक ही तलाई पर दो-दो बार काम करवा दिया जाता है या फिर काम देने के लिए ऎसे स्थान पर कार्य करवा दिया जाता हैं, जो कि औचित्य पूर्ण नहीं होता। इससे श्रमिकों का 100 दिन का टास्क पूरा नहीं हो पा रहा था। इस कारण खेतों पर मनरेगा कार्य कराने की योजना शुरू की गई है।

ये होंगे कार्य
योजना के तहत भूमि समतलीकरण, छोटे बांध, तलाई, मेड़बंदी, कृषि वानिकी, उद्यानिकी, भू-जल संरक्षण कार्य व खडीन निर्माण, कच्चे धोर बनाना, कच्चे धोरों को पक्का करने, फार्म पौण्ड, डिग्गी, टांके, जल होज, नवीन कूप निर्माण, कूप गहरा करना, चेकडेम, भूमिगत पाइप लाइन बिछाने का कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा ड्रिप संयंत्र, फव्वारा सिंचाई तथा बागवानी में कृषि विभाग की अनुदान योजनाओं को शामिल कर कार्य स्वीकृत किए जाएंगे।

क्या है योजना
व्यक्तिगत लाभ की 'अपना खेत अपना काम योजना' में लाभ लेने वाले किसान का चयन ग्राम सेवक व ग्राम रोजगार सहायक करेंगे। योजना का लाभ लेने वाले किसान का जाबकार्डधारी होना तथा उसी ग्राम पंचायत में उसकी जमीन होना आवश्यक है। योजना के तहत एक व्यक्ति अघिकतम 1.50 लाख रूपए के ही कार्य कराए जा सकेंगे।

इनमें पक्के कार्यो के लिए 60 हजार रूपए तक की निर्माण सामग्री तथा शेष राशि के श्रमिक उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में अघिकतम 10 श्रमिक उपलब्ध होंगे, जिनमें एक लाभार्थी किसान होगा। इससे अघिक राशि का कार्य होने पर लाभार्थी अतिरिक्त राशि स्वयं उपलब्ध कराएगा या अन्य योजनाओं से उस कार्य को पूरा कराया जा सकता है।

दे रहे प्रशिक्षण
महानरेगा के सहायक अभियंता अरविन्द शर्मा ने बताया कि योजना के प्रभावी क्र्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लाभार्थियों के चयन के लिए सर्वे कार्य शुरू कर दिया गया है।

मनरेगा में धन की बर्बादी

शिमला, प्रदेश में मनरेगा के तहत कई क्षेत्रों में धन की बर्बादी की जा रही है। ऐसा पंचायतों और विकास खंडों की लापरवाही के कारण हो रहा है। मनरेगा के अंतर्गत विकास खंड एवं जिले प्रदेश सरकार से धन की उपलब्धता के बावजूद ज्यादा धन की मांग कर रहे हैं। इस बात का खुलासा जिलों और विकास खंडों के पास मौजूद धन राशि और खर्च की गई राशि के एमआईएस (मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम) की जानकारी की जांच के बाद हुआ है।
खर्च में खेल
ग्रामीण विकास विभाग के मुख्यालय स्तर पर हुई जांच के बाद अधिकतर जिलों में पर्याप्त धन उपलब्ध होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में मनरेगा के अंतर्गत अपनी कार्यप्रणाली को लेकर प्रदेश की अधिकतर जिले और विकास खंड संशय के दायरे में आ गए हैं। चर्चा है कि प्रदेश की ग्राम पंचायतें एवं मनरेगा कार्यान्वयन में लगी सभी एजेंसियां सरकार से मनरेगा से ज्यादा धन वसूली की कोशिश कर रही हैं। मनरेगा में अधिकतर ग्राम पंचायतों की जारी की गई धन राशि में वास्तविक व्यय की गई धन राशि की समीक्षा नहीं कर रही हैं। इससे विभिन्न पंचायतों के पास उपलब्ध धन राशि का वास्तविक स्थिति का जायजा नहीं मिल पा रहा। जिला एवं खंड विकास कार्यालय प्रदेश सरकार से अतिरिक्त धन की मांग कर रहे हैं।


सभी जिला उपायुक्तों, परियोजना अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों को विशेष सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज आरएन बत्ता ने लिखित आदेश जारी कर सभी पंचायतों और अन्य कार्यान्वयन निकायों से उपलब्ध धन राशि की मासिक समीक्षा करने के कहा है। बत्ता ने कहा है कि मनरेगा मांग आधारित कार्यक्रम है जिसमें धन राशि रोजगार की मांग के आधार पर जारी की जानी है न कि योजना में स्वीकृत कार्यो के आधार पर। प्रदेश सरकार ने यह भी साफ किया है कि सभी ग्राम पंचायतें यह भी तय कर लें कि उनके पास बगैर उपयोग के कोई धन राशि न रहे।


प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि मनरेगा एक मांग आधारित कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत धन राशि जारी करने से पहले लोगों को दिए जाने वाले रोजगार को ध्यान में रखना जरूरी है। अभी मनरेगा में स्वीकृत कार्यो की संख्या और लागत के आधार पर धन मांगा जा रहा है जो कि गलत है। ऐसे में सभी मनरेगा योजनाएं कार्यान्वित करने वाली सभी पंचायतों को मस्टर रोल और लोगों के रोजगार की मांग का विश्लेषण कर धन का सही उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।

Source: bhaskar news


Note
: Candidates can get the any other information or any other Sarkari Naukri / Current Gk directly in your inbox by subscribe your e-mail id in a Click give below.

Enter your email address:

After Subscribe plz check your Email ID & click link

कई कार्मिकों को दिए नोटिस

बारां। राज्य सरकार के निर्देश पर जिला मुख्यालय के सरकारी कार्यालयों में औचक निरीक्षण में अनुपस्थित मिले कार्मिकों को नोटिस जारी कर तलब किया गया है। जिला कलक्टर नवीन जैन ने बताया कि कार्मिकों का लेटलतीफी का रवैया नहीं सुधरने पर बड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

गत 15 जुलाई को औचक निरीक्षण में दूसरी बार अनुपस्थित पाए गए टीए अमर सिंह, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति करतार सिंह, जिला उद्योग अधिकारी शरबतीलाल मीणा, गार्ड राजेश कश्यप, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के जेईएन अब्दुल हफीज, किशन गोपाल, अनिल भट्ट तथा वरिष्ठ लिपिक महेन्द्र वर्मा व फरीद को नोटिस देकर तलब किया है।

Note : Candidates can get the any other information or any other Sarkari Naukri / Current Gk directly in your inbox by subscribe your e-mail id in a Click give below.

Enter your email address:

After Subscribe plz check your Email ID & click link

डाटा इंट्री का काम बाधित

Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government
www.job2site.co.cc

झंझारपुर (मधुबनी)। प्रखंड के मनरेगा कार्यालय में कम्प्यूटर की व्यवस्था नहीं होने से डाटा इन्ट्री का काम माह दिसंबर 2010 से नहीं हो रहा है। यह स्थिति सामने तब आई जब ब्लॉक में कार्यरत बीआईसी का कन्ट्रेक्ट माह दिसंबर 2010 में समाप्त हो गया। दसंबर से पूर्व बीआईसी के कम्प्यूटर से ही डाटा इंट्री का कार्य किया जाता था। इसकी जानकारी मनरेगा के पीओ द्वारा उच्चाधिकारी को दी गई थी जिसके आलोक में डीडीसी ने ब्लॉक में रखा बीआरजीएफ मद का एक कम्पयूटर सेट मनरेगा को हस्तान्तरित करने का आदेश बीडीओ को दिया। डीडीसी के उक्त आदेश को भी दो सप्ताह से ज्यादा हो गया है लेकिन स्थिति जस की तस हे और डाटा इंट्री का कार्य प्रभावित है।

मनरेगा की खामियों पर बरसे पासवान

Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government
www.job2site.co.cc


प्रतिनिधि, जालंधर : देशभगत यादगार हाल में शनिवार को 'भूख की जंग में-हम सब संग में' अभियान की शुरुआत कर दी गई। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि मनरेगा स्कीम के तहत कहीं धांधली की जा रही है तो कहीं बेहद कम दिहाड़ी दी जा रही है। भारत निर्माण का सपना दिखाने वाली यह स्कीम फ्लाप साबित हो रही है। लोगों को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार देने के दावे महज कागजी साबित हो रहे हैं। इसी कारण देशभर में मनरेगा की खामियों के खिलाफ जंग का आगाज जालंधर के देशभगत यादगार हाल से किया गया है। इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव जय सिंह, अमर सिंह मेहमी, राष्ट्रीय दलित सेना के प्रधान सांसद राम चंद्र पासवान, पंजाब प्रधान किरण गहरी व परमिंदर सिंह काला उपस्थित थे।

ग्रेवल सड़कों की जांच होगी

Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government

www.job2site.co.cc


जोधपुर. नरेगा के तहत पिछले दो साल में बनी सभी ग्रेवल सड़कों की गुणवत्ता की जांच की जाएगी। ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग ने नरेगा, डीआरडीए व भूसंरक्षण के अभियंताओं को इन सड़कों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। अभियंता मौके पर जाकर सड़कों की मोटाई चैक करेंगे।

सरकार ने गुणवत्ता की यह रिपोर्ट 20 जून तक भेजने के निर्देश दिए हैं। नरेगा में पिछले दो साल में ज्यादातर कच्चे काम के रूप में ग्रेवल सड़कों का निर्माण हुआ है। यह काम पीडब्ल्यूडी व पंचायत दोनों ने करवाया था। नाडी की खुदाई से ग्रेवल निकाल कर बिछाने तक का काम श्रम मद में ही हुआ है।

ग्रेवल सड़कों के निर्माण में शिकायतें आ रही थीं, इसलिए ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग सभी जिलों में 30 सितंबर 2010 से पहले बनी ग्रेवल सड़कों की गुणवत्ता चैक करने के निर्देश दिए हैं। जिला परिषद के सीईओ व नरेगा एडीपीसी को दिए निर्देश में कहा गया कि नरेगा, डीआरडीए व भूसंरक्षण विभाग के एक्सईएन जिले की कोई भी दो ग्रेवल सड़कों की जांच करेंगे तथा एईएन पंचायत समितियों की सड़कों को चैक करेंगे।

250 मीटर तक खुदाई करनी होगी: एक्सईएन व एईएन दो-दो ग्रेवल सड़कों की जांच करेंगे। गुणवत्ता की जांच के लिए 250 मीटर लंबाई तक सड़क की खुदाई करवा कर ग्रेवल सड़क की मोटाई देखेंगे। तैयार ग्रेवल सड़क की मोटाई लगभग 6 इंच होनी चाहिए, इससे कम मोटाई वाली ग्रेवल सड़क का काम निम्न स्तर का माना जाता है।

पहले भी करवाई थी जांच: सरकार ने करीब एक साल पहले सभी ग्रेवल सड़कों की गुणवत्ता चैक कराई थी। पिछली सरकार में घटिया ग्रेवल सड़कें बनाने की शिकायतें ज्यादा थीं। उस पर ऑडिट पैरा भी बने थे। सरकार ने विभिन्न एजेंसियों के अभियंताओं को इस काम में लगा कर संबंधित जिम्मेदार से वसूली भी की थी।

Posted in Labels: , | 0 comments

गहलोत की प्रधानमंत्री से मदद का आग्रह

Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government
www.job2site.co.cc

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह से उनके साउथ ब्लॉक स्थित कार्यालय में भेंट कर राजस्थान में राज्य की विद्युत परियोजनाओं के लिए कोयला उपलब्ध करवाने एवं रिफाईनरी की स्थापनां तथा महानरेगा के अन्तर्गत बी.पी.एल परिवारों के लिए आवास निर्माण को सम्मिलित कराने, पेयजल के लिए राज्य को विशिष्ट दर्जा दिलवाने और त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अंतर्गत 90 प्रतिशत केन्द्रीय अनुदान दिलवाने का आग्रह किया है।
भेंट के दौरान गहलोत ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य के मरूस्थलीय प्रधान पश्चिमी भू-भाग में पेट्रोल एवं गैस के विशाल भण्डार मिले है और बाड़मेर जिले में प्रधानमंत्री की उपस्थिति में ही वर्ष 2009 में कच्चे तेल का उत्पादन प्रारम्भ हुआ है वर्तमान में यहां 1 लाख 25 हजार बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का उत्पादन हो रहा है, जो शीघ्र ही बढ़कर 1 लाख 50 हजार बैरल प्रतिदिन हो जायेगा।

गहलोत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि देश के बड़े राज्यों में राजस्थान एकमात्रा ऐसा प्रदेश है, जिसमें रिफाईनरी नहीं है। प्रदेश के लोगों की भावना एवं अपेक्षा है कि राज्य में शीघ्र ही रिफाईनरी स्थापित हो और प्रधानमंत्री इस मामले में स्वयं हस्तक्षेप कर रिफाईनरी लगवाये,ताकि राज्य के निवासियों को रोजगार के अवसर मिलने के साथ ही उनकी आर्थिक हालत में भी सुधार का लाभ मिल सके।

उन्होने बताया कि प्रदेश में रिफाईनरी की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त केन्द्रीय पेट्रोलियम सचिव एस.सी. त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था और इस समिति ने बाड़मेर में प्रथम चरण में 4.5 से 6 मिलियन टन वार्षिक क्षमता की रिफाईनरी स्थापित करने की अनुशंषा की थी। राज्य सरकार ने त्रिपाठी कमेटी की सभी अनुशंषाए स्वीकार कर ली है और ओ.एन.जी.सी. द्वारा चाही गई अतिरिक्त वित्तीय रियायतें देने की पेशकश भी की है। साथ ही केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्रा लिखकर राजस्थान-रिफाईनरी को उत्पाद शुल्क में 50 प्रतिशत छूट देने का आग्रह किया है।

गहलोत ने बताया कि इंजीनियर्स इण्डिया लिमिटेड ने राज्य सरकार के साथ रिफाईनरी परियोजना में सहभागिता की पेशकश की है और ओ.एन.जी.सी. के साथ राज्य सरकार के अधिकारियों का विचार विमर्श जारी है। उन्होंने केन्द्र सरकार से रिफाईनरी की स्थापना के लिए सहयोग करने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री से मांग की कि वे केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से राजस्थान रिफाईनरी को उत्पाद शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान करावे और केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय राजस्थान रिफाईनरी को बाड़मेर ब्लॉक से कच्चा तेल खरीदने के लिए नामित करे। साथ ही केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय से ओ.एन.जी.सी. को 69 प्रतिशत सहभागिता के साथ मुख्य प्रमोटर के रूप में बाड़मेर रिफाईनरी स्थापित करने का निर्देश दिलावे। गहलोत ने उन्हे विश्वास दिलाया कि बाड़मेर में रिफाईनरी की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 26 प्रतिशत सहभागिता की जायेगी। शेष 5 प्रतिशत की सहभागिता इन्जीनियर्स इण्डिया लिमिटेड की होगी।

गहलोत ने राज्य की तापीय विद्युत परियोजनाओ के लिए केन्द्र से तत्काल कोल लिंकेज एवं कोल ब्लॉक्स दिलवाने और पर्यावरणीय मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया और उन्हें बताया कि ऐसा नहीं होने पर राज्य की ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्रा में तेजी से आगे बढ़ने के प्रयासो को धक्का लगेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि राजस्थान सरकार ऊर्जा क्षेत्रा को सर्वोच्च वरीयता दे रही है और विगत दो वर्षों से राज्य की वार्षिक योजना में उर्जा क्षेत्रा को सभी क्षेत्रों के मुकाबले प्राथमिकता दी गई है।

उन्होंने बताया कि राज्य में 1200 मेगावाट क्षमता की काली सिंध तापीय परियोजना (यूनिट 1 व 2) एवं 500 मेगावाट की छबड़ा (यूनिट 3 व 4) बिजलीघरों का कार्य प्रगति पर है एवं इन दोनों परियोजनाओं को 11वीं पंचवर्षीय योजना में पूर्ण किया जाना है। इन दोनों परियोजनाओं का 75 प्रतिशत से ज्यादा का कार्य पूर्ण हो चुका है एवं इन पर लगभग 5 हजार करोड़ रूपये भी व्यय किए जा चुके हैं। इनसे चालू वित्तीय वर्ष मे ही विद्युत उत्पादन शुरु होना प्रस्तावित है।

गहलोत ने बताया कि इन दोनों परियोजनाओं के लिए कोयले की दीर्घकालीन आपूर्ति छत्तीसगढ राज्य में स्थित हंसदेव अरंड कोल फील्ड्स के ‘‘पारसा ईस्ट व केन्टे बसान’’ कोल ब्लॉक्स से प्रस्तावित है, लेकिन हसदेव आरन्द कोल फील्ड को ‘नो गो एरिया’ घोषित किया गया है, इस कारण इन कोल ब्लॉक्स की वन एवं पर्यावरण स्वीकृति वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नहीं दी जा रही है, जिससे इन कोल ब्लॉक्स से कोयले का खनन शुरू नहीं किया जा सका है। भारत सरकार ने एक मंत्रीमण्डलीय समूह गठित किया है जो कि तापीय परियोजनाओं के लिए कोयले की आपूर्ति से संबंधित मुद्दों पर विचार कर उनका समाधान करेगी परन्तु अभी तक संबंधित मुद्दों पर कोई समाधान नहीं हो पाया है। उन्होनें बताया कि इस परिस्थिति में इन तापीय परियोजनाओं को कोयले की आपूर्ति के बिना शुरू करना संभव नहीं होगा। अतः इस संबंध में तत्काल निर्णय करवाने की आवश्यकता है अन्यथा हम बिजली उत्पादन के लक्ष्य समय पर पूरा करने में पिछड जायेगें।

गहलोत ने बताया कि हमने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल 1998-2003 में 1500 मेगावाट से अधिक क्षमता की परियोजनाओं की स्वीकृति दी थी और कोयले का आवंटन एवं पर्यावरण स्वीकृति समय पर प्राप्त होने के कारण उन्हे समय पर चालू करने और 1400 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को पूर्ण करने में सफलता पाई थी।

इस बार भी हमनें राज्य मे अपने वर्तमान कार्यकाल के शुरू में ही सुपर क्रिटीकल तकनीक पर आधारित कुल 3960 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं सूरतगढ़ एवं छबड़ा को राज्य क्षेत्रा में एवं आदिवासी क्षेत्रा बांसवाड़ा में निजी क्षेत्रा में हाथ में लेने की मंजूरी दी है इन परियोजनाओं के लिए संबंधित सभी कार्यवाही यथा भूमि का आवंटन, जल आवंटन एवं टी.ओ.आर इत्यादि पूरी कर ली गई हैं। राज्य सरकार ने फरवरी 2009 में कोयले के लॉग टर्म लिंकेज/कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए कोयला मंत्रालय, भारत सरकार को आवेदन किया था। राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रयास करने पर भी दो साल से अधिक का समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त पर भी भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा अभी तक कोयले के लिंकेज/कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं किया गया है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय निविदाएं भी आमंत्रित कर उन्हें अप्रैल 2010 में खोला जा चुका हैं, परन्तु कोयले का आवंटन नहीं होने की वजह से कार्यादेश नहीं दिये जा सके हैं। इन परियोजनाओं की लगातार मोनिटरिंग करने के उपरान्त भी इनके क्रियान्वयन में एक वर्ष से ज्यादा का विलम्ब हो चुका है। इस कारण इन परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने में दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।

उन्होंने बताया कि पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से भी राज्य सरकार को ओर से अनुरोध किया जा चुका है।

गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों की सूची में बी.पी.एल परिवारों के लिए ग्रामीण आवास को भी सम्मिलित करवाया जाए। उन्होने बताया कि राजस्थान में इंदिरा आवास योजना के अर्न्तगत प्रत्येक वर्ष मात्रा 65,000 बी.पी.एल. परिवारों को ही लाभान्वित किया जा रहा है। इस गति से 2001 की जनगणना अनुसार सभी योग्य बी.पी.एल. परिवारों को लाभान्वित करने में 20 वर्षों से अधिक समय लग जाऐगा।

गहलोत ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान मे रखते हुए बी.पी.एल. परिवारों को लाभान्वित करने का दायरा बढाने की महती आवश्यकता है और यह कार्य मात्रा महात्मा गांधी नरेगा अधिनियम, 2005 की अनूसूची 1 के आइटम क्रमांक एक बी की श्रेणी चतुर्थ के अन्तर्गत बी.पी.एल. परिवारों के लिये ग्रामीण आवासों को अनुमत गतिविधि बनाये जाने से ही हो पायेगा।

उन्होने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा के श्रम व सामग्री अनुपात के मापदण्ड 60ः40 के विपरीत यद्यपि ग्रामीण आवास के लिए श्रम सामग्री अनुपात लगभग 20ः80 है। गहलोत ने सुक्षाव दिया कि महात्मा गांधी नरेगा के 60ः40 अनुपात को पंचायत स्तर पर संधारित किये जाने के दृष्टिगत इस गतिविधि को महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत सम्मिलित किया जाना संभव हो सकता है बशर्ते पंचायत स्तर पर सभी कार्यों के लिए 60ः40 का अनुपात संधारित किया जा सके।

उन्होने राय दी कि किसी भी स्थिति में, किन्हीं भी कारणों से यदि सामग्री की राशि महात्मा गांधी नरेगा के अन्तर्गत देय अधिकतम सीमा से अधिक हो जाती है तो राज्य सरकार सामग्री मद के अन्तर्गत बढी हुई राशि को अपने स्वयं के संसाधनों से वहन करेगी ।

गहलोत ने प्रधानमंत्री को बताया कि वर्ष 2002-03 के भीषण सूखे व अकाल के समय उनकी सरकार राहत कार्यों के साथ व्यक्तिगत लाभार्थियों के कार्यों को सम्बद्ध करने का प्रयोग सफलतापूर्वक कर चुकी है जिसके परिणाम अत्यंत अच्छे रहे थे एवं लाभार्थियों को भी व्यापक संतोष प्राप्त हुआ था अतः बी.पी.एल. परिवारों के लिए ग्रामीण आवास योजना को महात्मा गांधी नरेगा के अन्तर्गत अनुमत कार्यों की सूची में शामिल किया जाना चाहिये।

मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान में पीने के पानी के संकट को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री से राजस्थान को विशेष पैकेज के रूप में प्रति वर्ष तीन हजार करोड़ रूपये की अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया। गहलोत ने प्रधानमंत्री को बताया कि राज्य के 1 लाख 21 हजार बस्तियों में से 34 हजार बस्तियां पानी की खराब गुणवत्ता से प्रभावित है।

राज्य में पीने के पानी की इस विषमता के दूरगामी व स्थाई समाधान के लिए सतही स्त्रोतों से पाईपलाईन के नेटवर्क द्वारा कई शहर व ग्राम/ढ़ाणियों को एक साथ पानी उपलब्ध कराने की क्रियान्विती की जा रही ह। चूंकि राज्य में सतही स्त्रोत बहुत ही सीमित है और पानी औसतन 200 मीटर दूरी से लाना होता है।

उन्होंने बताया कि राज्य के कुल खारे पानी की समस्या से प्रभावित वस्तियों की 90 प्र.श. बस्तियों प्रदेश के पश्चिमी भाग के पांच जिलों बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, जैसलमेर, भरतपुर में है। इन जिलों में पानी के सतही स्त्रोत की दूरी अधिक होने से योजनाओं की लागत अत्याधिक आती है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में वर्तमान में चल रहे वृहद् जलप्रदाय योजनाओं के पूर्ण कार्य के लिए करीब दस हजार करोड़ रूपये की आवश्यकता है एवं सभी खराब गुणवत्ता से प्रभावित तथा पेयजल की कमी से प्रभावित 34 हजार हेबीटेशंस को लाभांवित करने के लिए 37 हजार करोड़ रूपये की आवश्यकता है।

त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) की 90 प्रतिशत राशि भारत सरकार से उपलब्ध करवाये

गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि राज्य के मरू क्षेत्रा विकास परियोजना (डी.डी.पी.) के अंतर्गत चल रही त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए.आई.बी.पी.) के लिए डी.पी.ए.पी. की तरह भारत सरकार से 90 प्रतिशत राशि उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एआईबीपी के अन्तर्गत भारत सरकार से डीडीपी में फंडिंग 90 एवं 10 के अनुपात से नहीं कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि डीपीएपी में 90 प्रतिशत और 10 प्रतिशत अनुपात से कराई जा रही है जबकि राजस्थान का ज्यादातर हिस्सा डीडीपी के अन्तर्गत आता है और वर्षा का औसत भी बहुत कम है। अतः प्रदेश के डीडीपी क्षेत्रों में भी डीपीएपी के समान फंडिंग पैटर्न पर राशि उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि इन्दिरा गांधी फीडर पंजाब क्षेत्रा में आर.डी. 0 से आर.डी. 496 तक है तथा उसकी मरम्मत का तखमीना राशि रूपये 952.10 करोड़ स्वीकृत हुआ है। उसके लिए एआईबीपी योजना के अन्तर्गत स्वीकृति प्रदान की गई है। जिसमें 90 प्रतिशत एआईबीपी एवं 10 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे अपने स्तर पर पंजाब राज्य को इस कार्य को शीघ्र प्रारम्भ करने हेतु निर्देशित करे।

इसी प्रकार इन्दिरा गांधी फीडर की आर.डी. 496 से 671 एवं इन्दिरा गांधी नहर की आर.डी. 0 से आर.डी. 200 का तखमीना रूपये 401.63 करोड़ का स्वीकृत किया गया है जिसकी फंडिंग एआईबीपी से होनी है। गहलोत ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि इस परियोजना की फंडिंग भी एआईबीपी से 90 प्रतिशत भारत सरकार व 10 प्रतिशत राज्य का हिस्सा के अन्तर्गत करवाए क्योंकि इस परियोजना से राजस्थान के 8 जिलों में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध करवाया जाता है एवं 16.17 लाख हैक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसके अतिरिक्त इन जिलों में पेयजल हेतु भी इस परियोजना से जल उपलब्ध करवाया जाता है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री को बताया कि प्रदेश के जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में सोलर-एनर्जी का हब बनाया जा रहा है जिसके लिए पानी की आवश्यकता होगी। इस हब हेतु पानी का स्त्रोत सिर्फ इन्दिरा गांधी नहर परियोजना ही है। किसानों का पानी काटकर इस सोलर एनर्जी हब का नही दिया जा सकता। उन्होंने राय दी कि यदि प्रस्तावित परियोजना को एआईबीपी से फंडिंग किया जाता है तो परियोजना शीघ्र सम्पादित होगी और नहरों में हो रहे नुकसान को कम कर पानी की बचत की जा सकती है जिससे सोलर एनर्जी हब के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सकता है।

जनप्रतिनिधियों के मानदेय पर संविदा कर्मियों को आपत्ति

जनप्रतिनिधियों के मानदेय पर संविदा कर्मियों को आपत्ति
मनरेगा के प्रशासनिक मद की राशि से जनप्रतिनिधियों को मानदेय दिए जाने के कारण संविदा कार्मिकों में रोष है। महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ द्वारा आठ जून से प्रस्तावित हड़ताल में यह भी प्रमुख बिंदु है। कार्मिकों के मुताबिक जनप्रतिनिधियों को मानदेय के रूप में दी जाने वाली राशि काफी अधिक है और कार्मिकों का मानदेय कम रहने का यह भी एक बड़ा कारण है।


करोड़ों रुपए बैठता है मानदेय : राज्य सरकार ने अक्टूबर 2009 में अध्यादेश जारी करके जनप्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी की थी। मानदेय में की गई बढ़ोतरी का भुगतान मनरेगा के प्रशासनिक बजट से करने के भी निर्देश जारी हुए। अध्यादेश के मुताबिक जिला प्रमुख का मानदेय 51 सौ से बढ़ाकर 75 सौ, पंचायत समिति प्रधान का 31 सौ से पांच हजार और सरपंच का मानदेय एक हजार से तीन हजार रुपए करने का निर्णय लिया। बढ़ी हुई राशि का बोझ मनरेगा के बजट पर पड़ा। संविदा कार्मिकों के मुताबिक इस कारण मनरेगा पर करीब एक करोड़ नब्बे लाख रुपए प्रति माह का बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा बैठक भत्ते में की गई बढ़ोतरी की राशि भी करीब पांच लाख प्रति माह बैठती है।

इसलिए है आपत्ति : संविदा कर्मियों का कहना है कि मरेगा के प्रशासनिक मद में छह प्रतिशत राशि खर्च की जाती है। इसका बड़ा हिस्सा जनप्रतिनिधियों के मानदेय में चला जाता है। इस कारण संविदा कर्मियों के मानदेय में वृद्धि नहीं हो रही है। उधर, मध्यप्रदेश में मनरेगा के संविदा कर्मियों को छठे वेतन आयोग का लाभ दिया गया है। इसके चलते कार्मिकों का मानदेय डेढ़ से दो गुणा हो गया है। संविदा कर्मियों का कहना है कि जनप्रतिनिधि मनरेगा के अलावा स्थानीय निकाय के अन्य काम भी देखते हैं। ऐसे में मनरेगा के बजट को उनके मानदेय के लिए उपयोग करना उचित नहीं है।

Source - dainikbhaskar.com

फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी

हनुमानगढ़ || मानदेय में बढ़ोतरी व स्थाई करने संबंधी अन्य मांगों को लेकर महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ के सदस्य आठ जून से एक बार फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। संविदा कर्मियों का आरोप है कि फरवरी में आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने संघ के साथ हुए समझौते की पालना नहीं की। मानदेय नहीं बढऩे से उनमें रोष है। इसके अलावा नौ जनवरी 2007 के प्रपत्र को निरस्त करने से भी कार्मिक असमंजस में हैं। संविदा कार्मिकों का कहना है कि इस प्रपत्र के निरस्त होने के बाद उन्हें यह भी पता नहीं है कि वे किस प्रपत्र के नियमों के आधार पर काम कर रहे हैं। अपनी शंकाओं और मांगों को लेकर संविदा कार्मिकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एसीईओ को दिया।


Source : bhaskar.com




Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government
www.job2site.co.cc


आठ जून से एक बार फिर हड़ताल पर-नरेगा संविदा कार्मिक

मानदेय में बढ़ोतरी व स्थाई करने संबंधी अन्य मांगों को लेकर महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ के सदस्य आठ जून से एक बार फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। संविदा कर्मियों का आरोप है कि फरवरी में आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने संघ के साथ हुए समझौते की पालना नहीं की। मानदेय नहीं बढऩे से उनमें रोष है। इसके अलावा नौ जनवरी 2007 के प्रपत्र को निरस्त करने से भी कार्मिक असमंजस में हैं। संविदा कार्मिकों का कहना है कि इस प्रपत्र के निरस्त होने के बाद उन्हें यह भी पता नहीं है कि वे किस प्रपत्र के नियमों के आधार पर काम कर रहे हैं। अपनी शंकाओं और मांगों को लेकर संविदा कार्मिकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एसीईओ को दिया।

आंदोलन के सिवाय रास्ता नहीं : राजस्थान महात्मा गांधी नरेगा संविदा कार्मिक संघ के जिलाध्यक्ष ने बताया कि राज्य सरकार ने 30 अप्रैल तक कार्मिकों की मांगों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। सरकार की वादाखिलाफी के बाद अब कार्मिकों के पास आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने बताया कि आठ जून से सभी संविदा कार्मिकों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है।

...अब ग्राम पंचायतवार बनेगा रिपोर्ट कार्ड

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, डूंगरपुर

...अब ग्राम पंचायतवार बनेगा रिपोर्ट कार्ड

मिलेगी ग्रेडिंग, फेल होने पर रूकेंगे कार्मिकों के इंक्रीमेंट

डूंगरपुर, 13 अप्रेल/ सौ दिनों का शर्तिया रोजगार मुहैया करवाने वाली महत्वकांक्षी महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनान्तर्गत सरकार की मंशाओं के अनुरूप पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए सुव्यवस्थित क्रियान्वयन के लिए डूंगरपुर जिले में एक नवीन मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से ग्राम पंचायतवार योजना की मॉनिटरिंग करते हुए अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जाएगा वहीं इससे यह पता लगाया जाएगा कि योजना वास्तव में मांग आधारित, अधिकार आधारित एवं जवाबदेह तरीके से संचालित हो रही है अथवा नहीं ।

जिला कलक्टर पूर्ण चंद्र किशन द्वारा तैयार किए गए इस मॉनिटरिंग सिस्टम में अब योजना के तहत 11 कॉलम में 23 बिन्दुओं पर सूचना संकलित करते हुए ग्रेडिंग दी जाएगी जिसके माध्यम से पता चल सकेगा कि योजना का प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा है अथवा नहीं। इसके तहत निर्धारित मानदण्डों पर खरा नहीं उतरने वाले संबद्ध कार्मिकों के विरूद्ध कार्यवाही का आधार भी तय किया गया है।

सिस्टम के तहत एक प्रपत्र तैयार किया गया है जिसमें सी-1 से सी-11 तक कॉलम में ग्राम पंचायतवार तथा गतिविधिवार सूचना संकलित कर मंगवाई गई है। प्रपत्र के सी-1 कॉलम में 100 दिन का कार्य पूर्ण करने वाले परिवारों की संख्या तथा कार्य हेतु आवेदन करने वाले परिवारों की सूचना होगी। इससे यह ज्ञात हो जावेगा कि आवेदन करने वाले परिवारों के विपरित कितने परिवारों को 100 दिन पूर्ण का रोजगार दिया गया क्योंकि यह स्पष्ट है कि किसी परिवार ने एक बार कार्य के लिये आवेदन किया है तो यह सम्भव नहीं है कि 100 दिवस तक कार्य नहीं करेगा। इस बिन्दु से यह जानकारी हो सकेगी कि ग्राम पंचायत के सरपंच अथवा सचिव द्वारा काम मांग करने वाले श्रमिकों को कार्य देने में रूचि दिखाई गई अथवा नहीं। इसी प्रकार सी-2 के कॉलम में सृजित मानव दिवस तथा आवेदन करने वाले श्रमिकों की संख्या की सूचना के माध्यम से यह ज्ञात होगा कि औसत कितने श्रम दिवस कार्य उपलब्ध कराया गया। यदि यह संख्या कम आती है तो स्पष्ट है कि कार्य उपलब्ध नहीं करवाया गया। प्रपत्र के सी-3 कॉलम में श्रम भाग पर कुल व्यय की गई राशि तथा कुल सृजित मानव दिवस की सूचना प्राप्त होने से औसत दर की भी जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इसी प्रकार संबंधित ग्राम पंचायतों में जिन पखवाड़ों में कार्य नहीं चलाया गया, उसकी संख्या तथा अवधि की जानकारी प्रपत्र के सी-4 कॉलम से प्राप्त होगी और इससे यह पता चल सकेगा कि ग्राम पंचायत में जानबूझकर कितने पखवाड़ों में कार्य बन्द रखा गया।

सी-5 में केटेगरी-4 के कार्यों की संख्या तथा लाभार्थियों की संख्या का उल्लेख होने से व्यक्तिगत लाभ से शेष रहे परिवारों को चिन्हित किया जा सकेगा वहीं सी-6 में वित्तीय वर्ष 2010-11 में व्यक्तिगत लाभ के कार्यों व लाभान्वितों की संख्या मांगी गई है। प्रपत्र के सी-7 कॉलम विशेष रूप से अनुसूचित जाति वर्ग के श्रमिकों को दिए गए कार्य पर निगरानी रखने के लिए निर्धारित किया गया है और इससे यह तथ्य उद्घाटित हो सकेगा कि ग्राम पंचायत में कितने परिवार अनुसूचित जाति के हैं तथा उनके कितने मानव दिवस सृजित करते हुए अजा परिवारों को लाभान्वित किया गया। इस सूचना से अनुसूचित जाति वर्ग के प्रति संबंधित ग्राम पंचायत प्रशासन की संवेदनशीलता है का ज्ञान हो सकेगा। प्रपत्र के सी-8 कॉलम में अबतक कुल स्वीकृत कार्य व अपूर्ण रहे कार्य की संख्या की सूचना के माध्यम से ग्राम पंचायतवार अपूर्ण रहे कार्यों की जानकारी मिल सकेगी ताकि इन्हें पूर्ण करवाने के प्रयास किये जा सके। इससे प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपूर्ण कार्यों के त्वरित गति से पूर्ण करवाने के साथ ही स्वीकृत धनराशि का उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।

इसी प्रकार सी-9 में ऎेसे कार्यों की संख्या प्राप्त होगी जहां पर सरकार द्वारा निर्धारित पांच के समूह में कार्य नहीं हो रहा है तथा श्रमिक दर 60 रू. से कम है। इस कॉलम में श्रमिक दर 60 रूपये से कम आने की स्थिति में संबंधित मेट के विरूद्ध की गई कार्यवाही के बारे में भी विवरण अंकित करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा सी-10 में श्रमिक दर 89 रूपये से कम दिए जाने वाले श्रमिकों की संख्या तथा इस स्थिति में मेट के विरूद्ध की गई कार्यवाही का विवरण संकलित किया जाएगा। प्रपत्र के अंतिम कॉलम में ग्राम पंचायत को अग्रिम दी गई राशि और अब तक समायोजित की गई राशि के बारे में सूचना प्राप्त करते हुए योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के बारे में सूचनाएं प्राप्त की जा रही हैं।

...और प्रतिशत कम रहे तो रूकेंगे इंक्रीमेंट ः

महात्मा गांधी नरेगा योजना की मॉनिटरिंग को बनाए गए इस विशेष प्रपत्र में मा़ंगकर ही इतिश्री नहीं की गई है वरन् इसके माध्यम से बिन्दुवार प्रगति का प्रतिशतांक भी निकाला जा रहा है। इस प्रतिशतांक के आधार पर जिम्मेदार संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव, पंचायत समिति के कनिष्ठ अथवा सहायक अभियंता के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित करते हुए इंक्रीमेंट रोकने की कार्यवाही की जाएगी। इंक्रीमेंट रोकने के लिए भी मानदण्ड निर्धारित किए गए है जिसमें अपेक्षित प्रगति लक्ष्य में से 40 प्रतिशत कमी पर 3 इंक्रीमेंट, 30 प्रतिशत पर दो तथा 20 प्रतिशत कमी पर 1 इंक्रीमेंट रोका जाएगा। इंक्रीमेंट रोकने के अलावा लक्ष्य से बिल्कुल कम होने पर संबंधित कार्मिक को नोटिस देने, निलंबित करने और टर्मीनेट करने तक की कार्यवाही भी की जाएगी। प्रत्येक कॉलम में प्रगति लक्ष्य की पूर्ति नहीं होने पर अलग-अलग कार्यवाही निर्धारित की गई है।

तुलनात्मक अध्ययन संभव होगा ः

प्रपत्र में 11 बिन्दुओं पर विस्तृत सूचना प्राप्त होने पर न केवल ग्राम पंचायतवार बेहतर मॉनिटरिंग हो पाएगी वरन् इससे योजना से सम्बन्धित प्रत्येक गतिविधि का विस्तृत डाटा प्राप्त होगा और जिले में विभिन्न पंचायतसमितियों के डाटा का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए प्रगति अथवा शिथिलता की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इसमें उल्लेखनीय कार्य करने पर प्रोत्साहन स्वरूप संबंधित कार्मिकों को अभिनंदन भी किया जाएगा।

-कमलेश शर्मा

जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी, डूंगरपुर
http://kamleshpro.blogspot.com


Visit for-
All Government Jobs India News (Daily New)
Website about all sarkari and Government jobs in Central/State Government
www.job2site.co.cc

Posted in | 0 comments

Subscribe Now:-

NREGA, MGNREGA, NREGA NEWS, NREGA, NREGA nrega, nrega rajasthan, nrega india, nrega rajasthan circulars, nrega india circulars, nrega rajasthan recruitment 2010, nregarecruitment, nrega vacancies, nrega rajasthan vacancies, nrega jobs, nrega news, nrega news in hindi, nrega hindi, nrega employees, nrega employees, nrega employment scheme, nrega employees salary, nrega employees association, nrega union rajasthan, nrega karmchari, NREGA labour association, nrega news rajasthan, nrega policy, nrega karmchari sangh, nrega information,mgnrega, mgnrega rajasthan, mgnrega india, mgnrega rajasthan circulars, mgnrega india circulars, mgnrega rajasthan recruitment 2010, mgnrega recruitment, mgnrega vacancies, mgnrega rajasthan vacancies, mgnrega jobs, mgnrega news, mgnrega news in hindi, mgnrega hindi, mgnrega employees, mgnrega employees, mgnrega employment scheme, mgnrega employees salary, mgnrega employees association, mgnrega union rajasthan, mgnrega karmchari, MGNREGA labour association, mgnrega news rajasthan, mgnrega policy, mgnrega karmchari sangh, mgnrega information