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**Wednesday_NREGA NEW's

नरेगा : ग्राम स्तर पर बनेंगी निगरानी कमेटियां


राज्य में नरेगा के कामकाज में पारदर्शिता लाने और निगरानी रखने के लिए निगरानी समितियों का विस्तार ग्राम स्तर तक किया जायेगा। केंद्र के निर्देश पर ग्रामीण विकास विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी करते हुए सभी प्रमंडलीय आयुक्तों को सूचना भेज दी है। आयुक्तों की देखरेख में सभी जिलों के लिए अलग-अलग कमेटियां बनेंगी। कमेटी में उपायुक्त, नरेगा काउंसिल के दो सदस्य और डीडीसी शामिल रहेंगे। डीडीसी कमेटी के सदस्य सचिव होंगे। यह व्यवस्था सभी 22 जिलों में लागू होगी। राज्य सरकार को अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि नरेगा के तहत ग्रामीणों की बजाय कर ठेकेदारों के जरिये काम कराया जा रहा है, मजदूरों से काम लेने की बजाय मशीनों का इस्तेमाल हो रहा हैॅ। कई स्थानों पर कम मजदूरी दिये जाने और फर्जी मस्टर रोल से नरेगा की राशि उठा लेने की शिकायत भी मिलती है। ऐसी शिकायतों को निपटारे के लिए पहले जिला स्तर पर पहले निगरानी समिति बनायी जा रही है। बाद में ग्राम स्तर तक ऐसी कमेटियां बनायी जायेंगी, ताकि नरेगा के काम में घपला नहीं हो सके।

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**Tuesdya_NREGA NEW's

महानरेगा अब पाठ्यक्रम में भी

दुनिया में सबसे बड़ी रोज़गार योजनाओं में अपनी जगह बना चुकी भारत की 'महा-नरेगा' योजना ने अब एक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में भी अपना स्थान बना लिया है.

राजस्थान में कोटा स्थित वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय ने नरेगा के लिए 'महात्मा गाँधी मेट प्रमाणपत्र' कोर्स शुरू किया है.

इसके तहत ऐसे सहयोगी बनाए जाएंगे जो नरेगा के तहत चलने वाली विभिन्न योजनाओं की निगरानी करने लायक़ बनेंगे, रेजिस्टर में काम करने वाले का ब्योरा लिखने वाले होंगे, दूसरे शब्दों में सहयोगी होंगे.

मेट को साथी संगी के अर्थ में देखा जा सकता है.

अपनी तरह का ये पहला कोर्स है. इसमें तीन प्रशन-पत्र होंगे और इसके लिए हमने पूरी तैयारी शुरू कर ली है. हम इसमें दाख़िल विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय से दूर ले जाकर मौक़े पर भी प्रशिक्षण देंगे

कुलपति नरेश दाधीच, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय

कोई तीन साल पहले इसी विश्वविद्यालय ने 'गांधीगिरी' पर एक कोर्से शुरू किया था.

विश्वविद्यालय के कुलपति नरेश दाधीच ने बीबीसी से कहा "ये रोज़गार-मूलक कोर्स होगा. इस साल जुलाई से पढ़ाई शुरू की जाएगी."

उन्होंने कहा, "ये कोर्स नरेगा में मेट की नौकरी के पात्र तैयार करेगा, इसके लिए राज्य सरकार ने हमसे आग्रह किया था."

साथ में उन्होंने मेट के बारे में बताते हुए कहा कि "नरेगा के क्रियान्वयन में मेट की ज़रूरत पड़ती है जो योजना के काम में लगे लोगों से कार्य संपादित करवाता है और निगरानी रखता है.

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++श्रम एवं रोजगार विभाग नरेगा कार्मिकों को देगा आरमोल से प्रशिक्षण

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26 अप्रेल , 2010

जयपुर। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की प्रभावी एवं पारदर्शिता पूर्ण क्रियान्विति सुनिश्चित करने के लिए श्रम एवं रोजगार विभाग की ओर से आरमोल के माध्यम से कार्मिकों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। यह जानकारी प्रमुख शासन सचिव श्रम एवं नियोजन मनोहरकांत ने सोमवार को शासन सचिवालय में आयोजित विभागीय अधिकारियों की बैठक में दी। उन्होंने बताया कि योजना से जु़डे तकनीकी एवं अन्य कार्मिकों को पत्रावलियों के बेहतर रख-रखाव सहित कार्यालय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, नियमों एवं प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए वृहद् रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे। रोजगार मेलों में देश-विदेश की प्रतिष्ठित कम्पनियों को आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में आरमोल के माध्यम से ही बेरोजगार युवक युवतियों को योग्यता के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभागों में जु़डे प्रमुख विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की जाए जिससे समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आने वाले मुद्दों पर मार्ग दर्शन लेकर ऎसी कार्य विधि अपनायी जाए जिससे उनका समाधान तत्परता से हो सके। साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रम कानूनों की प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित की जाए

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**FriDay_NREGA NEW's

नरेगा कार्य समय घटाया

बूंदी. प्रचण्ड धूप व लू के थपेडों से बचने के लिए नरेगा कार्य के समय में कटौती कर दी गई है। बुधवार से नरेगा श्रमिक सुबह 6 से 10 बजे तक यानि चार घंटे ही काम करेंगे। इस दौरान टास्क को भी घटाकर आधा कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में सभी जिला परिषदों को मंगलवार को आदेश मिल गए हैं। राज्य के विभिन्न इलाकों में पड रही भीषण गर्मी को देखते हुए बूंदी सहित अन्य स्थानों से नरेगा कार्य समय में परिवर्तन करने के आग्रह राज्य सरकार को भेजे गए थे। राज्य सरकार ने गर्मी की विकटता को देखते हुए काम का समय घटा दिया। इससे पहले नरेगा श्रमिक सुबह 6 से अपराह्न 3 बजे तक नौ घंटे काम करते थे।

टास्क भी घटाया

काम के समय में कटौती के साथ-साथ श्रमिकों को टास्क में आधी कमी का तोहफा भी दिया गया है। यानि अब उन्हें आधा काम करना होगा और भुगतान उसे पूरे टास्क का मिलेगा अन्‍य न्‍यूट के लिए किल्‍क करे

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**Monday_NREGA NEW's

नरेगा में जेसीबी का उपयोग


ग्राम लोहरवाड़ा की जनकल्याण समिति ने जिला कलेक्टर राजेश वर्मा को ज्ञापन भेजकर ग्राम पंचायत में चल रहे नरेगा कार्यो में किए गए सड़क निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की जांच कराने news detail click

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**Saturday_NREGA NEW's



नरेगा में भरी फर्जी हाजिरी

मण्डफिया। भदेसर तहसील क्षेत्र में नरेगा कार्यो के शुक्रवार को आकस्मिक निरीक्षण में कई अनियमितताएं पाई गई। इस पद दो मेट ब्लैक लिस्टेट कर दिए गए जबकि ग्राम पंचायत के सहायक सचिव सहित चार अन्य मेटों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। भदेसर तहसील के विकास अघिकारी विरेन्द्र चौरे के निर्देशन में सहायक एवं तकनीकी अभियन्ता मुकेश अत्री, जितेन्द्र दिवाकर, कन्हैयालाल धाकड, रतनलाल शर्मा व राजू की टीम ने विभिन्न नरेगा कार्यों का निरीक्षण किया।

सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से बनाई जा रही नपावली-हापाखेडी ग्रेवल सडक निर्माण में छह हाजरी फर्जी निकली। इस पर दोनों मेटों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

आकोला-सादलखेडा मार्ग ग्रेवल सडक निर्माण में एक बजे तक हाजरी नहीं भरने पर दो मेट को कारण बताओ नोटिस तथा चुनाखेडा तलाई गहरीकरण में 12 श्रमिकों की हाजरियां फर्जी पाए जाने पर दो मेट ब्लैक लिस्टेट करने के निर्देश दिए गए। वहीं सहायक सचिव हजारी लाल मेघवाल को 11 मई की फर्जी हाजरी का सत्यापन करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

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**FriDay_NREGA NEW's

नरेगा जॉब राजस्थन में ..............





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**Wednesday_NREGA NEW's

नरेगा लोकपाल रखेंगे घोटालों पर नजर
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (नरेगा) में अनियमितताआंे पर नजर रखने के लिए पंजाब सराकर ने छह लोकपाल नियुक्ति किये हैं। नरेगा लोकपाल नियुक्त करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है। पंजाब के ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री रणजीत सिंह ब्रहमपुरा ने कहा कि नरेगा के लिए लोकपाल की नियुक्ति से नरेगा को प्रभावी ढंग से लागू करने मंे मदद मिलेगी और इस स्कीम की पारदर्शिता और जवाबदेही निश्चित होगी।
मंत्री ने कहा कि नरेगा एक्ट की धारा 27 के अधीन नरेगा लोकपाल केंद्र या राज्य सरकार से एक स्वतंत्र एजेंसी होगी। यह नरेगा कार्यक र्ताओं से शिकायतें प्राप्त करगी और इन शिकायतों पर विचार करने के बाद इनका कानून के अनुसार अविलंब निपटारा करगी। ब्रहमपुरा ने स्पष्ट किया कि नरेगा को लागू करने के संबंध में शिकायतों के तेजी से निपटार के लिए स्वतंत्र प्राधिकरण की आवश्यकता थी।
पंजाब में अब लोकपाल रोकेंगे नरेगा में गड़बड़ी
नई दिल्ली।। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के लिए लोकपाल की नियुक्ति करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य बन गया है। यहां
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिए शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया गया है। इस योजना के लिए पंजाब में विभिन्न जिलों के लिए छह लोकपालों की नियुक्ति की गई है। नई पहल पारदर्शिता और जवाबदेही निश्चित करेगी। साथ ही, यह सुनिश्चित होगा कि योजना राज्य भर के जॉब कार्ड धारक गरीबों तक पहुंच सके। मस्टर रोल में गड़बड़ी पर जागा केंद्र: नरेगा में हाजिरी रजिस्टरों (मस्टर रोल्स) में हेरफेर की ढेरों शिकायतें मिलने के मद्देनजर अब केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इन मामलों को देखने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाने का फैसला किया है। मंत्रालय ने एक आदेश में कहा है कि मंत्रालय को नरेगा के तहत कामगारों की रोजाना हाजिरी में अनियमितता से जुड़ी शिकायतें मिली हैं, इसीलिए फैसला किया गया है कि एक ग्रुप का गठन किया जाए जो आईसीटी (कम्यूनिकेशन एंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी), यूआईडी व बायोमेट्रिक्स आदि के इस्तेमाल और एक नए मॉडल का निर्माण करने की संभावनाओं की तलाश करे। इस ग्रुप की अगुवाई ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और वित्त सलाहकार करेंगे। इसे तीन हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा गया है। नरेगा पर केंद्र सरकार अब तक 90 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। गौरतलब है कि नरेगा को लागू करने के दौरान सामने आ रही अन्य विभिन्न समस्याओं से निबटने के लिए मंत्रालय ने पहले ही ऐसे छह पैनल गठित किए हैं। इन समस्याओं में कार्यों की योजना और उन्हें पूरा करना, पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी और समय पर मजदूरी का भुगतान आदि शामिल हैं।

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**Saturday_NREGA NEW's

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**Wednesday_NREGA NEW's

Computer Operator with Machine in BUNDI

All computer Operator with machine in bundi

RAJASTHAN HIGH COURT
CASE STATUS INFORMATION SYSTEM

Case Status : PENDING

Status of CIVIL WRITS 2787 of 2010

MANISH KUMAR MEENA AND ORS Vs. STATE OF RAJ AND ORS

Pet's Adv. : SUDARSHAN LADDHA

Res's Adv. : L N BOSS ADD G C

Next Date of Hearing : Wednesday, May 19, 2010 Last Listed On : 02/04/2010 Court No. : 24

Category: FOR ADMISSION- NOTICE SERVED



CONNECTED MATTER (S)
No Connected Matter

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**Monday_NREGA NEW's

नरेगा श्रमिकों की सप्ताह में एक बार होगी स्वास्थ्य जांच
08 मई 2010,

बीकानेर। गर्मी में संभावित मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को नरेगा श्रमिकों की सप्ताह में एक बार स्वास्थ्य जांच के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उपचार के लिए जिला परिषद से समन्वय बनाए रखने को कहा गया है। इस सम्बन्ध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं के प्रमुख शासन सचिव ने आदेश जारी किए हैं।

आदेशों में कहा गया है कि अकाल राहत एवं नरेगा कार्य स्थल पर 50 से कम श्रमिक कार्यरत होने पर ए.एन.एम. उनके स्वास्थ्य की जांच करेंगी। जबकि 50 से 100 श्रमिक होने पर ए.एन.एम. तथा मेल नर्स स्वास्थ्य की जांच करेंगी। जबकि किसी कार्य स्थल पर सौ से अधिक श्रमिक होने पर चिकित्सा अधिकारी को स्वास्थ्य जांच के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही प्रत्येक भ्रमण की रिपोर्ट विभाग के उ“ा अधिकारियों को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है। जिला मुख्यालय, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित करने और इनमें चौबीस घंटे कर्मचारी की ड्यूटी तैनात करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

08 मई 2010, (rajasthan patrika)

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++नरेगा योजना: राजस्थान में इलेक्ट्रोनिक मस्टरोल व्यवस्था लागू होगी

07 मई , 2010

जयपुर। नरेगा में अब पूरे राज्य में इलेक्ट्रोनिक मस्टरोल व्यवस्था लागू की जाएगी। अभी यह व्यवस्था जोधपुर एवं चूरू में प्रायोगिक तौर पर चल रही है।

यह निर्णय शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में नरेगा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में किया गया। बैठक में अकाल प्रबंधन एवं भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की स्थापना की प्रगति की समीक्षा भी की गई। बैठक में पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत स्तर पर बनने वाले राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का उपयोग नरेगा योजना में श्रमिकों को भुगतान के लिए तथा सहकारी आंदोलन को सुदृढ़ बनाने के लिए करने पर भी विचार किया गया।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजीव गांधी सेवा केन्द्रों के बहुआयामी उपयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए निर्देश दिए कि पंचायत समिति स्तर पर 15 अगस्त 2010 तथा ग्राम पंचायत स्तर पर 02 अक्टूबर 2010 तक राजीव गांधी सेवा केन्द्रों के निर्माण को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने नरेगा योजना को अधिक प्रभावी एवं पारदर्शी तरीके से लागू करने पर जोर दिया। बैठक में नरेगा योजना के तहत भुगतान में विलंब के कारणों की समीक्षा के साथ ही भुगतान व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का उपयोग भुगतान केन्द्र के रूप में करते हुए सहकारी आंदोलन को मजबूती प्रदान करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया।

आयुक्त नरेगा ने बैठक में बताया कि नरेगा मार्गदर्शिका में स्पष्ट निर्देश है कि कुशल एवं अर्द्घकुशल श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान सामग्री मद से किया जा सकता है। राज्य सरकार ने सामग्री आपूर्ति के संबंध में भी व्यापक एवं स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं। बैठक में पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह, सहकारिता मंत्री परसादीलाल मीणा, सहकारिता राज्यमंत्री बृजेंद्र ओला, मुख्य सचिव टी. श्रीनिवासन, प्रमुख शासन सचिव वित्त सी. के. मैथ्यू, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास सी. एस. राजन, प्रमुख शासन सचिव सहकारिता आर. के. मीणा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्रीमत पांडे, शासन सचिव, मुख्यमंत्री रजत मिश्र तथा पोस्ट मास्टर जनरल राजस्थान भी उपस्थित थे।


++मनरेगा का पैसा सही हाथों तक नहीं: कोर्ट

नई दिल्‍ली, 7 अप्रैल 2010
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ग्रामीण रोजगार परियोजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) उच्चतम न्यायालय के जांच के दायरे में आ गई है. न्यायालय ने आज कहा कि इस योजना के तहत लाभ के वास्तविक हकदारों तक धन नहीं पहुंच रहा है, बल्कि कई मामलों में यह धन गलत हाथों में जा रहा है.

प्रधान न्यायाधीश के जी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की पीठ ने कहा, ‘‘कोई एकरूप नीति नहीं है. लाभ के वास्तविक हकदारों तक धन नहीं पहुंच रहा है.’’ मनरेगा को लागू किए जाने पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा कि योजना के तहत कई परियोजनाएं विफल हैं क्योंकि उसके लिए आवंटित धन का या तो उपयोग नहीं किया जा रहा है या कई मामलों में यह गलत हाथों में जा रहा है.

पीठ ने कहा, ‘‘धनों का वितरण हुआ है. लेकिन कई मामलों में यह गलत लोगों के हाथ में जा रहा है और लाभ के असली हकदारों तक धन नहीं पहुंच रहा है.’’ उसने कहा कि मनरेगा के तहत धन अनुग्रह राशि नहीं है क्योंकि गांवों में लोगों को आश्वस्त किया गया है कि यह धन उनके काम के बदले में है.

सीजेआई ने कहा कि सीएएमपीए (कंपनसेटरी एफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) के तहत धन को गांवों को उसके विकास के लिए दिया गया है.
मनरेगा के उद्देश्यों पर जोर देते हुए पीठ ने कहा, ‘‘जमीनी स्तर पर वास्तव में कुछ विकास होना चाहिए.’’ इसकी सफलता के लिए सीजेआई ने विगत कुछ वर्षों में काफी दिलचस्पी ली है.

न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, ‘‘सीजेआई ने खुद मनरेगा में काफी दिलचस्पी ली है और इसपर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए पहल की है.’’ पीठ ने अधिवक्ता मयंक मिश्रा की तारीफ की जिन्होंने परियोजनाओं के लिए धन के कारगर इस्तेमाल के लिए कुछ सुझाव दिए. पीठ गैर सरकारी संस्था सेंटर फॉर द एन्वायरनमेंट एंड फूड सेक्युरिटी (सीईएफएस) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में अधिनियम के तहत आवंटित धन के उचित इस्तेमाल की मांग की गई थी.

नरेगा फंड का दुरुपयोग, खरीदी 20 लाख की गाड़ी

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++नरेगा के सामने नई चुनौतियां

नरेगा यूं तो रोज़गार गारंटी कार्यक्रम है, लेकिन कई ग़लत कारणों से अब यह भ्रष्टाचार गारंटी योजना में तब्दील हो चुका है. मस्टररोल, जॉब कार्ड और भुगतान आदि में घोटाले की खबरें तो पहले से ही आती रही हैं, लेकिन अब यह योजना कुछ बिल्कुल नई क़िस्म की समस्याओं की गिरफ़्त में है. दिल्ली की एक संस्था है करम (नॉलेज अवेयरनेस रिसर्च एंड मैनेजमेंट). देश के कई सेवानिवृत अर्थशास्त्रियों की देखरेख में चल रहा एक संगठन. बी एल जोशी इसके मुखिया हैं और नरेगा सहित आम आदमी से जुड़े कई मसलों पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इनके नेतृत्व में करम ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव, मध्य प्रदेश के दमोह और कर्नाटक के कोलार एवं बंगलुरू के देहाती क्षेत्रों में नरेगा के तहत चल रहे कामों का जायज़ा लिया. पहली बार कुछ ऐसी समस्याओं की पहचान की गई है, जिनके बारे में अभी तक कल्पना भी नहीं की गई थी बहरहाल, हम ऐसे ही पांच सवालों (समस्याओं) को उठा रहे हैं, जिनकी अनदेखी से इस ड्रीम प्रोजेक्ट का दीवाला निकल सकता है.

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के कुछ गांवों में नरेगा की जांच के दौरान कुछ ऐसे नए तथ्य सामने आए हैं, जो यूपीए सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की सफलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. चौथी दुनिया ऐसे ही पांच बिंदुओं का विश्लेषण कर रही है, जो नरेगा के लिए खतरा बन चुके हैं.?

पंजीकरण का टोटा

क्या आपको यह आश्चर्यजनक नहीं लगेगा कि किसी गांव के 160 परिवारों में से महज़ 13 फीसदी यानी 20 परिवार ही नरेगा के तहत पंजीकृत हों? उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के एक गांव के स़िर्फ 20 परिवार ही इस योजना के तहत पंजीकृत हैं और साल में महज़ 32 दिनों का काम इन लोगों को मिल पाता है. कर्नाटक के कोलार एवं बंगलुरू (देहात) क्षेत्र का तो इससे भी बुरा हाल है. यहां के महज़ 10 फीसदी परिवार ही पंजीकृत हैं. जबकि मध्य प्रदेश के दमोह में हालात थोड़े अच्छे हैं. यहां के लगभग 56 फीसदी परिवारों का नरेगा के तहत पंजीकरण है और साल में उन्हें लगभग 52 दिन काम भी मिल रहा है.

किराये पर जॉब कार्ड

करम के चेयरमैन बी एल जोशी एक दिलचस्प वाकया सुनाते हैं. कहानी उन्नाव के वीरसिंह पुरा गांव की है. जोशी बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान जब वह इस गांव में गए तो उन्होंने वहां के प्रधान को का़फी परेशान देखा. वजह, गांव में नरेगा के तहत एक निर्माण कार्य चल रहा था और उसके लिए पांच मज़दूरों की ज़रूरत थी, लेकिन चार ही मिल पाए थे. जबकि गांव में 250 लोगों के पास जॉब कार्ड थे. जोशी ने जब प्रधान एवं गांव के अन्य लोगों से इस बारे में बातचीत की तो पता चला कि बहुत से जॉब कार्ड धारक नरेगा के तहत काम ही नहीं करना चाहते. वे अपना कार्ड ग्राम प्रधान अथवा ठेकेदार को 20 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर दे देते हैं. ठेकेदार अपने मज़दूरों से 50 रुपये देकर काम करा लेता है और बाकी पैसे खुद रख लेता है. दिलचस्प रूप से यह सारा धंधा इतने सलीके से होता है कि कोई उंगली तक नहीं उठा सकता.

किराया दो, पैसा लो

नरेगा के तहत सभी कार्डधारकों का खाता डाकघर अथवा बैंक में खुलता है. यहीं से मज़दूरों की पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है. लेकिन, यहां भी कम गोरखधंधा नहीं है. जोशी बताते हैं कि अलवर ज़िले के एक गांव में ऐसा ही मामला देखने को मिला. वहां के डाकघर में जब कोई मज़दूर अपना भुगतान लेने जाता है तो उससे कहा जाता है कि किसी ऐसे आदमी के साथ आओ, जो तुम्हें और मुझे यानी दोनों को पहचान सके. अंतत:, तीन-चार महीनों के बाद बैंक या डाकघर का कोई क्लर्क गांव में जाकर प्रधान के सामने सभी मज़दूरों का भुगतान करता है. इसके बदले वह प्रति भुगतान 10 रुपये यह कहकर लेता है कि मैं शहर से आया हूं और इसमें मेरा खर्च हुआ है. ज़ाहिर है, अगर सौ लोगों से भी दस-दस रुपये मिले तो उस कर्मचारी को बिना कुछ किए एक हज़ार रुपये की आमदनी हो जाती है.

काम पूरा, पैसा कम

सर्वेक्षण से यह भी भी पता चला कि मज़दूरों को उनके काम के दिनों के आधार पर नहीं, बल्कि काम की मात्रा को पैमाना बनाकर भुगतान किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर, चार-पांच लोगों के एक समूह को एक खास काम दे दिया जाता है और फिर जितने दिनों में वह काम हो पाता है, उसी के आधार पर भुगतान किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक़, दमोह के एक गांव में एक पुरुष साल में 27 दिन काम करके भी 1887 रुपये ही कमा पाता है. जबकि कर्नाटक में यह आंकड़ा 22 दिन के बदले 2173 रुपये का है. वहीं मध्य प्रदेश के दमोह में एक महिला साल में 23 दिन काम करके 1546 रुपये कमा पाती है.

नए कामों की कमी

नरेगा के तहत यह नया प्रावधान किया गया है कि किसी गांव में अगर एक काम होता है तो दोबारा फिर वही काम नहीं होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि एक गांव में कितने तालाब खोदे जाएंगे या कितनी सड़कें बनेंगी? ज़ाहिर है, ऐसी स्थिति में लोगों के पास काम की कमी होना तय है, लेकिन इस समस्या का भी कोई ठोस समाधान नहीं दिख रहा है. जोशी बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान उन्हें एक भी ऐसा मामला नहीं दिखा, जहां काम न मिलने पर किसी जॉबकार्ड धारक को बेरोज़गारी भत्ता दिया गया हो.

निश्चित तौर पर, ये पांच समस्याएं नरेगा के लिए ब़डी चुनौती हैं जिससे तत्काल निपटने की ज़रूरत है. क्योंकि नरेगा स़िर्फ यूपीए सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं है जो उसकी राजनीतिक ख्वाहिश को पूरा कर रहा है. बल्कि, इस योजना में इतनी ताक़त है जो गांवों में रहने वाले करोड़ो लोगों के सपनों को भी साकार कर सकती है. एक खुशहाल जीवन का सपना.

उन्नाव के वीरसिंह पुरा गांव में नरेगा के तहत एक काम के लिए पांच मज़दूरों की ज़रूरत थी, लेकिन चार ही मज़दूर मिल पाए थे. मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकि गांव में 250 लोगों के पास जॉब कार्ड थे. खोजबीन करने पर पता लगा कि ज़्यादातर लोग नरेगा के तहत काम ही नहीं करना चाहते. कुछ तो अपना कार्ड गांव के प्रधान या ठेकेदार को 20रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर दे देते हैं और घर बैठे ही कमा रहे हैं. ठेकेदार अपने मज़दूरों से 50 रुपये देकर काम करा लेता है और बाकी के पैसे खुद रख लेता है.

बी एल जोशी

चेयरमैन, नॉलेज अवेयरनेस रिसर्च एंड मैनेजमेंट

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