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ग्रामसेवकों का धरना जारी

चूरू । राजस्थान ग्राम सेवक संघ के प्रान्तीय आह्वान पर बुधवार को सामूहिक अवकाश पर रहे तथा पंचायत समिति के समक्ष धरना देकर प्रदर्शन किया।धरना स्थल पर हुई सभा में संघ की उप शाखा के अध्यक्ष बीरबल धारीवाल ने बताया कि ग्रामसेवक 11 सूत्री मांग पत्र को लेकर सामूहिक अवकाश पर हैं। ग्रामसेवकों के आन्दोलन को सरपंचों ने भी समर्थन दिया है। ग्रामसेवकों ने सरकार की नीतियों की आलोचना की और कहा कि यदि सरकार की हठधर्मिता जारी रही तो सामाजिक अंकेक्षण व ग्राम सभाओं के आयोजन फ्लॉप रहेंगे।

सादुलपुर। नरेगा कार्यो से मुक्ति सहित विभिन्न मांगों को लेकर राजस्थान ग्रामसेवक संघ की सादुलपुर शाखा के कार्यकर्ता और पदाघिकारियो का सामूहिक अवकाश व धरना बुधवार को भी जारी रहा। शाखा अध्यक्ष करणीराम मांजू ने बताया कि ग्रामसेवक ग्यारह सूत्री मांग पत्र लागू नहीं किए जाने तक धरना देंगे।इस अवसर पर रामनिवास पूनियां, सत्यवीर कडवासरा ने कहा कि समय रहते मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो आन्दोलन को गति दी जाएगी।

सरपंच फोरम सादुलपुर एवं राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के कार्यकर्ता और पदाघिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामसेवकों की मांग का समर्थन किया। संघ के विरेन्द्र मांजू, मंत्री रणवीर धींधवाल, ओमप्रकाश पूनियां, धनराज भोजक, सदीक मोहम्मद, हीरालाल बेनीवाल, महेन्द्र सिंह आदि शिक्षकों ने ग्रामसेवकों को आन्दोलन में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

सरदारशहर। अवकाश पर चल रहे ग्रामसेवकों का धरना बुधवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। ग्राम सेवकों के अवकाश पर चले जाने तथा सरपंचों के बहिष्कार की घोषणा से 26 अगस्त हो होने वाली ग्रामसभा व सामाजिक अंकेक्षण कार्य में परेशानी आने की संभावना है।सहायक रोजगार सहायको ने भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर ग्रामसेवको की मांगों पर शीघ्र विचार करने की मांग करते हुए आंदोलन का समर्थन करने की चेतावनी दी है।बुधवार को राजस्थान ग्रामसेवक संघ के जिलाध्यक्ष शिवनारायण, कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण टांडी, दुर्गाराम पारीक, लूणाराम सैनी, महावीर सुण्डा, नरेन्द्र भोजक, रामकरण पारीक, सीताराम पारीक, हनुमानसिंह, पवन कुमार पारीक तथा जगदीश मटोरिया सहित बडी संख्या में ग्रामसेवक धरने पर बैठे।

तारानगर। पंचायत समिति मुख्यालय पर बुधवार को सरपंचों एवं ग्रामसेवकों ने अपनी मांगों को लेकर संयुक्त रूप से धरना दिया। ग्रामसेवकों ने महानरेगा से मुक्ति एवं सरपंच फोरम ने अपने 13 सूत्री मांगों का निराकरण करने की सरकार से मांग की। फोरम के अध्यक्ष धर्मपाल सहारण, जुगलाल बरवड, पन्नालाल कस्वां, मोहनलाल सुथार, हनुमानाराम, कृष्णा देवी शर्मा, ग्रामसेवक संघ के अध्यक्ष दशरथ यादव, ओंकारसिंह राजवी, बृजलाल सैनी, अमरसिंह गोदारा सहित कई अन्य सरपंच तथा ग्रामसेवक धरने पर बैठे।

सुजानगढ। ग्रामसेवकों का नरेगा मुक्ति आन्दोलन बुधवार को अध्यक्ष जीवनराम नेहरा की अध्यक्षता में 10वें दिन भी ग्रामसेवकों का धरना जारी रहा। संघ के प्रदेश प्रतिनिधि हंसराज मीणा ने बताया कि सरकारी हठधर्मिता बनी रही तो आन्दोलन तेज किया जाएगा। धरने पर बुधवार को जिला उपाध्यक्ष ठाकुरमल कताला, गोविन्दराम, जुगलकिशोर, घनश्याम भाटी, सरदाराराम, उगमसिंह, रामनारायण माचरा, भंवरसिंह चाम्पावत बैठे। अध्यक्ष जीवनराम के अनुसार ग्रामसेवको के आन्दोलन को सरपंचो का समर्थन मिला है। धरना स्थल पर सरपंच दीवानसिंह, श्रवणराम माचरा, विद्याधर बेनीवाल ने पहुंचकर समर्थन दिया।

लाडनूं। ग्राम सेवक संघ व सरपंच संघ की ओर से बुधवार को पंचायत समिति कार्यालय के समक्ष धरना देकर संघ की 11 सूत्री मांगों एवं महानरेगा से मुक्ति को लेकर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। सरपंच व ग्रामसेवकों के सांकेतिक धरने को संबोघित करते हुए सरपंच संघ के अध्यक्ष कन्हैयालाल ने कहा कि ग्रामसेवकों ने सामूहिक अवकाश रखकर मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करवाया है।उन्होंने सरपंच व ग्रामसेवकों से संगठित होकर आन्दोलन को गति देने का आह्वान किया।ग्रामसेवक संघ के अध्यक्ष सांवरमल शर्मा ने सरपंचों के समर्थन का स्वागत किया।शर्मा ने कहा कि मांग नहीं मानी गई तो 26 अगस्त को सामाजिक अंकेक्षण की ग्रामसभा का बहिष्कार किया जाएगा। सरपंच 1 सितम्बर को विधानसभा का घेराव करेंगे। सरपंच तारामणी शर्मा, रामकरण मेघवाल, भंवरलाल बिरडा, तथा मानाराम मेघवाल आदि सरपंचों ने विचार व्यक्त किए।

नरेगा में ठेका प्रथा पर लगे रोक

चूरू । सरपंच एसोसिएशन के आह्वान पर चूरू सरपंच फोरम ने 26 अगस्त को ग्राम सभाओं का बहिष्कार करने व गांव में ठेका प्रणाली से होने वाले कार्याें के विरोध में बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला कलक्टर को दिया।

सरपंच फोरम के अध्यक्ष महेन्द्र सिहाग के नेतृत्व में सरपंचों ने जिला कलक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा है कि 26 अगस्त को होने वाली सामाजिक अंकेक्षण ग्रामसभाओं का सरपंच बहिष्कार करेंगे। ज्ञापन में बताया गया है कि 27 से 31 अगस्त तक पंचायत समितियों के सामने धरना व 1 सितम्बर को राजस्थान सरपंच एसोसिएशन के नेतृत्व में विधानसभा का घेराव किया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में 31 सरपंच शामिल थे।

सरपंच फोरम की ये हैं मांगे

महानरेगा कार्यों के सुचारू संचालन के लिए ठेका प्रणाली निरस्त की जाए। ग्राम पंचायतों को नकद भुगतान की सीमा 50 हजार रूपए की जाए। महानरेगा कार्यों के लिए समय पर तथा पर्याप्त मात्रा में फंड मिले, राजीव गांधी सेवा केन्द्र निर्माण में जॉब कार्ड की अनवार्यता समाप्त हो, 10 हजार का सिंगल सामान खरीदने के लिए नम्बर की बाध्यता खत्म करने आदि अन्य मांगें हैे।

सादुलपुर। नरेगा में सामग्री की ठेकेदारी प्रथा बंद करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर सरपंचों ने ग्रामसभाओं का बहिष्कार करने का निर्णय किया है। सरपंच फोरम के अध्यक्ष मानसिंह रेबारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरपंचों ने पंचायत समिति सभागार में एक दिवसीय सांकेतिक धरना देकर उपखण्ड अघिकारी रामनिवास जाट को ज्ञापन प्रेषित किया है। सरपंच रेबारी सहित सम्पतसिंह बेरवाल, जयसिंह पूनियां, सुरेन्द्र स्वामी, मांगेराम शर्मा, बृजलाल, मानसिंह झाझडिया, ओमप्रकाश ढिगारला, चन्द्रकला ताम्बाखेडी, चिरंजीलाल धानोठी बडी, शंकरलाल प्रजापत सिधमुख, कैप्टन बहादुर सिंह नुहन्द आदि सरपंचों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए। सरपंच फोरम के अध्यक्ष मानसिंह रेबारी ने बताया कि नरेगा योजना में सामग्री की ठेकेदारी प्रथा बंद करने, बीएसआर दर अन्य विभागों के समान करने, सामग्री में दूरी के हिसाब से बीएसआर में समायोजन तथा सामाजिक अंकेक्षण अन्य विभागों की तरह ग्राम पंचायतों का भी करने आदि विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया गया है। रेबारी ने बताया कि एक सितम्बर को जयपुर में विधानसभा के समक्ष सरपंचों ने प्रदर्शन करने का भी निर्णय किया है।नरेगा कार्मिक संघ शाखा राजगढ ने ग्रामसेवक एवं सरपंच संघ को समर्थन देने की घोषणा की।

कार्मिकों ने गुरूवार को आयोजित ग्रामसभाओं में कार्य नहीं करने का निर्णय किया है। कार्मिक सुमेरसिंह, सरस्वती, संजय कुमार, भंवरी देवी, मंजू, अनिता, संतोष, संतकुमार तथा हेमेन्द्र सिंह आदि ने उपखण्ड अघिकारी को ज्ञापन देकर ग्रामसभाओं का बहिष्कार नहीं करने के लिए सूचना दी।

रतनगढ। रतनगढ पंचायत समिति के सरपंचों ने बुधवार को ग्राम पंचायतों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाकर पंचायत समिति परिसर में सांकेतिक धरना दिया। धरने पर बैठे सरपंचों ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन विकास अधिकारी शेरसिंह को सौंपा। सरपंच फोरम के स"ान कुमार बाटड ने बताया कि ग्राम पंचायतों को अधिकारनहीं देकर पंचायतों के निर्माण कार्यो की सामग्री सप्लाई का ठेका तथा नरेगा कार्य ठेके पर कराए जाने का निर्णय नियम विरूद्ध हैं।इसके विरोध में 26 अगस्त को होने वाली ग्राम सभा का सामूहिक बहिष्कार करने का निर्णय किया है।धरने पर बैठे सरपंचों ने ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की मांग की। सरपंच गिरधारीलाल, शंकरलाल, रामसिंह, कांता देवी, परमेश्वरी, कमला देवी खीचड तथा परसाराम समेत अनेक सरपंच धरने में शामिल हुए।

सुजानगढ। राजस्थान सरपंच एसोसिएशन के आह्वान पर बुधवार को सरपंच संघ ने पंचायत समिति कार्यालय के सामने धरना दिया।

सरपंचों के अधिकार कम करने के सरकारी प्रयासों के विरोध में राज्य सरकार के खिलाफ सरपंचों ने नारे लगाए। सरपंच दीवानसिंह भानिसरिया व श्रवणकुमार माचरा के नेतृत्व में विकास अधिकारी मूलाराम चौधरी को मुख्यमंत्री के नाम 8 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया। सरपंच दीवानसिंह ने बताया कि 26 अगस्त को सरपंच सामाजिक अंकेक्षण की ग्रामसभा का बहिष्कार करेंगे।

नरेगा : ग्राम स्तर पर बनेंगी निगरानी कमेटियां

राज्य में नरेगा के कामकाज में पारदर्शिता लाने और निगरानी रखने के लिए निगरानी समितियों का विस्तार ग्राम स्तर तक किया जायेगा। केंद्र के निर्देश पर ग्रामीण विकास विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी करते हुए सभी प्रमंडलीय आयुक्तों को सूचना भेज दी है। आयुक्तों की देखरेख में सभी जिलों के लिए अलग-अलग कमेटियां बनेंगी। कमेटी में उपायुक्त, नरेगा काउंसिल के दो सदस्य और डीडीसी शामिल रहेंगे। डीडीसी कमेटी के सदस्य सचिव होंगे। यह व्यवस्था सभी 22 जिलों में लागू होगी। राज्य सरकार को अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि नरेगा के तहत ग्रामीणों की बजाय कर ठेकेदारों के जरिये काम कराया जा रहा है, मजदूरों से काम लेने की बजाय मशीनों का इस्तेमाल हो रहा हैॅ। कई स्थानों पर कम मजदूरी दिये जाने और फर्जी मस्टर रोल से नरेगा की राशि उठा लेने की शिकायत भी मिलती है। ऐसी शिकायतों को निपटारे के लिए पहले जिला स्तर पर पहले निगरानी समिति बनायी जा रही है। बाद में ग्राम स्तर तक ऐसी कमेटियां बनायी जायेंगी, ताकि नरेगा के काम में घपला नहीं हो सके।

दौसा। भले ही केंद्र व राज्य सरकार एक ही बात हर जगह कहती फिरे कि हमने गरीबों के लिए नरेगा शुरू करके उनका उत्थान किया है। परंतु ये सच नहीं है। इसका खुलासा हुआ 'न्यूज टुडे' में नरेगा में हो रही अनियमितताओं से संबंधित खबरों के प्रकाशन के जरिये, जो बीती सात और नौ अप्रैल के अंकों में प्रमुखता से छपी थीं। इन खबरों पर सरकार ने भी गंभीरता दिखाई। जांच कमेटी बनाई।

कमेटी ने दौसा आकर कार्योü की जांच की, तो लाखों रूपयों का घपला उजागर हुआ। जिला मुख्यालय के समीप ग्राम पंचायत भांडारेज में महानरेगा योजना के तहत पिछले साल करवाए गए निर्माण कार्य की राजस्थान सरकार के सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा की गई जांच में 14 कार्य में 20 लाख 85 हजार की राशि वसूलने, ग्राम पंचायत सचिव को निलंबित करने व दौसा पंचायत समिति के दोनों जेटीओ को कार्यमुक्त करने व इन कार्य के लिए जिम्मेदार अन्य अघिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
योजना से जुडे सूत्रों का कहना है कि महानरेगा के तहत हो रहे भ्रष्टाचार पर जिले में अब तक की यह सबसे बडी कार्रवाई है। बताया जाता है कि जिला परिषद के पास करीब 20 दिन पहले ही यह रिपोर्ट आ गई थी, लेकिन मामले को दबाने की कोशिश की गई। प्रमुख शासन सचिव (ग्रामीण विकास) सीएस राजन ने 15 जुलाई तक संबंधित दोषी लोगों से राशि वसूलने के पत्र से हडकंच मचा, तब मामला उजागर हुआ।

इन कामों पर वसूली
नाला निर्माण बजाज मंदिर से सुनार बगीची तक में एक लाख 20 हजार 122 रूपए, रामतलाई से बावडी दरवाजा तक में एक लाख 84 हजार 664 रूपए, सुरक्षा दीवार नांगलचापा रोड से ढाणी झरवाली तक में एक लाख 20 हजार 284 रूपए व सुरक्षा दीवार कृषि मंडी से रामजीलाल सहाणा तक तीन लाख 66 हजार 596 रूपए की राशि कटाव रोक दीवार निर्माण ठाकुर वाली से छोटेलाल के खेत तक एक लाख 32 हजार 330 रूपए, बने निवास से कबरालाल होते हुए वाटर वर्क्स तक के नौ हजार रूपए, ग्रेवल सडक इंदिरा कालोनी से ढाणी बंध तक में 85 हजार 763 रूपए, पटवार वाली ढाणी से भीकली तक की सडक पर नौ हजार, भीकली ढाणी से नयावाली सडक पर एक लाख 68 हजार 778 रूपए, सुरक्षा दीवार निर्माण बने निवास व बीरखू वाली ढाणी में तीन लाख 34 हजार 787 रूपए। इनके अलावा इस दौरान करवाए गए अन्य कार्योü की भी जिला स्तर के अधिकारियों से जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं।

ये भी दोषी
अनियमितता के लिए पूर्व सरपंच मिट्ठू लाल सैनी, ग्राम पंचायत सचिव पप्पू लाल सांवरिया, बनवारी लाल वैष्णव, तकनीकी सहायक पंचायत समिति दौसा, मुरारी लाल जाटव कनिष्ठ तकनीकी सहायक पंचायत समिति दौसा को भी उत्तरदायी माना है।

इनके खिलाफ कार्रवाई
ग्राम पंचायत सचिव पप्पू सांवरिया ग्राम सेवक व पदेन सचिव को निलंबित करने की कार्रवाई हुई।
इसी प्रकार मुरारी लाल जाटव व बनवारी लाल वैष्णव, कनिष्ठ तकनीकी सहायक पंचायत समिति दौसा को संविदा सेवा शर्तोü के अनुसार संविदा निरस्त करने की कार्रवाई करने व पूर्व सरपंच मिट्ठूलाल सैनी के खिलाफ पंचायतीराज अघिनियम 1994 के प्रावधानों के अनुसार सरपंच पद के लिए अयोग्य घोçष्ात करने की कार्रवाई हुई। इसी प्रकार सहायक अभियंता दौसा पंचायत समिति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंषा की गई है।

इनका कहना है
जिला कलक्टर महोदय के पास फाइल भेज दी गई है। जांच रिपोर्ट हमें मिल गई है। दोष्ाी अघिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई एक दो दिन में कर दी जाएगी।
- जेपी बुनकर, मुख्य कार्यकारी अघिकारी, दौसा

रोहित विजयवर्गीय

नरेगा के सामने नई चुनौतियां

नरेगा यूं तो रोज़गार गारंटी कार्यक्रम है, लेकिन कई ग़लत कारणों से अब यह भ्रष्टाचार गारंटी योजना में तब्दील हो चुका है. मस्टररोल, जॉब कार्ड और भुगतान आदि में घोटाले की खबरें तो पहले से ही आती रही हैं, लेकिन अब यह योजना कुछ बिल्कुल नई क़िस्म की समस्याओं की गिरफ़्त में है. दिल्ली की एक संस्था है करम (नॉलेज अवेयरनेस रिसर्च एंड मैनेजमेंट). देश के कई सेवानिवृत अर्थशास्त्रियों की देखरेख में चल रहा एक संगठन. बी एल जोशी इसके मुखिया हैं और नरेगा सहित आम आदमी से जुड़े कई मसलों पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इनके नेतृत्व में करम ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव, मध्य प्रदेश के दमोह और कर्नाटक के कोलार एवं बंगलुरू के देहाती क्षेत्रों में नरेगा के तहत चल रहे कामों का जायज़ा लिया. पहली बार कुछ ऐसी समस्याओं की पहचान की गई है, जिनके बारे में अभी तक कल्पना भी नहीं की गई थी बहरहाल, हम ऐसे ही पांच सवालों (समस्याओं) को उठा रहे हैं, जिनकी अनदेखी से इस ड्रीम प्रोजेक्ट का दीवाला निकल सकता है.

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के कुछ गांवों में नरेगा की जांच के दौरान कुछ ऐसे नए तथ्य सामने आए हैं, जो यूपीए सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट की सफलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं. चौथी दुनिया ऐसे ही पांच बिंदुओं का विश्लेषण कर रही है, जो नरेगा के लिए खतरा बन चुके हैं.?

पंजीकरण का टोटा

क्या आपको यह आश्चर्यजनक नहीं लगेगा कि किसी गांव के 160 परिवारों में से महज़ 13 फीसदी यानी 20 परिवार ही नरेगा के तहत पंजीकृत हों? उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के एक गांव के स़िर्फ 20 परिवार ही इस योजना के तहत पंजीकृत हैं और साल में महज़ 32 दिनों का काम इन लोगों को मिल पाता है. कर्नाटक के कोलार एवं बंगलुरू (देहात) क्षेत्र का तो इससे भी बुरा हाल है. यहां के महज़ 10 फीसदी परिवार ही पंजीकृत हैं. जबकि मध्य प्रदेश के दमोह में हालात थोड़े अच्छे हैं. यहां के लगभग 56 फीसदी परिवारों का नरेगा के तहत पंजीकरण है और साल में उन्हें लगभग 52 दिन काम भी मिल रहा है.

किराये पर जॉब कार्ड

करम के चेयरमैन बी एल जोशी एक दिलचस्प वाकया सुनाते हैं. कहानी उन्नाव के वीरसिंह पुरा गांव की है. जोशी बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान जब वह इस गांव में गए तो उन्होंने वहां के प्रधान को का़फी परेशान देखा. वजह, गांव में नरेगा के तहत एक निर्माण कार्य चल रहा था और उसके लिए पांच मज़दूरों की ज़रूरत थी, लेकिन चार ही मिल पाए थे. जबकि गांव में 250 लोगों के पास जॉब कार्ड थे. जोशी ने जब प्रधान एवं गांव के अन्य लोगों से इस बारे में बातचीत की तो पता चला कि बहुत से जॉब कार्ड धारक नरेगा के तहत काम ही नहीं करना चाहते. वे अपना कार्ड ग्राम प्रधान अथवा ठेकेदार को 20 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर दे देते हैं. ठेकेदार अपने मज़दूरों से 50 रुपये देकर काम करा लेता है और बाकी पैसे खुद रख लेता है. दिलचस्प रूप से यह सारा धंधा इतने सलीके से होता है कि कोई उंगली तक नहीं उठा सकता.

किराया दो, पैसा लो

नरेगा के तहत सभी कार्डधारकों का खाता डाकघर अथवा बैंक में खुलता है. यहीं से मज़दूरों की पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है. लेकिन, यहां भी कम गोरखधंधा नहीं है. जोशी बताते हैं कि अलवर ज़िले के एक गांव में ऐसा ही मामला देखने को मिला. वहां के डाकघर में जब कोई मज़दूर अपना भुगतान लेने जाता है तो उससे कहा जाता है कि किसी ऐसे आदमी के साथ आओ, जो तुम्हें और मुझे यानी दोनों को पहचान सके. अंतत:, तीन-चार महीनों के बाद बैंक या डाकघर का कोई क्लर्क गांव में जाकर प्रधान के सामने सभी मज़दूरों का भुगतान करता है. इसके बदले वह प्रति भुगतान 10 रुपये यह कहकर लेता है कि मैं शहर से आया हूं और इसमें मेरा खर्च हुआ है. ज़ाहिर है, अगर सौ लोगों से भी दस-दस रुपये मिले तो उस कर्मचारी को बिना कुछ किए एक हज़ार रुपये की आमदनी हो जाती है.

काम पूरा, पैसा कम

सर्वेक्षण से यह भी भी पता चला कि मज़दूरों को उनके काम के दिनों के आधार पर नहीं, बल्कि काम की मात्रा को पैमाना बनाकर भुगतान किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर, चार-पांच लोगों के एक समूह को एक खास काम दे दिया जाता है और फिर जितने दिनों में वह काम हो पाता है, उसी के आधार पर भुगतान किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक़, दमोह के एक गांव में एक पुरुष साल में 27 दिन काम करके भी 1887 रुपये ही कमा पाता है. जबकि कर्नाटक में यह आंकड़ा 22 दिन के बदले 2173 रुपये का है. वहीं मध्य प्रदेश के दमोह में एक महिला साल में 23 दिन काम करके 1546 रुपये कमा पाती है.

नए कामों की कमी

नरेगा के तहत यह नया प्रावधान किया गया है कि किसी गांव में अगर एक काम होता है तो दोबारा फिर वही काम नहीं होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि एक गांव में कितने तालाब खोदे जाएंगे या कितनी सड़कें बनेंगी? ज़ाहिर है, ऐसी स्थिति में लोगों के पास काम की कमी होना तय है, लेकिन इस समस्या का भी कोई ठोस समाधान नहीं दिख रहा है. जोशी बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान उन्हें एक भी ऐसा मामला नहीं दिखा, जहां काम न मिलने पर किसी जॉबकार्ड धारक को बेरोज़गारी भत्ता दिया गया हो.

निश्चित तौर पर, ये पांच समस्याएं नरेगा के लिए ब़डी चुनौती हैं जिससे तत्काल निपटने की ज़रूरत है. क्योंकि नरेगा स़िर्फ यूपीए सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं है जो उसकी राजनीतिक ख्वाहिश को पूरा कर रहा है. बल्कि, इस योजना में इतनी ताक़त है जो गांवों में रहने वाले करोड़ो लोगों के सपनों को भी साकार कर सकती है. एक खुशहाल जीवन का सपना.

उन्नाव के वीरसिंह पुरा गांव में नरेगा के तहत एक काम के लिए पांच मज़दूरों की ज़रूरत थी, लेकिन चार ही मज़दूर मिल पाए थे. मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकि गांव में 250 लोगों के पास जॉब कार्ड थे. खोजबीन करने पर पता लगा कि ज़्यादातर लोग नरेगा के तहत काम ही नहीं करना चाहते. कुछ तो अपना कार्ड गांव के प्रधान या ठेकेदार को 20रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर दे देते हैं और घर बैठे ही कमा रहे हैं. ठेकेदार अपने मज़दूरों से 50 रुपये देकर काम करा लेता है और बाकी के पैसे खुद रख लेता है.

बी एल जोशी

चेयरमैन, नॉलेज अवेयरनेस रिसर्च एंड मैनेजमेंट


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++रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाता नरेगा

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अमेरिका के कनसास विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्य विभाग की प्रोफेसर महाश्वेता बनर्जी ने कहा है कि रूपया दूसरा भगवान है क्योंकि आर्थिक रूप से असंपन्न लोगों के लिए आय के स्रेत अति महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) रोजगार उपलब्ध कराने में अप्रभावी साबित हुई है। अमेरिकी दूतावास द्वारा शुक्रवार को ‘आय और सामथ्र्य संबंधी दृष्टिकोण’ पर आयोजित एक सेमीनार में महाश्वेता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में विभिन्न जिलों में किए गए शोध के आधार पर कहा कि नरेगा कुल मिलाकर अप्रभावी रही है क्योंकि लोगों को 100 दिनों के स्थान पर औसतन 12 दिन काम मिला है। उन्होंने कहा कि जीवन में पैसा काफी अहमियत रखता है। उन्होंने सामथ्र्य की भूमिका विषय पर किए गए अपने शोध के निष्कषरे को भी प्रस्तुत किया। सुश्री बनर्जी ने अपने शोध के आधार पर कहा कि पश्चिम बंगाल में महिला कार्य भागीदारी अनुपात सबसे कम है और पुरूष जीवकोपार्जन के लिए राय के बाहर को प्राथमिकता देते है।ं
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नरेगा का समय प्रातः 9 से सांय 6 तक

हनुमानगढ। जिला कलक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक ई.जी.एस. डॉ. रविकुमार एस. ने बदले मौसम की स्थिति, श्रमिकों की समय परिवर्तन की मांग एवं पंचायत समिति अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अवगत कराने पर निर्णय लिया गया है कि जिले में महानरेगा के श्रमिकों का समय 1 अगस्त 2010 से सुबह 9 बजे से सांय 6 बजे तक का हो गया है। जिसमें दोपहर 1 से 2 बजे तक एक घण्टे का विश्रामकाल रहेगा। यह आदेश 1 अगस्त 2010 से लागू रहेंगे।

The National Consortium on NREGA is a loosely federated collective of civil society organisations (CSOs) that have come together to try and make NREGA a .

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The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act (MGNREGA) aims at enhancing the livelihood security of people in rural areas by guaranteeing .

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Welcome to MGNREGA

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भ्रष्टाचार कोई बडी बात नहीं- जोशी
भीलवाडा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री सीपी जोशी की मानें तो महात्मा गांधी नरेगा योजना में भ्रष्टाचार के मामले सामने आना कोई बडी बात नहीं। देश की ढाई लाख पंचायतों में काम हो रहा है। सवा तीन सौ हजार करोड के काम में 10 करोड रूपए के गबन के मामले सामने आए हैं, जो ज्यादा नहीं हैं। पुलिस में मामले दर्ज कराए गए हंै।

यह बात केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री सीपी जोशी ने रविवार को उदयपुर से जयपुर जाते समय कुछ देर यहां सर्किट हाउस रूकने के दौरान पत्रिका से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि देश में महात्मा गांधी नरेगा को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी), बायोमेट्रिक और यूडी कार्ड योजना से जोडा जाएगा, ताकि सही व्यक्ति की पहचान कर उसे भुगतान किया जा सके। राजस्थान में नरेगा योजना में दो साल पूर्व मुख्यमत्री वसुन्धरा राजे और दो साल अशोक गहलोत के कार्यकाल में काम हुआ है। जॉब कार्ड व भुगतान समय पर दिलाने का प्रयास हैं। केन्द्र में कांग्रेस की यह पहली सरकार है, जिसने सॉशियल ऑडिट करवाई है। नतीजा सामने है।

नरेगा एक्ट में मेन्युअल काम
नरेगा के माध्यम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी या स्कूलों में पानी भरने के लिए श्रमिक लगाने के सवाल पर जोशी ने कहा कि नरेगा एक्ट में मेन्युअल काम की शर्त है। कर्मचारी के रूप में श्रमिक नहीं लगाया जा सकता।

जिलाध्यक्ष से लेंगे फीडबैक
नगरीय निकाय चुनाव के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों और जिलाध्यक्ष से फीडबैक लिया जाएगा। मुख्यमंत्री गहलोत और वे खुद बैठक लेंगे। इस बार भी कांग्रेस अपना परचम लहराएगी।

मजबूरी में आना पडा
जोशी उदयपुर से जयपुर बाइपास से निकलने वाले थे, लेकिन मंगलपुरा के पास लोगों द्वारा जाम लगा देने से उन्हें मार्ग बदलकर मजबूरन भीलवाडा सर्किट हाउस मे रूकना पडा। जोशी पहले भी उदयपुर जाते समय बाइपास से निकल गए थे।

02 अगस्त 2010 RAJASTHANOATRIKA.com

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