सभी महानरेगा कार्मिकों से अनुरूध है कि वो अपना ईमेल पता निचे दिये गये बॉक्‍स में Subscribe करे जिससे महानरेगा की ताजा खबर आप तक Email से पहुच सकें.......Thanks नोट Active करने के लिए अपने ईमेल उकाउन्‍ट में जाकर Nrega News Subscribe mail link पर किल्‍क करें

Enter your Email Address & recived free new's "Just Enter E-mail"

गारंटी काम की, दाम की नहीं

गारंटी काम की, दाम की नहीं

केंद्र में सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानती तो है मगर इस योजना का क्रियान्वयन उस तरह नहीं हो पाया है जैसा सोचा गया था.

आज भी इस योजना के तहत काम करने वालों को अपने पैसों के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. किसी किसी को तो 100 दिन के काम के लिए 100 दिनों से भी ज़्यादा तक.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में पित्बासु भोय उन कुछ एक बदकिस्मत लोगों में से हैं जिन्हें उनकी मज़दूरी के पैसे नहीं मिल पाए. ग़रीबी की रेखा से नीचे रहने वाले भोय के जवान बेटे ने पैसों के अभाव में दम तोड़ दिया है.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले का पम्पापुर गाँव. यहाँ मातम छाया हुआ है. इसी गाँव के 58 वर्षीय पित्बासु भोय अपने बीमार जवान बेटे का अंतिम संस्कार करके लौटे हैं.

नुक़सान

तंगहाली की मार की वजह से भोय इतने पैसे जुटा नहीं पाए जिससे उनके बेटे का इलाज समय पर होता. इलाज के लिए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत काम भी किया लेकिन सौ दिनों तक काम करने के बावजूद उन्हें एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली.

सितंबर माह में मैंने अपना पंजीयन कराया था. मैं, मेरी बीवी और मेरा विकलांग बेटा- हम तीनों ने पंचायत में ग्रामीण रोज़गार योजना के तहत काम किया. मेरे बेटे का पंजीयन नहीं हुआ था इसलिए उसे पैसे नहीं मिले. मुझसे कहा गया कि जल्द ही मिल जाएँगे. मैं दफ़्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक गया. किसी ने मेरी एक नहीं सुनी

पित्बासु भोय

आख़िरकार उन्होंने किसी से दो सौ रूपए उधार लिए और अपने बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. भोय कहते हैं कि अगर उन्हें पैसे वक़्त पर मिल जाते तो शायद वो अपने बेटे का इलाज करा पाते और वह बच जाता.

बीबीसी के साथ बातचीत में भोय ने कहा, "मुझे पक्का भरोसा है कि मुझे अगर मेरी मज़दूरी समय पर मिल जाती तो मैं अपने बेटे का सही इलाज करा पाता."

भोय का कहना है कि मनरेगा की मज़दूरी के लिए हर दरवाज़े को खटखटाते रहे मगर किसी ने उनकी नहीं सुनी.

उन्होंने कहा, "सितंबर माह में मैंने अपना पंजीयन कराया था. मैं, मेरी बीवी और मेरा विकलांग बेटा- हम तीनों ने पंचायत में ग्रामीण रोज़गार योजना के तहत काम किया. मेरे बेटे का पंजीयन नहीं हुआ था इसलिए उसे पैसे नहीं मिले. मुझसे कहा गया कि जल्द ही मिल जाएँगे. मैं दफ़्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक गया. किसी ने मेरी एक नहीं सुनी."

फ़रियाद

भोय का कहना है कि कमिश्नर से लेकर अपर कलेक्टर तक को उन्होंने अपनी फ़रियाद सुनाई. सबका एक ही आश्वासन था कि पैसे जल्द मिल जाएँगे. लेकिन सौ दिनों से भी ज़्यादा बीत जाने पर भोय ने आस छोड़ दी.

पैसे बैंकों में जाते हैं. लेकिन वहां काफ़ी वक़्त लग जाता है. पोस्ट ऑफ़िस का हाल और बुरा है

संजय सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी

बाद में कुछ सामजिक संगठनों की पहल पर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने भोय को भुगतान का आश्वासन दिया है.

इस बाबत पूछे जाने पर अंबिकापुर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय सिंह पहले तो कहते रहे कि मज़दूरी के भुगतान में कोई विलंब नहीं होता है. लेकिन भोय का उदहारण देने पर उन्होंने सारा दोष बैंकों के सर मढ़ दिया.

उन्होंने कहा, "पैसे बैंकों में जाते हैं. लेकिन वहां काफ़ी वक़्त लग जाता है. पोस्ट ऑफ़िस का हाल और बुरा है." वैसे उन्होंने कहा कि भोय के मामले से वह अवगत हैं और उसे जल्द ही मज़दूरी मिल जाएगी.

वहीं सरगुजा ग्रामउत्थान समिति के राकेश राय का कहना है कि सिर्फ़ पित्बासु भोय ही नहीं, मनरेगा में मज़दूरी देने में अनियमितता बरतना एक आम चलन सा हो गया है.

राकेश राय कहते हैं, "मज़दूरी समय पर नहीं मिलना एक आम चलन सा हो गया है. इस योजना के तहत और भी बहुत सारी अनियमितताएँ हैं."

जहाँ तक अनियमितता का सवाल है, हाल ही में कम से कम 27 संगठनों नें छत्तीसगढ़ में ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना का एक बड़ा अध्ययन किया तो कई चौंका देने वाले तथ्य सामने आए.

विलंब

इस दौरान पता चला है कि छत्तीसगढ़ के 68 प्रतिशत मज़दूरों को मज़दूरी के भुगतान में एक महीने से भी ज़्यादा विलंब झेलना पड़ता है.

भोय का पासबुक

आरोप है कि समय पर पासबुक में पैसे नहीं जाते

शोध में पाया गया है कि मज़दूरी के भुगतान में विलंब की वजह से जो बहुत ही ग़रीब परिवार हैं वह रोज़गार गारंटी योजना से कटते जा रहे हैं और पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.

शोध में और एक चौंका देने वाला पहलू सामने आया है और वह है कि छत्तीसगढ़ के 24 प्रतिशत मज़दूरों के जॉब कार्ड या तो रोज़गार सहायक या फिर सरपंचों ने रखे हैं और अधिकांश कार्यस्थलों पर मस्टर रोल में सीधे हाजिरी ना भरकर कच्चे खातों में भरी जा रही है.

अध्ययन में पता चला कि इस योजना के तहत अक्तूबर 2009 से सितंबर 2010 के बीच केवल 44 दिन प्रति परिवार को ही काम मिल पाया है. इसके अलावा जांजगीर और जशपुर ज़िलों में सरकारी फ़ाइलों में दर्ज कार्य दिवस और मज़दूरों के बताए कार्य दिवसों में काफ़ी अंतर देखने को मिला.

यह इस बात का संकेत है कि इन इलाक़ों में फर्ज़ी हाजिरी के ज़रिए सरकारी आंकड़े बनाए गए थे. अध्ययन में पाया गया कि जशपुर ज़िले में स्थिति चिंताजनक है क्योंकि वहाँ पर 64 प्रतिशत मज़दूर अपने जॉब कार्ड में दर्ज कार्य दिवसों से संतुष्ट नहीं हैं.

शोध में सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि 2009-2010 में कुल जॉब कार्डधारियों में से सिर्फ़ 57 प्रतिशत परिवारों को ही काम मिल पाया है.

इस अध्ययन का ढांचा प्रोफ़ेसर ज्यां द्रेज़ ने तैयार किया था. हालाँकि रायपुर में एक जन सुनवाई के दौरान राज्य के मनरेगा आयुक्त के सुब्रमण्यम ने आश्वासन दिया था कि अनियमितताओं को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा. लेकिन ग्रामीण छत्तीसगढ़ को इसका बेसब्री से इंतज़ार है.

मनरेगा के तहत ग्रामीण इलाकों में साल में कम से कम सौ दिनों के काम की सरकारी गारंटी है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो बढती हुई महंगाई का ठीकरा भी मनरेगा पर ही फोड़ दिया.

उनका कहना है कि मनरेगा जैसी योजना की वजह से लोगों के पास काफ़ी पैसा आ गया है और यह बढ़ती हुई महंगाई का भी एक कारण है.

हक़ीकत में देखा जाए तो योजना में रोज़गार की गारंटी तो कहीं-कहीं पर है. लेकिन मज़दूरी कब मिलेगी? इसकी कोई गारंटी नहीं.

अगर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की पहल पर पित्बासु भोय को उनकी लंबित मज़दूरी मिल भी जाती है तो क्या. अब वे यही कहेंगे- हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी. क्योंकि अब यह रक़म उनका जवान बेटा वापस नहीं ला सकता.


सौ .सलमान रावी बीबीसी संवाददाता, रायपुर

0 comments:

Subscribe Now:-

NREGA, MGNREGA, NREGA NEWS, NREGA, NREGA nrega, nrega rajasthan, nrega india, nrega rajasthan circulars, nrega india circulars, nrega rajasthan recruitment 2010, nregarecruitment, nrega vacancies, nrega rajasthan vacancies, nrega jobs, nrega news, nrega news in hindi, nrega hindi, nrega employees, nrega employees, nrega employment scheme, nrega employees salary, nrega employees association, nrega union rajasthan, nrega karmchari, NREGA labour association, nrega news rajasthan, nrega policy, nrega karmchari sangh, nrega information,mgnrega, mgnrega rajasthan, mgnrega india, mgnrega rajasthan circulars, mgnrega india circulars, mgnrega rajasthan recruitment 2010, mgnrega recruitment, mgnrega vacancies, mgnrega rajasthan vacancies, mgnrega jobs, mgnrega news, mgnrega news in hindi, mgnrega hindi, mgnrega employees, mgnrega employees, mgnrega employment scheme, mgnrega employees salary, mgnrega employees association, mgnrega union rajasthan, mgnrega karmchari, MGNREGA labour association, mgnrega news rajasthan, mgnrega policy, mgnrega karmchari sangh, mgnrega information